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पद्म पुरस्कारों का ऐलान, इलैयाराजा और एमएस धोनी का नाम भी लिस्ट में

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नई दिल्ली। विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट सेवाओं और उल्लेखनीय कार्यों के लिए दिए जाने वाले पद्म पुरस्कारों का ऐलान कर दिया गया है। इस बार 85 लोगों को पद्म अवॉर्ड दिए गए हैं। तीन लोगों को पद्म विभूषण, नौ लोगों को पद्म भूषण और 73 लोगों को पद्मश्री से नवाजा गया है।

ये सम्मान कला, साहित्य, शिक्षा, खेल, चिकित्सा, सामाजिक कार्य, विज्ञान और अभियांत्रिकी, लोक मामलों, सिविल सेवाओं, व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में दिए जाते हैं।

पद्मविभूषण पुरस्कार कला-संगीत के क्षेत्र में इलैयाराजा, साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में परमेश्वरन और कला-संगीत के क्षेत्र में गुलाम मुस्तफा खान को मिला है।

जिन नौ लोगों को पद्म भूषण सम्मान दिया गया है उनमें पंकज आडवाणी को खेल के क्षेत्र में, महेन्द्र सिंह धोनी को क्रिकेट में योगदान के लिए, केरल के फिलीपोज मार क्रिसोटम को, पब्लिक अफेयर्स के क्षेत्र में रूस के अलेक्जेंडर कदाकिन को पद्म भूषण सम्मान मिला है। पांच अन्य लोगों को यह सम्मान प्रदान किया गया है।

साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अरविंद गुप्ता और विजयलक्ष्मी नवनीत कृष्णन को पद्म श्री से नामित किया गया है। भज्जू श्याम को कला के क्षेत्र में, सुभाषिनी मिस्त्री और सुधांशु बिस्बास को सामाजिक कार्य के क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित किए जाने का एलान हुआ है। इनके अलावा 68 और लोगों को यह पुरस्कार से नवाजा गया।

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ किसानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार से नाराज

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नई दिल्ली। किसानों के मुद्दे पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ नाराज हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से इस मामले पर सीधा सवाल पूछा है। उन्होंने कहा, ‘मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किसान से वार्ता क्यों नहीं हो रही है। हम किसान को पुरस्कृत करने की बजाय, उसका सही हक भी नहीं दे रहे हैं।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने क्या कहा?

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘कृषि मंत्री जी, एक-एक पल आपका भारी है। मेरा आप से आग्रह है कि कृपया करके मुझे बताइये। क्या किसान से वादा किया गया था? किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया? वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं?’

उन्होंने कहा, ‘गत वर्ष भी आंदोलन था, इस वर्ष भी आंदोलन है। कालचक्र घूम रहा है, हम कुछ कर नहीं रहे हैं। पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था। जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है? किसान अकेला है जो असहाय है।

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