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प्रादेशिक

उर्दू विश्वविद्यालय को उद्योग से जोड़ने की कोशिश

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हैदराबाद | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी मुस्लिम मित्र और मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (एमएएनयूयू) के कुलाधिपति जफर सरेशवाला संस्थान को उद्योग से जोड़ने में रुचि ले रहे हैं।

52 वर्षीय गुजराती उद्योगपति की प्राथमिकताओं में हैदराबाद स्थित उर्दू विश्वविद्यालय को कारपोरेट सेक्टर से जोड़ना, परिसर से नियमित नियुक्ति सुनिश्चित करना और अनुसंधान कार्य एवं दुनियाभर के विश्वविद्यालयों से हाथ मिलाना शामिल है।

सरेशवाला ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस से कहा, “मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि यह विश्वविद्यालय वैसी शिक्षा का हिस्सा बने जो रोजगार मुहैया कराने में समर्थ है। हम वैसी ‘फैक्ट्री’ नहीं बनाना चाहते जो बेरोजगार स्नातक तैयार करने वाला हो।”

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने उन्हें शिक्षा क्षेत्र में मुसलमानों के लिए कुछ करने के लिए यहां भेजा है।

अपनी नियुक्ति पर विभिन्न वर्गो में हो रही आलोचना की परवाह नहीं करते हुए पारसोली कारपोरेशन लि. के सीईओ एवं प्रबंध निदेशक ने प्रभार लेने के बाद अपना काम शुरू कर दिया है।

परिसर के सकारात्मक माहौल और शिक्षकों का अपने काम के प्रति समर्पण से प्रभावित इस कारोबारी ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ और बुद्धिजीवियों के सामने अपने विचारों को रखा। इससे साफ संकेत मिलता है कि उनका मतलब काम के प्रति गंभीरता है।

कुलाधिपति के रूप में सक्रिय भूमिका निभाने की दिशा में सचेष्ट सरेशवाला का विचार यह है एमएएनयूयू उर्दू का विकास करने के अपने लक्ष्य और अपने छात्रों को अंग्रेजी भाषा में दक्ष बनाकर रोजगार सक्षम बनाने के बीच संतुलन कायम करे।

उन्होंने कहा, “मेरी पहली प्राथमिकता यह देखने की है कि विश्वविद्यालय का बड़ा मंच अपनी पूरी क्षमता से काम करे और यदि नहीं तो क्यों नहीं। समाधान क्या है? यह समाधान विश्वविद्यालय के स्तर पर संभव है या उसे और ध्यान जरूरत है?”

छात्रों और शिक्षकों के बीच संवाद कार्यक्रम की जरूरत को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, “मेरा अनुभव है कि इस विश्वविद्यालय को दुनियाभर के विश्वविद्यालयों के साथ गठजोड़ की जरूरत है। यही दुनियाभर में हो रही चीजों के साथ होने का रास्ता है।”

उन्होंने कहा, “मैं प्रयास करूंगा और विश्वविद्यालय का उद्योग और कारपोरेट के साथ संपर्क कराऊंगा। कोई भी विश्वविद्यालय अनुसंधान कार्य के लिए जाना जाता है न कि आपने कितने अनुसंधान प्रकाशित किए हैं इससे। अनुसंधान आपका संपर्क कारपोरेट से कराता है।”

विश्वविद्यालय तक मदरसा पृष्ठभूमि वाले अधिसंख्य छात्रों के पहुंचने को देखते हुए सरेशवाला महसूस करते हैं कि बेहतर संभावनाओं के लिए उन्हें अंग्रेजी में भी बेहतर होना होगा।

इस केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना 1998 में उर्दू भाषा के विकास के साथ ही उर्दू में तकनीकी शिक्षा मुहैया कराने के लिए गई थी। विश्वविद्यालय के अधीन तीन आईटीआई और तीन पोलीटेक्निक कालेज हैं।

उत्तर प्रदेश

बाढ़ से पहले योगी सरकार की तैयारियां मुकम्मल, 612 बाढ़ चौकियां स्थापित

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लखनऊ| योगी सरकार ने प्रदेश में बाढ़ की आशंकाओं को देखते हुए इससे निपटने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां पूरी कर ली हैं। सीएम योगी के निर्देश पर बाढ़ से निपटने एवं जनहानि-धनहानि को न्यूनतम करने के लिए 24 अतिसंवेदनशील और 16 संवेदनशील इलाकों में बाढ़ चौकियाें की स्थापना कर ली गयी है, जहां पर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की टुकड़ियों को तैनात किया गया है। इसके अलावा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को राहत देने के लिए 40 जिलों में से 39 जिलों में खाद्यान्न टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है। बता दें कि सीएम योगी ने हाल में ही बाढ़ पूर्व तैयारियों को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये थे, जिसके बाद अधिकारियों ने मिशन मोड में महज चार से पांच दिन के अंदर तैयारियों को अंजाम दिया है।

बाढ़ प्रभावितों क्षेत्रों में अब तक स्थापित की गयी 612 चौकियां

प्रमुख सचिव राजस्व पी गुरु प्रसाद ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अलर्ट रहने के साथ तैयरियों को पुख्ता करने के निर्देश दिये थे। ऐसे में सीएम योगी की मंशा के अनुरुप प्रदेश के अतिसंवेदनशील और संवेदनशील क्षेत्रों में 612 बाढ़ चौकियों की स्थापना की जा चुकी है। वहीं इन क्षेत्रों में अतिरिक्त बाढ़ चौकियों की स्थापना की कार्रवाई चल रही है। इन बाढ़ चौकियों में एनडीआरएफ की 7 टीमें, एसडीआरएफ की 18 टीमें और पीएसी की 17 टीमें तैनात कर दी गयी हैं। इसके साथ ही आपदा मित्रों को भी तैनात किया गया है। इसके अलावा सभी बाढ़ प्रभावित जनपदों में नावों का चिन्हीकरण और नाविक तैनात कर दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में एक वर्ष में 4700 राहत चौपालों को आयोजन किया गया, जिसमें लाेगों को बाढ़ के दौरान अपनी और अपने मवेशियों की किस तरह सुरक्षा करनी है, इसकी जानकारी दी गयी। वहीं बाढ़ पूर्व तैयारियों के तहत एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और पीएसी की ओर से 25 जनपदों में मॉकड्रिल की गयी।

बाढ़ प्रभावित 39 जिलों में खाद्यान्न पैकेट की टेंडर प्रक्रिया पूरी

राहत आयुक्त जीएस नवीन ने बताया कि बाढ़ प्रभावित जनपदों के लिए 10 करोड़ की धनराशि जारी की जा चुकी है। इस धनराशि से बाढ़ प्रभावित जनपदों में विभिन्न आवश्यक खरीदारी पूरी कर ली गयी है। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित 40 जिलों में से 39 जिलों में खाद्यान्न पैकेट की टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है। वहीं गाजीपुर में खाद्यान्न पैकेट का टेंडर एक दो दिन में पूरा कर लिया जाएगा। बाढ़ प्रभावित इलाकों में दो खाद्यान्न पैकेट वितरित किये जाएंगे। इनमें पहले पैकेट में प्रति परिवार को ढाई-ढाई किलोग्राम के दो लाई के पैकेट, 2 किलो भुना चना, प्लास्टिक के पैकेट में 1 किग्रा. गुड़, बिस्किट के 10 पैकेट, माचिस और मोमबत्ती के एक पैकेट, 2 पीस नहाने का साबुन, एक 20 लीटर का जरीकेन, 12 गुणे 10 वर्ग फिट मोटाई का एक तिरपाल, जिसका जीएसएम 110 से कम न हो आदि सामान वितरित किया जाएगा। वहीं दूसरे पैकेट में प्रति व्यक्ति 10 किग्रा. आटा, 10 किग्रा. चावल, 2 किग्रा. अरहर दाल, 10 किग्रा. आलू, 200 ग्राम हल्दी, 100 ग्राम मिर्च, 200 ग्राम सब्जी मसाला, 1 लीटर सरसों का तेल और 1 किग्रा. नमक का पैकेट वितरित किया जाएगा।

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