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नेपाल भूकंप : मददगारों को त्वरित मंजूरी दी जाएगी

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नई दिल्ली | केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने नेपाल भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए स्वैच्छिक संगठनों/न्यासों के आवेदनों को मंजूरी देने की प्रक्रिया में तेजी लाने का फैसला किया है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में इसकी घोषणा की है। मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, इस तरह के सभी आवेदनों पर दो कार्य-दिवसों के भीतर विचार किया जाएगा।

बयान के अनुसार, स्वैच्छिक संगठनों/न्यासों द्वारा आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 11(1)(सी) के तहत मांगी गई अनुमति पर मंत्रालय ने यह फैसला किया है। विज्ञप्ति के अनुसार, “विभाग की यह कोशिश रहेगी कि वह आवेदन प्राप्त होने के दो दिनों के भीतर उन पर कार्रवाई करनी शुरू कर दे। इस तरह के आवेदनों के साथ संलग्न करने वाले दस्तावेजों की जानकारी आयकर विभाग की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है।”

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मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का आज आखिरी कार्य दिवस

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नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को आज यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से विदाई दी गई. उन्होंने अपना दो साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को सुप्रीम कोर्ट में आयोजित एक फेयरवेल समारोह में विदाई दी गई. इस दौरान उन्होंने सीजीआई के तौर पर अपना आखिरी संदेश भी दिया.इस समारोह में जस्टिस संजीव खन्ना जो देश के अगले चीफ जस्टिस बनेंगे, उन्होंने CJI चंद्रचूड़ के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि उनके (डी.वाई. चंद्रचूड़) हटने से उच्चतम न्यायलय में एक खालीपन आ जाएगा जिसे हम सोमवार से महसूस करेंगे।

बार एसोसिएशन का दिया धन्यवाद

अपने विदाई समारोह को संबोधित करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इतने बड़े सम्मान के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन को धन्यवाद दिया. इस दौरान उन्होंने अपने नाम से जुड़ा एक वाक्या सुनाया. उन्होंने कहा कि उनकी मां ने एक बार कहा था कि मैंने तुम्हारा नाम धनंजय रखा है, लेकिन ‘धनंजय’ में जो ‘धन’ है, वह भौतिक धन नहीं है.’

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को अपनी विदाई भाषण में कहा कि अगर मैंने किसी को जाने-अनजाने में ठेस पहुंचाई हो तो मुझे माफ कर देना. सीजेआई ने कहा कि जरूरतमंदों और उन लोगों की सेवा करने से बड़ा कोई एहसास नहीं है, जिन्हें वह नहीं जानते थे या जिनसे कभी नहीं मिले थे. अपने विदाई समारोह में सीजेआई ने एक युवा विधि छात्र के रूप में न्यायालय की अंतिम पंक्ति में बैठने से लेकर सुप्रीम कोर्ट के गलियारों तक के अपने सफर के बारे में बताया.

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