नेशनल
नेवी अफसरों पर गडकरी लाल-पीले, बोले- नहीं दूंगा 1 इंच जमीन
मुंबई। केंद्रीय पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक अभूतपूर्व ‘हमले’ में गुरुवार को भारतीय नौसेना की आलोचना करते हुए कहा कि वह ‘मुंबई के विकास की परियोजनाओं’ में रोड़ा अटका रही है, जिसमें नरीमन प्वाइंट पर फ्लोटिंग जेट्टी परियोजना का विरोध भी शामिल है। हाल ही में बंबई उच्च न्यायालय ने एक निजी ऑपरेटर को सीप्लेन सेवा लांच करने के लिए फ्लोटल जेट्टी बनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, क्योंकि निजी कंपनी को भारतीय नौसेना के पश्चिमी नौसेना कमांड ने सुरक्षा कारणों से अनुमति नहीं दी थी।
गडकरी ने यहां महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ अंतर्राष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल की आधारशिला रखते हुए कहा, “वास्तव में, मालाबार हिल (दक्षिण मुंबई) में नौसेना को क्या करना है. उन्हें देश की सीमा पर जाकर सुरक्षा करनी चाहिए।” भारतीय नौसेना पर विकास कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए गडकरी ने कहा कि नौसेना के लोग दक्षिण मुंबई में क्यों रहना चाहते हैं।
गडकरी ने पश्चिमी कमांड के प्रमुख वाइस एडमिरल गिरिश लूथरा समेत शीर्ष नौसेना अधिकारियों की उपस्थिति में कहा, “वे मेरे पास जमीन का एक टुकड़ा मांगने आए थे… मैं उन्हें एक इंच जमीन का टुकड़ा नहीं दूंगा। कृपया मेरे पास दोबारा मत आना।”
उन्होंने कहा कि हर कोई दक्षिण मुंबई की महंगी जमीन पर घर बनाना चाहता है, जबकि यहां केवल वरिष्ठ और महत्वपूर्ण अधिकारियों को ही रहना चाहिए।
गडकरी ने कहा, “हम आपकी इज्जत करते हैं, लेकिन आपको पाकिस्तान सीमा पर जाना चाहिए. पूर्वी समुद्री किनारों की भूमि राज्य सरकार और मुंबई पोर्ट ट्रस्ट द्वारा विकसित की जा रही है, जिससे स्थानीय नागरिकों को फायदा होगा।”
उन्होंने कहा, “हम सरकार हैं। यह नौसेना और रक्षा मंत्रालय सरकार नहीं है।” गडकरी ने भारतीय नौसेना पर विकास परियोजनाओं में अड़ंगा डालने की ‘आदत’ बनाने का आरोप लगाया और कहा कि सुरक्षा बल को मालाबार हिल क्षेत्र की चिंता क्यों है, जो कि एक आवासीय क्षेत्र है, जहां राज भवन और मुख्यमंत्री के अधिकारियों का निवास है।
पोत परिवहन मंत्री ने नौसेना से अपील की कि वह मुद्दों का समाधान करें, और कहा कि वे रुकी हुई अवसंरचना परियोजनाओं का रास्ता जल्द से जल्द साफ करने के लिए बनाई गई समिति के अध्यक्ष हैं।
नेशनल
पत्नी से परेशान सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने की आत्महत्या, जानें क्या है वजह
बेंगलुरु। उत्तर प्रदेश निवासी सॉफ्टवेयर इंजीनियर की आत्महत्या के मामले में मंगलवार को उसकी पत्नी और उसके परिजनों के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया. पुलिस ने बताया कि बेंगलुरु की एक निजी कंपनी में काम करने वाले अतुल सुभाष ने 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उसने शादी के बाद जारी तनाव और उसके खिलाफ दर्ज कई मामलों और उसकी पत्नी, उसके रिश्तेदार और उत्तर प्रदेश के एक न्यायाधीश की ओर से प्रताड़ित किए जाने का विस्तृत विवरण दिया है.
पुलिस ने बताया कि सुभाष का शव मंजूनाथ लेआउट क्षेत्र में स्थित उनके आवास पर फंदे से लटका मिला. उनके कमरे में एक तख्ती भी लटकी मिली, जिसमें लिखा था ‘न्याय मिलना बाकी’ है. अतुल सुभाष ने आत्महत्या करने से पहले डेढ़ घंटे का एक वीडियो बनाया, जिसमें उन्होंने उन सभी परिस्थितियों का जिक्र किया, जिसके कारण उन्हें यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
सुभाष ने वीडियो में क्या कहा?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में सुभाष यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि, “मुझे लगता है कि आत्महत्या कर लेनी चाहिए, क्योंकि मैं जो रुपये कमा रहा हूं उससे मेरे दुश्मन और मजबूत हो रहे हैं. उन्हीं रुपयों का इस्तेमाल मुझे बर्बाद करने के लिए किया जा रहा है और यह चक्र यू हीं चलता रहेगा. मेरी ओर से चुकाए गए टैक्स से मिले पैसे से यह कोर्ट और पुलिस व्यवस्था मुझे, मेरे परिवार को और अन्य सज्जन लोगों को परेशान करेगी.”
सुभाष ने मांग की कि उनकी मौत के बाद पत्नी और उसके परिवार को उनके शव के पास जाने की अनुमति न दी जाए. उन्होंने वीडियो में अपने परिजनों से कहा, “जब तक उनका कथित उत्पीड़न करने वालों को सजा नहीं मिल जाती तब तक वे उनकी अस्थियों का विसर्जन न करें. सुभाष ने न्याय की मांग करते हुए अपने परिजनों से आग्रह किया कि यदि उसका उत्पीड़न करने वालों को दोषी नहीं ठहराया जाता है तो वे उसकी अस्थियों को अदालत के नाले के बाहर फेंक दें.”
कौन हैं रीता कौशिक
रीता कौशिक फिलहाल जौनपुर में प्रिंसिपल फैमिली कोर्ट की जज हैं। एक जुलाई 1968 को मुजफ्फरनगर में जन्मीं रीता कौशिक ने 20 मार्च 1996 में मुंसिफ के तौर पर अपने न्यायिक सेवा की शुरुआत की थी। 1999 में वह सहारनपुर में जूडिशल मैजिस्ट्रेट रहीं। 2000-2002 तक उन्होंने मथुरा में अडिशनल सिविल जज की जिम्मेदारी संभाली। मथुरा ही में वह सिविल जज बन गईं। 2003 में उनका ट्रांसफर अमरोहा हो गया, जहां वह सिवल जज (जूनियर डिविजन) के तौर पर तैनात रहीं।
2003 से 2004 तक लखनऊ में स्पेशल सीजेएम रहीं। इसके बाद प्रमोट होकर अडिशनल चीफ जूडिशल मैजिस्ट्रेट बन गईं।वह अयोध्या में भी डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज रहीं। इसके बाद साल 2018 में वह पहली बार अयोध्या में ही फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज बनीं। 2022 तक वह अयोध्या में तैनात रहीं। इसके बाद उनका ट्रांसफर जौनपुर में हो गया। तब से वह यहीं पर फैमिली कोर्ट में प्रिंसिपल जज के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं।
मेन्स राइट्स एक्टिविस्ट ने की कार्रवाई की मांग
वहीं इस मामले में वकील आभा सिंह ने कहा, “बेंगलुरु में एक 34 वर्षीय युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली और उसने एक सुसाइड नोट छोड़ा है. उसने उल्लेख किया है कि उसके खिलाफ नौ पुलिस शिकायतें दर्ज की गई हैं, हत्या, दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के झूठे आरोप हैं. सुसाइड नोट में कहा गया है कि यह सच नहीं था और वह व्यक्ति अपनी पत्नी को दो लाख रुपये दे रहा था.”
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