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हेल्थ

पांच तरह से लाभ पंहुचाता है प्राणायाम

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नई दिल्‍ली। योग के आठ अंगों में से चौथा अंग है प्राणायाम। प्राण+आयाम से प्राणायाम शब्द बनता है। प्राण का अर्थ जीवात्मा माना जाता है, लेकिन इसका संबंध शरीरांतर्गत वायु से है जिसका मुख्य स्थान हृदय में है। व्यक्ति जब जन्म लेता है तो गहरी श्वास लेता है और जब मरता है तो पूर्णत: श्वास छोड़ देता है। तब सिद्ध हुआ कि वायु ही प्राण है। आयाम के दो अर्थ है- प्रथम नियंत्रण या रोकना, द्वितीय विस्तार।

हम जब सांस लेते हैं तो भीतर जा रही हवा या वायु पांच भागों में विभक्त हो जाती है या कहें कि वह शरीर के भीतर पांच जगह स्थिर हो जाती है। पांच भागों में गई वायु पांच तरह से फायदा पहुंचाती है, लेकिन बहुत से लोग जो श्वास लेते हैं वह सभी अंगों को नहीं मिल पाने के कारण बीमार रहते हैं। प्राणायाम इसलिए किया जाता है ताकि सभी अंगों को भरपूर वायु मिल सके, जो कि बहुत जरूरी है।

(1) व्यान : व्यान वह प्राणशक्ति है, जो समस्त शरीर में व्याप्त रहती है। इसे कदाचित् रक्त द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचने वाले पोषक तत्वों के प्रवाह से जोड़ा जा सकता है। यह वायु समस्‍त शरीर में घूमती रहती है। इसी वायु के प्रभाव से रस, रक्‍त तथा अन्‍य जीवनोपयोगी तत्‍व सारे शरीर में बहते रहते हैं। शरीर के समस्‍त कार्यकलाप और कार्य करने की चेष्‍टाएं बिना व्‍यान वायु के संपन्‍न नहीं हो सकती हैं। जब यह कुपित होती है तो समस्‍त शरीर के रोग पैदा करती है।

(2) समान : नाभिक्षेत्र में स्थित पाचन क्रिया में सम्मिलित प्राणशक्ति को समान कहा जाता है। समान नामक संतुलन बनाए रखने वाली वायु का कार्य हड्डी में होता है। हड्डियों से ही संतुलन बनता भी है। यह वायु हड्डियों के लिए लाभदायक है। हड्डियों तक इस वायु को पहुंचने में काफी मेहनत करना पड़ती है। यदि नहीं पहुंच पाती है तो हड्डियां कमजोर रहने लगती हैं। आप भरपूर शुद्ध वायु का सेवन करें ता‍कि हड्डी तक यह वायु समान बनकर पहुंच सके।

(3) अपान : अपान का अर्थ नीचे जाने वाली वायु। यह शरीर के रस में होती है। रस अर्थात जल और अन्य तरल पदार्थ। यह वायु हमारी पाचनक्रिया के लिए जरूरी है।

यह वायु पक्‍वाशय में रहती है तथा इसका कार्य मल, मूत्र, शुक्र, गर्भ और आर्तव को बाहर निकालना है। जब यह कुपित होती है तब मूत्राशय और गुर्दे से संबंधित रोग होते हैं। अपान मलद्वार से निष्कासित होने वाली वायु है।

(4) उदान : उदान का अर्थ ऊपर ले जाने वाली वायु। यह हमारे स्नायु तंत्र में होती है। यह स्नायु तंत्र को संचालित करती है। इसके खराब होने से स्नायु तंत्र भी खराब हो जाते हैं। उदान को मस्तिष्क की क्रियाओं को संचालित करने वाली प्राणशक्ति भी माना गया है।

सरल भाषा में कहें तो उदान वायु गले में रहती है। इसी वायु की शक्ति से मनुष्‍य स्‍वर निकालता है, बोलता है, गीत गाता है और निम्‍न, मध्‍यम और उच्‍च स्‍वर में बात करता है। विशुद्धि चक्र को जगाती है यही इसके फायदे हैं।

(5) प्राण : यह वायु निरंतर मुख में रहती है और इस प्रकार यह प्राणों को धारण करती है, जीवन प्रदान करती है और जीव को जीवित रखती है। इसी वायु की सहायता से खाया-पिया अंदर जाता है। जब यह वायु कुपित होती है तो हिचकी, श्वास और इन अंगों से संबंधित विकार होते हैं। प्राणवायु हमारे शरीर का हालचाल बताती है।

इस वायु का दूसरा स्थान खून में और तीसरा स्थान फेफड़ों में होता। यह खून और फेफड़े की क्रियाओं को संचालित करती है। शरीर में प्राणवायु जीवन का आधार है। खून को खराब या शुद्ध करने में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहता है।

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नेशनल

भारत में चीनी लहसुन की घुसपैठ, सेहत के लिए है काफी खतरनाक

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लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के नामित अधिकारी को शुक्रवार को तलब किया। कोर्ट ने इस दौरान सवाल किया कि प्रतिबंधित ‘चीनी लहसुन’ अब भी बाजार में कैसे उपलब्ध है। कोर्ट की लखनऊ पीठ ने केंद्र के वकील से देश में ऐसी वस्तुओं के प्रवेश को रोकने के लिए मौजूद सटीक व्यवस्था के बारे में भी प्रश्न किया है और यह भी पूछा है कि इसके प्रवेश के स्रोत का पता लगाने के लिए क्या कोई कवायद की गई है?

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने “चीनी लहसुन” की बिक्री पर लगाई रोक

न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओ पी शुक्ला की पीठ ने वकील मोतीलाल यादव द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि ‘चीनी लहसुन’ के हानिकारक प्रभाव होते हैं जिसकी वजह से देश में इस पर प्रतिबंध है। कोर्ट को बताया गया कि प्रतिबंध के बावजूद, लखनऊ सहित पूरे देश में ऐसा लहसुन आसानी से उपलब्ध है. याचिकाकर्ता ने अदालती कार्यवाही के दौरान न्यायाधीशों के समक्ष लगभग आधा किलो ‘चीनी लहसुन’ के साथ-साथ सामान्य लहसुन भी पेश किया।

लहसुन खरीदते समय इन बातों पर रखे ध्यान

लहसुन खरीदने के वक्त ध्‍यान रखें कि लहसुन की गांठ का साइज छोटा हो, क्‍योंकि देसी लहसुन, चाइनीज गार्लिक के मुकाबले कुछ छोटा दिखता है। जहां देसी लहसुन की कलियां या तुरी बारीक और पतली होती हैं वहीं चाइनीज लहसुन की कलियां खिली हुईं और मोटी आपको नजर आएंगी। दोनों के रंग में भी अंतर होता है। चाइनीज लहसुन क्योंकि कैमिकल्‍स के इस्‍तेमाल से तैयार किया जाता है, इसमें सिंथेटिक प्रोसेस का यूज होता है। यह एकदम सफेद, साफ और चमकदार आपको नजर आएगा। वहीं देसी लहसुन कुछ क्रीम या पीलापन लिए हुए सफेद लहसुन होता है।

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