उत्तर प्रदेश
आचार संहिता उल्लंघन मामले में भाजपा सांसद रीता जोशी को 6 माह की सजा, 1100 रुपए जुर्माना
लखनऊ। वर्ष 2012 में कांग्रेस पार्टी की ओर से विधानसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता का उल्लंघन कर मीटिंग करने की आरोपी मौजूदा भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी को एमपी/एमएलए कोर्ट के विशेष एसीजेएम अंबरीश कुमार श्रीवास्तव ने 6 माह के कारावास एवं 1100 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है।
अभियोजन की ओर से अदालत को बताया गया की 17 फरवरी 2012 को शाम करीब 6:50 पर रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ विधानसभा कैंट क्षेत्र की प्रत्याशी की हैसियत से कृष्णा नगर के बजरंग नगर क्षेत्र में आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए प्रचार का समय समाप्त होने के बाद जनसभा को संबोधित कर रही थी।
जिसकी सूचना पर स्टेटिक सर्विलांस मजिस्ट्रेट मुकेश चतुर्वेदी ने मौके पर जाकर देखा तो करीब 50 लोगों की भीड़ के साथ बजरंग नगर के मकान नंबर 95 एवं 96 के बीच जाने वाली सड़क पर रीता बहुगुणा जोशी मीटिंग कर रही थी। कहा गया है कि मौके पर वीडियो बनाया गया तथा उन्हें सभा से मना करने को उपरांत मुकेश चतुर्वेदी द्वारा कृष्णा नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
पुलिस की विवेचना के उपरांत 12 सितंबर 2012 को रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की गई थी। जिसके उपरांत 20 फरवरी 2021 को रीता बहुगुणा जोशी के विरुद्ध अदालत ने आरोप तय किए थे। अदालत ने रीता बहुगुणा जोशी को धारा 126 जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में 6 माह के कारावास एवं ₹1000 के जुर्माने की सजा सुनाई है, जबकि धारा 188 भारतीय दंड संहिता के आरोप में ₹100 के जुर्माने की सजा सुनाई है।
सजा सुनाए जाने के दौरान अदालत ने रीता बहुगुणा जोशी को हिरासत में ले लिया था। तदउपरांत उनकी ओर से दी गई जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए अदालत ने ₹20000 का बंधपत्र और इतनी धनराशि की जमानत दाखिल करने पर अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया, परंतु जमानतदार उपलब्ध न होने के कारण अदालत में बंध पत्र स्वीकार कर उन्हें अपील दाखिल करने की अवधि तक के लिए रिहा कर दिया है।
उत्तर प्रदेश
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक एक्शन मोड में, स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों पर गिरी गाज
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग में गंभीर अनियमितताओं के चलते कड़ी कार्रवाई की है. लगातार मिल रही शिकायतों के बाद श्रावस्ती के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अजय प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया गया है. डिप्टी सीएम ने इस संबंध में चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशालय से संबंधित अधिकारियों को जांच करने के निर्देश भी दिए थे.
शिकायतों के कारण हुई कार्रवाई
शिकायतों में यह आरोप लगाए गए थे कि डॉ. अजय प्रताप सिंह ने अवैध निजी अस्पतालों पर प्रभावी नियंत्रण नहीं किया, टेंडरों में अनियमितताएं कीं, बायो मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निस्तारण नहीं किया और उच्च आदेशों की अवहेलना की. इन शिकायतों के आधार पर डॉ. सिंह को निलंबित कर दिया गया.
फतेहपुर और सुल्तानपुर में भी कार्रवाई
इसके साथ ही, फतेहपुर में तैनात चिकित्सक डॉ. पुण्ड्रीक कुमार गुप्ता को भी निलंबित कर सिद्धार्थनगर के सीएमओ कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है. उनका एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने सरकार और प्रशासन के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी.
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