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अन्तर्राष्ट्रीय

मृत्युदंड का सामना कर रहा कैदी 30 वर्ष बाद रिहा

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मृत्युदंड, न्यूयार्क, एंथोनी रे हिंटन, जेफरसन काउंटी जेल

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न्यूयार्क| अलाबामा में 1985 में दो व्यक्तियों की हत्या के लिए निंदा का पात्र बने एंथोनी रे हिंटन 30 वर्ष तक जेल में बिताने के बाद रिहा हो गए। नई सुनवाई में पाया गया कि वह एक ऐसे अपराध में जेल में कैद है जिसे उसने किया ही नहीं था। समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, अफ्रीकी मूल के अमेरिकी हिंटन (59) के दोस्तों और परिवार ने बर्मिघम में जेफरसन काउंटी जेल से उसके बाहर आने पर बधाई दी। हिंटन का मुकदमा 1985 का है, जब उस इलाके में स्थित फास्ट फूड के एक रेस्त्रॉ में हिंसक लूटपाट की कई घटनाएं हुई थीं और रेस्त्रॉ के प्रबंधकों जॉन डेविडसन और थॉमस वैन वासन की हत्या कर दी गई थी।

तीसरे लूटपाट में घायल होने वाले कामगार ने हिंटन की पहचान शूटर के रूप में की थी और उसकी गवाही और संदिग्ध की मां के घर से एक बंदूक पाए जाने के बाद अभियोजक ने उसके खिलाफ मामला बनाया, जो उसे मृत्युदंड की सजा तक ले गया। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, बंदूक का डेविडसन और वासन की हत्या में और तीसरे प्रतिष्ठान में दो को घायल करने में प्रयुक्त हुआ। दोनों घायलों ने उसकी पहचान की। हिंटन को कोई अपराध नहीं होने के बावजूद मृत्युदंड की सजा मिली थी। सफलता पूर्वक उसकी पॉलिग्राफी जांच और तीसरी घटना की रात के बारे में उसके बॉस और साथी कामगारों ने यह गवाही भी दी थी कि उसके लिए ऐसा करना कहीं से भी संभव नहीं हो सकता है, क्योंकि उस समय वह काम पर मौजूद था।

वर्ष 2002 में समान न्यायिक पहल के उनके वकीलों ने पाया कि हिंटन की मां के घर से मिली बंदूक का इस्तेमाल हत्या में नहीं किया गया था। वर्ष 2014 में अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नई सुनवाई का रास्ता साफ करने के बाद वैधानिक अड़चन खत्म हो गई।

 

अन्तर्राष्ट्रीय

मक्का में भीषण गर्मी से अब तक 1300 से अधिक हज यात्रियों की मौत, 98 भारतीय भी शामिल

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नई दिल्ली। सऊदी अरब में भीषण गर्मी से मरने वाले हाजियों की संख्या 1300 के पार हो गई है। कई वीडियो वायरल हुए हैं जिसमें सड़क पर हाजियों के शव पड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। रविवार को सऊदी अरब ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि हज यात्रा के दौरान इस साल कम से कम 1301 लोगों की मौत हुई है। जिनमें गर्मी के कारण कई लोगों की जान गई। जबकि पांच में से चार लोगों की जान “अनधिकृत” यात्राओं के कारण हुईं. सऊदी अरब सरकार ने एक बयान में कहा कि, “इस साल गर्मी ने स्वास्थ्य प्रणाली को प्रभावित किया, जिससे कई लोग परेशान हो गए। अफसोस की बात ये है कि इस दौरान 1,301 लोगों की मौत हो गई।

सरकारी टीवी अल अखबरिया से बात करते हुए मंत्री ने कहा कि 95 तीर्थयात्रियों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है, जिनमें से कुछ को इलाज के लिए हवाई मार्ग से राजधानी रियाद लाया गया है। समाचार एजेंसी एपी के अनुसार, उन्होंने कहा कि मृत तीर्थयात्रियों की पहचान प्रक्रिया में देरी हुई क्योंकि कई के पास कोई दस्तावेज नहीं थे। उन्होंने बताया कि मृतकों को मक्का में दफनाया गया, लेकिन इस बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी। इस साल हज के दौरान 98 भारतीय तीर्थयात्रियों की मौत हुई है। मृतकों में सबसे बड़ी संख्या मिस्र के तीर्थयात्रियों की है। मिस्र के 660 से अधिक नागरिकों की मौत हुई है। काहिरा में दो अधिकारियों ने बताया कि 31 को छोड़कर सभी गैर-पंजीकृत तीर्थयात्री थी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसमें कहा गया है कि मृतक लोगों में कई बुजुर्ग और लंबे समय से बीमार व्यक्ति शामिल हैं। इस साल हज यात्रा के दौरान सैकड़ों मौतों और चोटों के पीछे अत्यधिक गर्मी को मुख्य वजह बताया गया। बीते सोमवार को मक्का में तापमान 51.66 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। बता दें कि इस साल सऊदी अरब प्रशासन ने हज यात्रा के लिए दुनियाभर के 18 लाख लोगों को हज पर आने की इजाजत दी थी। इसमें हजारों ऐसे यात्री भी शामिल हुए जिन्हें हज के लिए लाइसेंस नहीं दिया गया था। जिसके चलते उन्हें हज यात्रियों जैसी सुविधाएं नहीं मिली। इसलिए वह खुले आसमान में रहने को मजबूर हो गए। साथ ही उन्हें अधिकृत रूप से हाजियों को ले जाने वाली बसों में भी यात्रा का लाभ नहीं जिसके चलते ये लोग गर्मी का शिकार हो गए और कई की इसमें जान चली गई।

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