साइंस
जहां बच्चियां तरुणाई में बन जाती हैं लड़का!
लंदन| तरुणाई की स्थिति में पहुंचने पर लड़कों की आवाज का भारी होना और मूड का बात-बात पर बदलना तो सभी जानते हैं लेकिन, डोमिनिकन गणराज्य के एक हिस्से में ऐसा कुछ हो रहा है जो दुनिया में कहीं नहीं होता। यहां तरुणाई की अवस्था में पहुंचने के बाद लड़कों में लिंग विकसित होता है। यह जगह डोमिनिकन गणराज्य के दक्षिण पश्चिम में है। एक अलग-थलग पड़ा गांव है, जिसका नाम सालिनास है। बीबीसी की विज्ञान श्रृंखला ‘काउंटडाउन टू लाइफ-द एक्स्ट्राआर्डनरी मेकिंग ऑफ यू’ में सालिनास के बच्चों की कहानी दिखाई गई है।
टेलीग्राफ डॉट को डॉट यूके के मुताबिक, सालिनास में 90 में से किसी एक बच्चे में यह दुर्लभ अनुवांशिकी विकार सामने आता है। इस गांव में ऐसे बच्चों को ‘गुएवेडोसेस’ कहा जाता है जिसका अर्थ है- 12 की उम्र में लिंग। रिपोर्ट के मुताबिक, इस विकार की वजह एक एनजाइम का न होना है। इस वजह से गर्भाशय में पुरुष सेक्स हारमोन-डिहाइड्रो टेस्टोसटेरोन नहीं बनता है।
इसी वजह से ऐसे बच्चों के पास पैदा होने के वक्त अंडकोष नहीं होता और लगता है जैसे उनके शरीर में योनि है। लेकिन, 12 साल की उम्र में टेस्टोस्टेरोन का उबाल जैसा आता है और पुरुष जननांग उभर कर सामने आने लगते हैं। तो, जो बात मां के गर्भ में होनी चाहिए वह 12 साल बाद होती है। फिर इन लड़कों की आवाज भारी होने लगती है और अंत में उन्हें एक सामान्य लिंग की प्राप्ति हो जाती है।
साइंस
फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में
नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।
होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।
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