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धीरे-धीरे बंदर का रूप ले रही है ये बच्ची, लोग बुलाते हैं मंकी गर्ल

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नई दिल्ली। कहते है ‘सुनने से ज्यादा हम दिखाई गई या देखी गई चीजो पर ज्यादा यकीन करते है तो आज हम आपको एक ऐसी तस्वीर दिखाने लाए है जो आजकल सोशल मीडिया पर धड़ले से वायरल हो रही है।

दरअसल, अगर आप भी बाकियों की तरह इस फोटो को देखकर इसे मंकी समझ रहे है तो हम आपको बता दें ये कोई मंकी नहीं बल्कि एक लड़की है ये बच्ची जहां भी जाती है। लोग इसे बड़ी हैरानी भरी नजरों से देखने लगते है।

इसके पीछे की वजह है इसका बालों से भरा चेहरा है। जी हां, इस बच्ची को लोग इसके असली नाम की जगह मंकी फेस जैसे नामों से बुलाने लगे है।

ख़बरों के मुताबिक इस बच्ची का असली नाम सुपात्रा सासुफान है। एक अजीब बीमारी की वजह से इस लड़की का चेहरा नॉर्मल लोगों से काफी अलग और अजीब है।

हालांकि ये बच्चीं आम लोगों की तरह हर काम खुद से करने में सक्षम है।

डॉक्टरों के मुताबिक, ये बच्ची ‘अमब्रास सिंड्रोम’ नाम की बीमारी से ग्रसित है। बताया जा रहा है कि इस बीमारी में पूरे चेहरे पर बाल उग आते हैं।

सुपात्रा के ये बाल चेहरे के अलावा हाथ, कान, पीठ और पैरों पर भी हैं। अपनी बेटी को इस बिमारी से छुटकारा पाने के लिए उसके माता-पिता ने लेजर ट्रीटमेंट का भी सहारा लिया, लेकिन बावजूद इसमें किसी प्रकार का कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है।

 

 

 

 

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बेंगलुरु में ऑटो चालक ने लिखवाया अनोखा स्लोगन, सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट से मचा बवाल

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बेंगलुरु। आखिर ऑटो वाले ने अपनी गाड़ी के पीछे ऐसा क्या लिखवा दिया, जिस पर इतना हो हंगामा मच गया. दरअसल, ऑटो ड्राइवर ने महिलाओं के सम्मान में इंग्लिश में कुछ लाइनें लिखवाई थीं, ‘Slim or fat, black or white, virgin or not. All girls deserve respect.’ मतलब- मोटी हो या पतली, गोरी हो या काली, कुंआरी हो या न हो. सभी लड़कियों को सम्मान मिलना चाहिए. किसी राहगीर की नजर जब इस स्लोगन पर पड़ी, तो उसने फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी, जो अब इंटरनेट पर वायरल है.

सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट

30 सितंबर को @kreepkroop एक्स हैंडल से यूजर ने तस्वीर शेयर कर लिखा, बेंगलुरु की सड़कों पर कुछ कट्टर नारीवादी. इस पोस्ट को अब तक 90 हजार बार देखा जा चुका है, जबकि लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. जहां कई यूजर्स ने ऑटो वाले के स्लोगन को विवादित करार दिया, तो वहीं कई लोगों का मानना है कि इसमें कट्टर नारीवाद जैसा कुछ भी नहीं है.

एक यूजर ने कमेंट किया, ऑटो वाले भैया अधिकांश पढ़े-लिखे लोगों की तुलना में कहीं अधिक सम्य हैं. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि लोगों को इसमें कट्टर नारीवादी सोच कहां से दिख गई. वहीं, दूसरे यूजर का कहना है, यह कट्टर नारीवाद नहीं है. पर इस बात से जरूर सहमत हूं कि लिखने का अंदाज थोड़ा अटपटा है. वर्जिन या नॉट वर्जिन की जगह मैरिड या अनमैरिड भी लिखा जा सकता था. फिर भी, ड्राइवर कम से कम महिलाओं का सम्मान तो कर रहा है. एक अन्य यूजर ने लिखा, कुछ भी बकवास लिखा है. ये वर्जिन क्या होता है

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