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बिजनेस

आईआईपी : अगले चरण में ई-वाणिज्य क्षेत्र पर नजर

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नई दिल्ली | केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन स्वायत्त संस्था, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग (आईआईपी) ने अगले चरण की वृद्धि दर के लिए ई-वाणिज्य क्षेत्र से लाभ की उम्मीद लगा रखी है। क्योंकि ज्यादातर परंपरागत खुदरा कंपनियां बिक्री के लिए ऑनलाइन माध्यम का सहारा ले रही हैं। यह संस्थान अपनी स्थापना से ही अनुसंधान, शिक्षा और निर्यात संवर्धन पर ध्यान दे रहा है। विद्यार्थियों में इसकी व्यापक मांग है। संस्थान परिसर में नए केंद्र और होस्टल खोले जाएंगे।

इसके साथ ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन द्वारा संस्थान के नए लोगो का अनावरण किया जाएगा। आईआईपी के निदेशक एन.सी.साहा ने कहा, “संस्थान की 1966 में स्थापना के बाद से इसने लंबा सफर तय किया है। यह हमारे लिए गौरवान्वित पल है। हमने मुंबई में एक केंद्र के साथ इसकी स्थापना की और बाद में दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरू में भी इसका विस्तार किया। हम गुवाहाटी और विजयवाड़ा में भी परिसरों की स्थापना करने की प्रक्रिया में हैं।” संस्थान के मुताबिक, हमारे विद्यार्थियों की बाजार में बहुत मांग है, विशेष रूप से तेज खपत उपभोक्ता सामान और औषधि कंपनियों में।

बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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