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एम्स में कैंसर के मुफ्त इलाज के लिए याचिका दाखिल

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नई दिल्ली,रक्त कैंसर,अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,आनंद कुमार मौर्य

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नई दिल्ली | रक्त कैंसर से पीड़ित एक व्यक्ति के भाई ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है। इस याचिका में याचिकाकर्ता ने न्यायालय से मांग की है कि वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को उसके भाई का मुफ्त और निरंतर उपचार करने का आदेश दे। याचिकाकर्ता का कहना है कि वह इलाज की राशि का खर्च वहन नहीं कर सकता। याचिका में कहा गया है कि 30 वर्षीय सतीश की एम्स में कीमोथेरेपी चल रही है और उसका परिवार उसके इलाज पर पहले ही तीन लाख रुपये खर्च कर चुका है।

सतीश के भाई आनंद कुमार मौर्य ने वकील अशोक अग्रवाल की मदद से न्यायालय में याचिका दायर की है। इस याचिका में कहा गया है कि मथुरा का निवासी सतीश एक फोटोकॉपी और लेमीनेशन की दुकान चलाता था। मार्च माह में पता चला कि वह बरकिट ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर का प्रकार) से ग्रसित है। बीमारी का पता चलने से मात्र तीन माह पहले ही उसकी शादी हुई थी। याचिका में कहा गया है कि बीमारी के कारण दुकान बंद करनी पड़ी और उसके इलाज के खर्च का वहन करने के लिए दुकान की सारी मशीनें भी बेचनी पड़ीं। याचिका में कहा गया है कि सतीश के पिता रेलवे में चतुर्थ श्रेणी के अधिकारी हैं और अब छह लोगों के परिवार में अकेले वही कमाने वाले बचे हैं। सतीश के पिता की मासिक आय 12,000 रुपये है।

याचिका में कहा गया है कि रोगी के पिता ने अपनी सारी बचत उसके इलाज पर खर्च कर दी और यहां तक कि उनके भविष्य निधि खाते में भी कुछ नहीं बचा है।याचिकाकर्ता ने कहा, “उनसे (परिवार को) हाल ही में छह लाख रुपये के अतिरिक्त अनुमानित खर्च की बात कही गई है, जिसका वहन करने में वे असमर्थ हैं। याचिकाकर्ता चाहता है कि सतीश की जिंदगी बचाने के लिए उसका निरंतर और मुफ्त इलाज किया जाए।” याचिका में कहा गया है कि परिवार इस खर्च को वहन करने की स्थिति में नहीं है और इस तरह की परिस्थिति में सतीश की कीमोथेरेपी रुक सकती है। इलाज रुकने से पूर्व में किए गए रोगी के उपचार का उल्टा प्रभाव पड़ सकता है और इससे उसका जीवन खतरे में पड़ सकता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि उन्होंने एम्स के निदेशक को भी रोगी का मुफ्त में इलाज जारी रखने का आग्रह किया था, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।

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कौन है नारायण सिंह चौरा ? जिसने पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की हत्या करने का प्रयास किया

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अमृतसर। शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को बुधवार को पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के बाहर ‘सेवादार’ की ड्यूटी करते समय एक शख्स ने गोली मार दी। गोली दीवार पर लगने से व्हीलचेयर पर बैठे सुखबीर सिंह बादल बाल बाल बच गये। आखिर किस शख्स ने सुखबीर सिंह बादल पर गोली चलाई और उसका मकसद क्या था। तो बता दें कि फायरिंग करने वाले शख्स का नाम नारायण सिंह चौरा है जिसने गोली चलाई जिससे हड़कंप मच गया और तुरंत ही स्वर्ण मंदिर के बाहर खड़े कुछ लोगों ने उसे पकड़ लिया।

कौन हैं नारायण सिंह चौरा?

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, नारायण सिंह चौरा एक खालिस्तानी पूर्व आतंकवादी है, जिस पर पहले भी कई मामले दर्ज हुए हैं और वह भूमिगत रहा है। चौरा, कुछ वर्षों तक पंथिक नेता के रूप में सक्रिय था, वह डेरा बाबा नानक क्षेत्र से हैं। मंगलवार को वह सफेद कुर्ता-पायजामा पहनकर सुखबीर बादल के पास घूमता भी दिखाई दिया था। वह बुड़ैल जेलब्रेक का मास्टरमाइंड था। चौरा ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल के आतंकवादियों जगतार सिंह हवारा और परमजीत सिंह भियोरा को उनके दो साथियों जगतार सिंह तारा और देवी सिंह के साथ बुड़ैल जेल से भागने में मदद की थी। उसने जेल की बिजली सप्लाई काफी देर के लिए बंद कर दी थी।

जानिए पाकिस्तान से चौरा का कनेक्शन

कथित तौर पर नारायण सिंह चौरा 1984 में पंजाब में आतंकवाद के शुरुआती चरण के दौरान पाकिस्तान भाग गया था। वहां उसने भारत में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में अहम भूमिका निभाई। पाकिस्तान में, उन्होंने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध और देशद्रोही साहित्य पर एक किताब भी लिखी थी। चौरा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड में संदिग्ध था।

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