मनोरंजन
एक अच्छी फिल्म बना देना ही काफी नहीं : गुनीत
मुंबई | सेंसर बोर्ड की मार झेल चुकी ‘हरामखोर’ फिल्म की निर्माता गुनीत मोंगा का कहना है कि एक अच्छी फिल्म बना देना ही काफी नहीं होता। गुनीत की फिल्म ‘हरामखोर’ एक शिक्षक और किशोरी छात्रा के बीच के प्रेम संबंध की कहानी है, जिसे सेंसर बोर्ड ने आपत्तिजनक मुद्दा बताया है।
इस फिल्म को अब फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण (एफसीएटी) द्वारा स्वीकृति मिल चुकी है और इसे 13 जनवरी, 2017 को रिलीज किया जाएगा।
अपने फेसबुक पेज पर जारी एक पोस्ट में गुनीत ने कहा, “मैं आज बहुत खुश हूं, क्योंकि हमने पिछले छह माह से चल रहा केस जीत लिया है और हमें यू/ए प्रमाणपत्र मिल गया है।”
गुनीत ने कहा, “पिछले तीन साल में हमने सीखा है कि एक अच्छी फिल्म बनाना ही काफी नहीं है। एक स्वतंत्र फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर चलना बेहद जरूरी है।”
इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी को 35 वर्षीय शिक्षक और अभिनेत्री श्वेता त्रिपाठी को 15 वर्षीया छात्रा के रूप में देखा जाएगा। इस फिल्म से श्लोक शर्मा बतौर निर्देशक करियर की शुरुआत कर रहे हैं।
फिल्म को विभिन्न फिल्मोत्सवों में दर्शाया जा चुका है। इसने 13वें ‘इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ लॉस एंजेलिस’ (आईएफएफएलए) और 17वें जियो मामी मुंबई फिल्मोत्सव में पुरस्कार भी जीता।
फिल्म को रिलीज की अनुमित मिलने पर खुश गुनीत ने कहा, “यह फिल्म आज जहां पहुंची है, उसमें फेसबुक के दोस्तों का योगदान है। अब इसे दुनिया को दिखाने की जरूरत है।”
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मशहूर फिल्म निर्माता और निर्देशक सुभाष घई की तबियत बिगड़ी, लीलावती अस्पताल में भर्ती
नई दिल्ली। मशहूर फिल्म निर्माता और निर्देशक सुभाष घई को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 79 वर्षीय को सांस संबंधी समस्याओं, कमजोरी और बार-बार चक्कर आने के बाद बुधवार को आईसीयू में ले जाया गया था। अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, घई वर्तमान में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. विजय चौधरी, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नितिन गोखले और पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. जलील पारकर सहित विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम की कड़ी निगरानी में हैं।
कौन हैं सुभाष घई?
राम लखन (1989), खलनायक (1993), हीरो (1983), कर्ज़ (1980) जैसी फिल्में बनाने वाले सुभाष घई एक दिग्गज डायरेक्टर हैं। सुभाष घई को शोमैन के नाम से भी जाना जाता है। 1976 से सुभाष फिल्मों का निर्देशन कर रहे हैं। सुभाष ने 1976 में फिल्म कालीचरण (1976) से शुरुआत की, यह फिल्म उन्होंने बिना किसी पूर्व निर्देशन अनुभव के बनाई। एनएन सिप्पी के पास आने से पहले फिल्म को सात बार खारिज कर दिया गया था, जिन्होंने घई को मौका दिया था। इसके बाद उन्होंने दो साल बाद विश्वनाथ (1978) के साथ काम किया, लेकिन अपनी तीसरी फिल्म और पहली बार अपने मुक्ता आर्ट्स बैनर के तहत, कर्ज़ (1980) के साथ बड़ी सफलता हासिल की। ऋषि कपूर और टीना मुनीम की हिट जोड़ी के साथ, कर्ज़ ने सुभाष और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को एक साथ लाया। सुभाष घई अब तक बॉलीवुड में कई फिल्में डायरेक्ट कर चुके हैं। जिनमें से कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही हैं।
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