मुख्य समाचार
टोल पर 11 नवंबर तक लिए जाएंगे 500, 1,000 के पुराने नोट
नई दिल्ली। सरकार ने टोल प्लाजा संचालकों को 11 नवंबर की मध्यरात्रि तक अवैध करार दिए जा चुके 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को स्वीकार करने की इजाजत दे दी। सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को निर्देश दिया गया है कि सभी टोल संचालक 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट स्वीकार करें।
मंत्रालय की ओर से जारी वक्तव्य के अनुसार, सरकार ने सभी टोल प्लाजा संचालकों को 11 नवंबर की मध्यरात्रि तक 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट स्वीकार करने की इजाजत दे दी है। एनएचएआई ने सभी संचालकों को निर्देश जारी कर दिए हैं।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों के विमुद्रीकरण की वजह से राष्ट्रीय राजमार्ग पर सफर करने वाले यात्रियों को हो रही परेशानी को देखते हुए यह आदेश जारी किया गया। उल्लेखनीय है कि काले धन पर लगाम लगाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को बड़े नोटों के विमुद्रीकरण की घोषणा की।
अन्तर्राष्ट्रीय
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत के अलावा चार और देशों से अपने राजदूत वापस बुलाए
ढाका। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, पुर्तगाल और संयुक्त राष्ट्र से बांग्लादेश के राजदूत वापस बुलाए गए हैं। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद बांग्लादेश और भारत के संबंध कुछ खास नहीं रहे हैं। वहीं, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रशासनिक प्रभाग के आदेश देश की विदेश नीति को लेकर अच्छे नहीं रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि भारत में उच्चायुक्त सहित जिन राजदूतों को वापस बुलाया गया है, उनमें से कई राजनीतिक नियुक्तियां नहीं थीं।
भारत में उच्चायुक्त मुस्तफिजुर रहमान के अलावा जिन अन्य लोगों को वापस बुलाया गया है, उनमें न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी प्रतिनिधि और ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम और पुर्तगाल में बांग्लादेश के राजदूत शामिल हैं। जिन राजदूतों को वापस बुलाया गया है, वह आने वाले महीनों में रिटायर होने वाले थे। भारत में उच्चायुक्त रहमान भी इनमें शामिल हैं।
यूनुस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच नहीं हो पाई थी बैठक
बांग्लादेश में छात्र संगठनों के नेतृत्व में लगातार विरोध प्रदर्शन हुए। इसके कारण अगस्त की शुरुआत में शेख हसीना की सरकार गिर गई और उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस घटना के बाद से भारत-बांग्लादेश संबंध खराब स्थिति में हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में कार्यवाहक प्रशासन ने हसीना के पद छोड़ने के कुछ दिनों बाद ही कार्यभार संभाल लिया। वहीं, हसीना ने बांग्लादेश छोड़ने के बाद भारत में शरण ली। ढाका में कार्यवाहक व्यवस्था ने पिछले महीने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान यूनुस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक कराने के लिए लगातार प्रयास किए। हालांकि, यूनुस ने भारत की आलोचना की थी और शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा भी उठाया था। इससे भारतीय पक्ष नाखुश था और दोनों नेताओं की मुलाकात नहीं हो पाई।
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