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मुख्य समाचार

‘भारत के साथ संबंध चीन से मुकाबले के लिए नहीं’

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वाशिंगटन| भारत और अमेरिका के संबंध पारस्परिक हितों पर आधारित हैं, न कि चीन से मुकाबले के लिए। इसलिए इसे चीन के प्रतिद्वंद्वी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

व्हाइट हाउस में दक्षिण एशियाई मामलों के वरिष्ठ अधिकारी फिल रेनर ने राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे को लेकर मंगलवार को विदेशी मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “मैं जोर देकर कहना चाहता हूं कि यह अमेरिका-भारत का प्रयास है, इसमें किसी के मुकाबले की बात नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि अमेरिका या भारत की किसी भी तरह के मुकाबले में कोई रुचि है या दोनों देशों की रुचि चीन को रोकने में है। यह उनकी इच्छा नहीं है। उनकी इच्छा साथ मिलकर काम करने की है।”

रेनर ने कहा, “हम वास्तव में यही करने के इच्छुक हैं। मैं इस मुद्दे को चीन का मुकाबला करने के रूप में अनावश्यक रूप से आगे नहीं बढ़ाऊंगा।”

रेनर ने ‘न्यूयार्क टाइम्स’ की उस रिपोर्ट को भी खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओबामा ने मुलाकात के बाद जिस मुद्दे पर सबसे पहले बात की थी वह चीन से जुड़ा था। उन्होंने कहा, “ऐसे कई मुद्दे थे, जिन पर हमने बात की।”

इधर, उन्होंने पाकिस्तान को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि ओबामा और मोदी ने क्षेत्र से जुड़े मुद्दे पर लगातार बात की है और बेशक इसमें पाकिस्तान व अफगानिस्तान का मुद्दा भी शामिल है।

उन्होंने पाकिस्तान की उस आलोचना को भी खारिज किया है जिसमें उसने कहा कि भारत-अमेरिका परमाणु संधि क्षेत्र में सामरिक स्थिरता को बिगाड़ेगा। रेनर ने बताया कि इस संधि पर सालों पहले समझौता हो गया था।

उत्तर प्रदेश

कौन है भोले बाबा, जिनके सत्संग में मची भगदड़ में गई सैकड़ों जानें

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हाथरस में बाबा भोले के सत्संग में मची भगदड़ में मरने वालों की संख्या 121 तक पहुंच गई है। जबकि 200 से ज्यादा घायल हैं। मृतकों में अभी कईयों की पहचान नहीं हो पाई है। इसके लिए प्रशासन की ओर मृतकों की सूची जारी की गई है। इस बीच एक सवाल उठने लगा है कि आखिर वह भोले बाबा कौन है, जिनका सत्संग सुनने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थें।भोले बाबा के नाम से विख्यात बाबा पश्चिमी यूपी में काफी लोकप्रिय हैं। इनका सत्संग सुनने के लिए आसपास के राज्यों से भी लोग आते हैं और लाखों की संख्या में उनके अनुयायी हैं।

भोले बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले में हुआ था। पटियाली तहसील में गांव बहादुर में जन्मे भोले बाबा खुद को गुप्तचर यानी इंटेलीजेंस ब्यूरो का पूर्व कर्मचारी बताते हैं। उनका दावा है कि 26 साल पहले सरकारी नौकरी छोड़ धार्मिक प्रवचन करने लगे। उनका दावा है कि 18 साल की नौकरी से VRS लेने के बाद भगवान से साक्षात्कार हुआ। नौकरी से त्यागपत्र देकर सूरज पाल साकार विश्व हरि भोले बाबा बन गए। पटियाली में अपना आश्रम बनाया। गरीब और वंचित समाज में तेजी से प्रभाव बनाने वाले भोले बाबा के अनुयायियों की संख्या लाखों में है। बताया जाता है कि कई IAS-IPS भी उनके भक्त हैं। उनके सत्संग नें बड़े नेता और अधिकारी भी पहुंचते हैं। भोले बाबा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली समेत देशभर में लाखों अनुयायी हैं।

आपको बता दें कि भोले बाबा अन्य लोगों की तरह भगवाधारी ना होकर सफेद सूट और सफेद जूता पहनते हैं। इसके उलट बाबा के सेवादार काले कपड़ों में दिखाई देते हैं। ये सेवादार प्रत्येक मंगलवार को होने वाले कार्यक्रम की पूरी जिम्मेदारी जैसे भोजन, पानी और ट्रैफिक संभालते हैं। बाबा की खासियत है कि भले ही उनके सोशल मीडिया पर ढेरों फालोवर ना हों लेकिन जमीनी स्तर पर बाबा के लाखों भक्त हैं।

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