प्रादेशिक
त्रिपुरा विधानसभा उपचुनाव में माकपा ने दोनों सीटें जीतीं
अगरतला | त्रिपुरा में सत्ताधारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत वाम मोर्चा विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस से एक सीट छीनने में कामयाब रहा, जबकि दूसरी सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा। इस तरह 60 सदस्यीय विधानसभा में उसके सदस्यों की संख्या बढ़कर 51 हो गई है
चुनाव विभाग के अधिकारियों के अनुसार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बरजाला विधानसभा सीट कांग्रेस पार्टी से छीन ली और खोवाई विधानसभा सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा। माकपा ने दो सीटों सीटों पर सापेक्षिक रूप से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों को हराया। विधानसभा उपचुनाव गत 19 नवम्बर को हुआ था।
चुनाव विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि बजराला विधानसभा सीट पर माकपा के युवा नेता झुनू सरकार ने भाजपा उम्मीदवार और पूर्व नौकरशाह शिस्ता मोहन दास को 3,374 मतों के अंतर से हराया। सरकार को 15,769 मत मिले, जबकि दास को 12,395 मत मिले।
अधिकारी ने कहा कि खोवाई सीट पर माकपा के विश्वजीत दत्ता ने तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार और पूर्व वाम नेता मनोज दास को 16,094 मतों के अंतर से हराया। दत्ता को 24,810 मत मिले, जबकि दास 8,716 मत मिले।
वाम दल शासित त्रिपुरा में पूर्व मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के उम्मीदवार दोनों सीटों पर चौथे स्थान पर रहे। दोनों सीटों पर पांच-पांच उम्मीदवार चुनाव लड़े थे और शनिवार को हुए मतदान में दोनों विधानसभा क्षेत्रों में 91 प्रतिशत मतदान हुआ था। दोनों क्षेत्रों में कुल 78,400 मतदाता हैं।
उत्तर प्रदेश
बीते 5 सालों से किन्नरों के हक के लिए संघर्ष कर रहीं हैं लखनऊ की सोशल वर्कर गरिमा सिंह
लखनऊ। हमारे समाज का ताना–बाना मर्द और औरत से मिलकर बना है, लेकिन एक तीसरा जेंडर भी हमारे समाज का हिस्सा है, इसकी पहचान कुछ ऐसी है जिसे सभ्य समाज में अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता, समाज के इस वर्ग को थर्डजेंडर, किन्नर या हिजड़े के नामसे जाना जाता है। पूरे समाज में इनके दिल की बात और आवाज़ कोई सुनना नहीं चाहता क्योंकि पूरे समाज के लिए इन्हें एक बदनुमा दाग़ समझा जाता है, लोगों के लिए ये सिर्फ़ हंसी के पात्र हैं।
लेकिन, हाल ही में इनकी ज़िंदगी में झांकने की कोशिश की है लखनऊ की सोशल वर्कर गरिमा सिंह ने इनकी ज़िंदगी के जो रंग आज तक किसी ने नहीं देखे थे उन रंगों को समाज में गरिमा सिंह ने दिखाया है, गरिमा बीते 5 वर्षों से किन्नरों के हक के लिए संघर्ष कर रही है। किन्नरों के मान सम्मान के लिए वह प्रतिवर्ष नवरात्र के समापन अवसर पर किन्नर अर्धनारीश्वर भोज का आयोजन करती है। इस बार भी गरिमा सिंह ने नवरात्र समापन के मौके पर गोमती नगर एक्सटेंशन, होटल द लीफ में किन्नर भोज का आयोजन करके उन्हें भोजन कराकर सम्मानित किया। गरिमा ने किन्नरों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उनका सम्मान करके प्रदेश व देश में एक अच्छा संदेश दिया।
समाज में लिंग के आधार पर कार्य में भेदभाव: गरिमा सिंह
समाज हर तरह के लोगों से मिलकर बनता है, जिसमें अलग–अलग लोगों काभिन्न–भिन्न पेशा होता है। जिसका सम्मान करना सबका दायित्व बनता है। लेकिन समाज में लिंग के आधार पर कार्य में भेदभाव आमतौर पर देखने कोमिलता है। समाज में आज भी किन्नर समुदाय को सम्मान या दर्ज़ा नहीं दिया गया है , जो समाज में रहने वाले आम नागरिकों के पास मौजूद है। यह वही किन्नर समुदाय है जो लोगों की छोटी से बड़ी खुशियों में शामिल होता है। लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाता है। समाज कहता है कि किन्नर द्वारा दिया गया आशीर्वाद बहुत शुभ होता है। इसके बावजूद भी समाज में उन्हें सम्मान ना मिलना, समाज में रहने वाले लोगों की दोहरी मानसिकता को साफ़ तौर पर दर्शाता है।
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