मुख्य समाचार
केजरीवाल लालू की वंशवादी राजनीति के खिलाफ
नई दिल्ली| दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को अपनी पार्टी से कहा कि वह राष्ट्रीय जनता दल(राजद) के नेता लालू प्रसाद यादव की वंशवादी राजनीति के खिलाफ हैं और वह उस समय असहज स्थिति में हो गए, जब लालू ने उन्हें गले लगा लिया। केजरीवाल ने यहां ‘आप’ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कहा, “नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में लालू प्रसाद मंच पर थे। उन्होंने मुझसे हाथ मिलाया और मुझे अपने पास खींचकर गले लगा लिया।” केजरीवाल ने कहा, “इसे अलग तरह से पेश करके सवाल खड़े किए गए। हमने राजद के साथ गठबंधन नहीं किया है। हम उनके भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड के खिलाफ हैं और हमेशा उसका विरोध करेंगे।”
केजरीवाल ने कहा, “हम वंशवादी राजनीति के खिलाफ हैं। उनके दो बेटे मंत्री हैं, हम उसके भी खिलाफ हैं।” लेकिन लालू से गले लगने के कारण सोशल मीडिया पर हुई आलोचना को लेकर केजरीवाल बेफ्रिक दिखाई दिए। केजरीवाल ने कहा, “मैं खुश हूं कि सवाल उठाए जा रहे हैं। सवाल इसलिए ही उठाए जाते हैं, क्योंकि लोगों को ‘आप’ पर भरोसा है और उन्हें लगता है कि हम दूसरों से अलग हैं।” केजरीवाल ने कहा, “जब अन्य नेता लालूजी को गले लगाते हैं, तब कोई भी ऐसे सवाल नहीं पूछता। यह हमारे लिए अच्छा है।” केजरीवाल ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थन के लिए भी अपना बचाव किया। केजरीवाल ने कहा, “मैं बिहार गया था। नीतीश एक भले व्यक्ति हैं। लोगों ने हमें बताया कि नीतीश ने अच्छा काम किया है। हमने वहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ काम किया और उनका समर्थन किया।”
अन्तर्राष्ट्रीय
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत के अलावा चार और देशों से अपने राजदूत वापस बुलाए
ढाका। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, पुर्तगाल और संयुक्त राष्ट्र से बांग्लादेश के राजदूत वापस बुलाए गए हैं। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद बांग्लादेश और भारत के संबंध कुछ खास नहीं रहे हैं। वहीं, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रशासनिक प्रभाग के आदेश देश की विदेश नीति को लेकर अच्छे नहीं रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि भारत में उच्चायुक्त सहित जिन राजदूतों को वापस बुलाया गया है, उनमें से कई राजनीतिक नियुक्तियां नहीं थीं।
भारत में उच्चायुक्त मुस्तफिजुर रहमान के अलावा जिन अन्य लोगों को वापस बुलाया गया है, उनमें न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी प्रतिनिधि और ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम और पुर्तगाल में बांग्लादेश के राजदूत शामिल हैं। जिन राजदूतों को वापस बुलाया गया है, वह आने वाले महीनों में रिटायर होने वाले थे। भारत में उच्चायुक्त रहमान भी इनमें शामिल हैं।
यूनुस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच नहीं हो पाई थी बैठक
बांग्लादेश में छात्र संगठनों के नेतृत्व में लगातार विरोध प्रदर्शन हुए। इसके कारण अगस्त की शुरुआत में शेख हसीना की सरकार गिर गई और उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस घटना के बाद से भारत-बांग्लादेश संबंध खराब स्थिति में हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में कार्यवाहक प्रशासन ने हसीना के पद छोड़ने के कुछ दिनों बाद ही कार्यभार संभाल लिया। वहीं, हसीना ने बांग्लादेश छोड़ने के बाद भारत में शरण ली। ढाका में कार्यवाहक व्यवस्था ने पिछले महीने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान यूनुस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक कराने के लिए लगातार प्रयास किए। हालांकि, यूनुस ने भारत की आलोचना की थी और शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा भी उठाया था। इससे भारतीय पक्ष नाखुश था और दोनों नेताओं की मुलाकात नहीं हो पाई।
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