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ऑफ़बीट

और अनुष्का शर्मा के सामने रो पड़े विराट कोहली!

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नई दिल्ली। टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने पहली बार मीडिया के सामने अपनी निजी जिन्दगी के बारे में खुलासा किया है। कोहली ने एक इंटरव्यू में अपने निजी जीवन के बारे में खुलासा करते हुए कहा है कि उनके जीवन एक ऐसा भी पल आया था जब अनुष्का शर्मा के सामने आंसू झलक पड़े थे।

कोहली ने खुलासा किया कि अनुष्का के साथ उनके जीवन का यह यादगार लम्हा मोहाली से जुड़ा है। यह पल था उनको टीम इंडिया की कप्तानी सौंपे जाने का।

विराट कोहली ने कहा, ‘मैं मोहाली में टेस्ट सीरीज खेल रहा था। मैंने तुरंत अनुष्का को फोन लगाकर पूरी बात बताई। कप्तानी मिलने की खबर सुनकर मैं अपने क्रिकेट करियर के अतीत में चला गया था, मैं उन सारे पलों को याद करने लगा, जो मैंने अकेडमी से लेकर यहां तक तय किया था. उस वक्त मैं भावुक होकर रोने लगा था, क्योंकि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं यह दिन देख पाऊंगा।’ कोहली ने कहा कि ज्यादा खूबसूरत यह था कि मैंने इसे अनुष्का के साथ शेयर किया। यह ऐसी चीज है, जिसे मैं हमेशा याद रखूंगा।

ज्ञात हो अनुष्का शर्मा और विराट कोहली एक दुसरे को कई वर्षों से डेट कर रहे हैं। हालांकि पहले-पहल तो दोनों अपने रिश्ते को लेकर मीडिया के सामने कुछ भी बोलने से बचते थे, लेकिन हाल के दिनों में दोनों को कई बार साथ में देखा गया और दोनों ने मीडिया से भी दूरी नहीं बनायी।

अन्तर्राष्ट्रीय

नींद के कारण गलती से हुआ 1990 करोड़ से ज्यादा ट्रांसफर, जानें पूरी रिपोर्ट

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जर्मनी। जर्मनी में लगभग 12 साल पहले एक बैंक में ऐसा अजीबोगरीब वाकया हुआ था जिसने सभी को हैरान कर दिया है। एक कर्मचारी काम के दौरान कंप्यूटर के की-बोर्ड पर उंगली दबाए हुए सो गया। इस गलती के कारण एक शख्स को 64.20 यूरो की जगह 222 मिलियन यूरो (करीब 1990 करोड़ रुपये से ज्यादा) ट्रांसफर हो गए। गनीमत रही कि एक अन्य कर्मचारी ने समय रहते इस गलती को पकड़ लिया जिसके बाद ट्रांजैक्शन को रोक दिया गया।

शुरू हुई कानूनी लड़ाई

यह घटना साल 2012 की है जो अब इंटरनेट पर वायरल हो रही है। मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह रही है क्लर्क की इस गलती पर सुपरवाइजर ने भी ध्यान नहीं दिया और इस ट्रांजैक्शन को अप्रूव कर दिया। ट्रांजैक्शन की जांच करने की जिम्मेदारी सुपरवाइजर की थी लिहाजा बैंक ने इस बड़ी गलती के लिए उसे जिम्मेदार ठहराते हुए नौकरी से निकाल दिया। मामला जर्मनी की लेबर कोर्ट तक पहुंचा और मामले में कानूनी लड़ाई शुरू हुई।

अदालत ने सुनाया फैसला

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जर्मनी के हेस्से स्टेट की लेबर कोर्ट की ओर से इस मामले में आदेश दिया गया। कोर्ट ने बैंक द्वारा कर्मचारी को नौकरी से निकालने के फैसले को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि यह गलती क्लर्क ने जानबूझकर नहीं की थी। अदालत की ओर से यह भी कहा गया कि कर्मचारी ने भले ही अपनी गलती पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उसके कार्यों के लिए उसे बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने यह भी कहा

कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारी पर समय का बहुत दबाव था, वह रोजाना सैकड़ों लेन-देन की समीक्षा करता था। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का भी जिक्र किया कि 222 मिलियन यूरो के गलत ट्रांजैक्शन वाली घटना के दिन कर्मचारी ने 812 डॉक्युमेंट्स को संभाला था और हर डॉक्युमेंट पर वो महज कुछ सेकेंड का समय ही दे पा रहा था। अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारी की ओर से जानबूझकर की गई लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में बर्खास्तगी के बजाय औपचारिक चेतावनी ही पर्याप्त थी।

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