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ऑफ़बीट

घर बैठकर एक लाख कमाने का सुनहरा मौका दे रहा रेलवे

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नई दिल्ली। अगर आप पैसे कमाना चाहते हैं तो रेलवे की तरफ आपको मौका दिया जा रहा है। इसमें आप घर बैठकर ही एक लाख रुपये तक कमा सकते हैं। इसके लिए बस आपको एक छोटा सा काम करना होगा।

दरअसल भारतीय रेलवे आईआरसीटीसी के डिजाइन और नाम में बड़ा बदलाव करने की तैयारी कर रही है। इस बदलाव में वह आम आदमी का साथ चाहती है। इसके लिए उसने एक आयोजन किया है। इसमें आपको 1 लाख रुपये तक मिल सकते हैं।

आईआरसीटीसी ने ‘SUGGEST A TAGLINE’ कंप्टीशन शुरू किया है। इसमें आपको रेलवे की बेस्ट टैगलाइन सुझाने पर 50 हजार रुपये का इनाम दिया जाएगा। इसके अलावा आईआरसीटीसी ने लोगो डिजाइन कॉन्टेस्ट भी शुरू किया है। लोगो डिजाइन करने पर विजेता को एक लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा।

प्रतियोगिता के तहत लोग डिजाइनिंग और पंचलाइन दोनों श्रेणियों में एक साथ या अलग-अलग हिस्सा ले सकते हैं। पंचलाइन अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत तीनों में से किसी भी भाषा में बनाई जा सकती है।

रेलवे की तरफ से आयोजित किए जाने वाले इन कंप्टीशन के लिए भारत की नागरिकता रखने वाले अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं। साथ ही इसके लिए आईआरसीटीसी में काम करने वाले कर्मचारी और उनके परिवार के लोग हिस्सा नहीं ले सकते। कंप्टीशन में आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2018 है।

अन्तर्राष्ट्रीय

नींद के कारण गलती से हुआ 1990 करोड़ से ज्यादा ट्रांसफर, जानें पूरी रिपोर्ट

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जर्मनी। जर्मनी में लगभग 12 साल पहले एक बैंक में ऐसा अजीबोगरीब वाकया हुआ था जिसने सभी को हैरान कर दिया है। एक कर्मचारी काम के दौरान कंप्यूटर के की-बोर्ड पर उंगली दबाए हुए सो गया। इस गलती के कारण एक शख्स को 64.20 यूरो की जगह 222 मिलियन यूरो (करीब 1990 करोड़ रुपये से ज्यादा) ट्रांसफर हो गए। गनीमत रही कि एक अन्य कर्मचारी ने समय रहते इस गलती को पकड़ लिया जिसके बाद ट्रांजैक्शन को रोक दिया गया।

शुरू हुई कानूनी लड़ाई

यह घटना साल 2012 की है जो अब इंटरनेट पर वायरल हो रही है। मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह रही है क्लर्क की इस गलती पर सुपरवाइजर ने भी ध्यान नहीं दिया और इस ट्रांजैक्शन को अप्रूव कर दिया। ट्रांजैक्शन की जांच करने की जिम्मेदारी सुपरवाइजर की थी लिहाजा बैंक ने इस बड़ी गलती के लिए उसे जिम्मेदार ठहराते हुए नौकरी से निकाल दिया। मामला जर्मनी की लेबर कोर्ट तक पहुंचा और मामले में कानूनी लड़ाई शुरू हुई।

अदालत ने सुनाया फैसला

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जर्मनी के हेस्से स्टेट की लेबर कोर्ट की ओर से इस मामले में आदेश दिया गया। कोर्ट ने बैंक द्वारा कर्मचारी को नौकरी से निकालने के फैसले को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि यह गलती क्लर्क ने जानबूझकर नहीं की थी। अदालत की ओर से यह भी कहा गया कि कर्मचारी ने भले ही अपनी गलती पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उसके कार्यों के लिए उसे बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने यह भी कहा

कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारी पर समय का बहुत दबाव था, वह रोजाना सैकड़ों लेन-देन की समीक्षा करता था। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का भी जिक्र किया कि 222 मिलियन यूरो के गलत ट्रांजैक्शन वाली घटना के दिन कर्मचारी ने 812 डॉक्युमेंट्स को संभाला था और हर डॉक्युमेंट पर वो महज कुछ सेकेंड का समय ही दे पा रहा था। अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारी की ओर से जानबूझकर की गई लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में बर्खास्तगी के बजाय औपचारिक चेतावनी ही पर्याप्त थी।

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