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झारखंड में दो नक्सलियों का आत्मसमर्पण, हथियारों का जखीरा बरामद
रांची । झारखंड में दो नक्सलियों ने गुरुवार को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें से एक नक्सलियों का जोनल कमांडर भी है, जिस पर 15 लाख रुपये का ईनाम रखा हुआ था।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और झारखंड पुलिस ने आतंकवादियों से मिली खुफिया सूचना के आधार पर लोहरदग्गा जिले में संयुक्त अभियान चलाया था, जिस दौरान हथियारों का जखीरा बरामद किया गया।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के जोनल कमांडर नकुल यादव की निशानदेही पर यह बरामदगी की गई है। नकुल ने गुरुवार सुबह अपने साथी मदन यादव के साथ अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ऑपरेशंस) आर.के.मलिक और रांची रेंज के उपमहानिरीक्षक ए.बी.होमकर के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था।
नकुल यादव पुलिकर्मियों की हत्या सहित नक्सली गतिविधियों के 70 से अधिक मामलों में वांछित था। वह बिहार और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय था।
क्षेत्रीय कमांडर पर नक्सल मसूह में जबरन बच्चों की भर्ती करने का आरोप भी है। हालांकि, उसने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा, “बच्चे अपनी इच्छा से हमारे संगठन में शामिल हो रहे हैं।”
नकुल से मिली जानकारी के आधार पर लाहोरदग्गा जिले के जंगलों में संयुक्त अभियान चलाया गया और एसएलआर, एके-47, मशीन गन व 3,000 कारतूसों सहित 13 राइफलें बरामद की गईं। इस दौरान पुलिस ने सेना की वर्दी और साहित्य भी बरामद किए।
यह अभियान पिछले महीने छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों के हमले के बाद शुरू किया गया, जिसमें सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए।
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कौन है नारायण सिंह चौरा ? जिसने पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की हत्या करने का प्रयास किया
अमृतसर। शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को बुधवार को पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के बाहर ‘सेवादार’ की ड्यूटी करते समय एक शख्स ने गोली मार दी। गोली दीवार पर लगने से व्हीलचेयर पर बैठे सुखबीर सिंह बादल बाल बाल बच गये। आखिर किस शख्स ने सुखबीर सिंह बादल पर गोली चलाई और उसका मकसद क्या था। तो बता दें कि फायरिंग करने वाले शख्स का नाम नारायण सिंह चौरा है जिसने गोली चलाई जिससे हड़कंप मच गया और तुरंत ही स्वर्ण मंदिर के बाहर खड़े कुछ लोगों ने उसे पकड़ लिया।
कौन हैं नारायण सिंह चौरा?
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, नारायण सिंह चौरा एक खालिस्तानी पूर्व आतंकवादी है, जिस पर पहले भी कई मामले दर्ज हुए हैं और वह भूमिगत रहा है। चौरा, कुछ वर्षों तक पंथिक नेता के रूप में सक्रिय था, वह डेरा बाबा नानक क्षेत्र से हैं। मंगलवार को वह सफेद कुर्ता-पायजामा पहनकर सुखबीर बादल के पास घूमता भी दिखाई दिया था। वह बुड़ैल जेलब्रेक का मास्टरमाइंड था। चौरा ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल के आतंकवादियों जगतार सिंह हवारा और परमजीत सिंह भियोरा को उनके दो साथियों जगतार सिंह तारा और देवी सिंह के साथ बुड़ैल जेल से भागने में मदद की थी। उसने जेल की बिजली सप्लाई काफी देर के लिए बंद कर दी थी।
जानिए पाकिस्तान से चौरा का कनेक्शन
कथित तौर पर नारायण सिंह चौरा 1984 में पंजाब में आतंकवाद के शुरुआती चरण के दौरान पाकिस्तान भाग गया था। वहां उसने भारत में हथियारों और विस्फोटकों की बड़ी खेप की तस्करी में अहम भूमिका निभाई। पाकिस्तान में, उन्होंने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध और देशद्रोही साहित्य पर एक किताब भी लिखी थी। चौरा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड में संदिग्ध था।
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