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प्रादेशिक

यूपी के चुनावी दंगल में जनता की चौखट पर राजघराने

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rani-garima-singhलखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार राजघरानों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। यूं तो देश में अब रजवाड़े नहीं रह गए हैं, लेकिन कई राजघरानों के वारिस भी चुनावी दंगल में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

अमेठी राजघराने के राजा संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह इस बार चुनावी मैदान में हैं। उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने टिकट दिया है। गरिमा सिंह राजमहल भूपति भवन पर कब्जे को लेकर विवादों में रही हैं। गरिमा सिंह को जिताने के लिए उनके बेटे-बेटी ने उनके प्रचार का जिम्मा संभाल रखा है।

राजकुमारी महिमा सिंह के साथ कुंवर अनंत विक्रम सिंह इलाके के हर घर में दस्तक भी दे रहे हैं। उनकी कोशिश हर घर तक पहुंचने की है। अनंत विक्रम सिंह ने कहा कि इस बार अमेठी की जनता इंसाफ करेगी। वह कहते हैं, “पिछले कई दशकों से यहां की जनता के साथ अन्याय होता आया है। राहुल जी यहां से सांसद हैं, लेकिन पिछले डेढ़ दशक में यहां न तो उद्योग-धंधों का विकास हुआ है और न ही रोजगार परक बुनियादी सुविधाएं युवाओं को मुहैया हो पाई हैं।”

वह कहते हैं, “अमेठी विधानसभा की जनता को इस बार विकास के नाम पर वोट करेगी।” दिलचस्प बात यह है कि अमेठी विधानसभा से ही अखिलेश सरकार के सबसे चर्चित मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार उन्हें इसी सीट से जीत हासिल हुई थी। इस बार वह सपा-कांग्रेस गठबंधन के अधिकृत प्रत्याशी भी हैं।

अमेठी राजघराने के बाद बात करते हैं, प्रतापगढ़ जिले के भदरी राजघराने की। यहां के राजा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया हैं। इस इलाके में इनका खासा दबदबा माना जाता है। वर्ष 1993 से लागातार वह कुंडा से जीतते आ रहे हैं। कुंडा में आज भी उनकी ही तूती बोलती है।

सपा सरकार में हालांकि उन्हें कम महत्व का विभाग देकर उनकी हनक कम करने की कोशिश की गई, लेकिन इलाके में उनका रुतबा पहले की तरह ही है। इलाके के युवाओं में राजा भैया का खासा क्रेज है। राजा भैया के निर्दलीय नामांकन से पहले ही लोग उनके नाम की माला जप रहे हैं।

हालांकि अखिलेश सरकार के कार्यकाल के दौरान ही कुंडा में पुलिस अधिकारी की हत्या के बाद राजा भैया का नाम भी सामने आया था। इस वजह से अखिलेश सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। इस हत्याकांड के बाद से ही अखिलेश और राजा भैया के रिश्तों की डोर काफी नरम पड़ गई।

रायबरेली की तिलोई रियासत की भी अपनी एक अलग पहचान है। इस सियासत के राजा मयंकेश्वर सिंह महल से निकलकर वर्ष 1993 में पहली बार जनता की चौखट पर वोट मांगने पहुंचे थे। तब से पांच बार इस विधानसभा चुनाव से वह चुनाव लड़ चुके हैं और जनता ने तीन बार उनको जीत का सेहरा पहनाकर विधानसभा तक पहुंचाया है।

इस बार एक बार फिर वह चुनावी मैदान में हैं। भाजपा से सपा और फिर भाजपा में पहुंचने वाले मयंकेश्वर मैदान में हैं। उन्होंने इस बार एक नया नारा गढ़ा है। वह कहते हैं, “2017 में देखेगा जमाना, तिलोई में ऊपर चढ़ेगा खुशहाली का पैमाना।”

मयंकेश्वर ने कहा, “जनता को विकास चाहिए। तिलोई की जनता इस बार विकास के नाम पर वोट करेगी। इलाके में सडक़, पानी और बिजली की स्थिति ठीक करने का काम किया जाएगा।”

बहरहाल, राजघरानों के अलावा यदि उत्तर प्रदेश के कुछ नवाबों के परिवार पर नजर डालें, तो रामपुर के नवाब घराने का नाम पहले आता है। रामपुर का नूरमहल इस पुराने घराने की शान का प्रतीक माना जाता है। नवाबों का यह घराना दशकों से कांग्रेस से जुड़ा हुआ है। इसी घराने की नूर बानो जहां कांग्रेस के टिकट पर संसद पहुंच चुकी हैं, वहीं बेटे नवाब काजिम अली खान उर्फ नावेद मियां चार वर्षो से विधायक भी हैं।

रामपुर के स्वार सीट से मैदान में उतरे नावेद के सामने इस बार चुनौती काफी कड़ी है। रामपुर के कद्दावर मंत्री आजम खां के पुत्र अब्दुल्ला आजम उनके सामने हैं। आजम ने भी अपने बेटे को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। वह अपनी विधानसभा से ज्यादा अपने बेटे का प्रचार करते नजर आ रहे हैं।

आजम के बेटे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे नावेद कहते हैं, “सामने चाहे कोई भी हो, स्वार की जनता को पता है कि क्या करना है। सिर्फ चुनावी मौसम में स्वार आने से यहां का विकास नहीं हो जाता। आजम ने यहां की जनता के लिए किया क्या है?”

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आगरा के भदावर रियासत का भी बड़ा नाम रहा है। इस रियासत से जुड़े राजा महेंद्र अरिदमन सिंह 2007 में हुए विधानसभा चुनाव को छोडक़र 1989 से ही जीतते आ रहे हैं। अरिदमन सिंह इस बार साइकिल छोडक़र भाजपा में चले गए हैं। इस बार उन्होंने अपनी पत्नी रानी पक्षालिका सिंह को मैदान में उतारा है। पत्नी को जिताने के लिए इस बार अरिदमन सिंह ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।

उत्तर प्रदेश

मुख्यमंत्री के हाथों मिला सम्मान, हुए अभिभूत

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लखनऊ |  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों सम्मान पाकर प्रतिभाएं अभिभूत हुईं। सीएम ने इसके साथ ही दिव्यांगों के उत्थान के लिए कार्य करने वालों को भी सम्मानित किया। सीएम ने 40 दिव्यांगजनों को सहायक उपकरण वितरित किए। 324 दिव्यांग विद्यार्थियों को टैबलेट भी दिए गए। सीएम के द्वारा मंगलवार को पिछड़ा वर्ग से जुड़े दो लाख 53 हजार 211 से अधिक बच्चों को 54.38 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति भी डीबीटी के माध्यम से सीधे अकाउंट में भेज दी गई। पिछड़ा वर्ग से जुड़े 28 युवाओं को कंप्यूटर प्रशिक्षण का प्रमाणपत्र भी उपलब्ध हुआ है। इसमें से कई प्रतिभाओं को सीएम ने मंच पर प्रशस्ति पत्र, पुरस्कार राशि, टैबलेट, अंगवस्त्र व प्रमाणपत्र आदि प्रदान किया।

सीएम ने वाराणसी व मुरादाबाद के सीडीओ को किया सम्मानित

कार्यक्रम में उत्कृष्ट दिव्यांग व्यक्तियों, दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्य करने वाले विशिष्ट व्यक्तियों, स्वैच्छिक संगठनों और दिव्यांग खिलाड़ियों को राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किए गए। इस वर्ष वाराणसी जिले को पुनर्वास सेवाएं प्रदान करने में सर्वश्रेष्ठ जिला चुना गया। इसके लिए मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने सम्मान प्राप्त किया। मुख्य विकास अधिकारी मुरादाबाद सुमित यादव को बाधामुक्त वातावरण के सृजन के लिए विशेष पुरस्कार प्रदान किया गया। सीएम ने दोनों अधिकारियों को सम्मानित किया।

वाराणसी की नई सुबह संस्था व जन विकास समिति भी पुरस्कृत

गैर-व्यावसायिक श्रेणी में डॉ. कौशिकी सिंह (लखनऊ) और व्यावसायिक श्रेणी में राम किशन गुप्ता (कानपुर नगर) को दिव्यांगजन के हित में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कृत किया गया। सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग कर्मचारी के रूप में संतबली चौधरी (गोरखपुर), अरुण कुमार अग्रवाल (लखनऊ) और गोपाल कृष्ण त्रिपाठी (कानपुर नगर) को सम्मानित किया गया। पुनर्वास सेवाओं में योगदान के लिए नई सुबह संस्था (वाराणसी) और सर्वश्रेष्ठ नवीन अनुसंधान के लिए जन विकास समिति (वाराणसी) को पुरस्कृत किया गया। इन्हें भी सीएम के हाथों पुरस्कृत होने का अवसर मिला।

प्रगति व दीपेंद्र को सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग खिलाड़ी के रूप में सम्मानित

सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रेरणास्रोत श्रेणी में मानवेन्द्र प्रताप सिंह (लखनऊ), मुकेश मिश्रा (लखनऊ) और स्वामी प्रताप सिंह (आगरा) को सम्मानित किया। इसके साथ ही सर्वश्रेष्ठ सृजनशील दिव्यांग बालिका के रूप में कु. दिव्यांशी कसौधन (गोरखपुर) और सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग खिलाड़ी के रूप में महिला श्रेणी में कु. प्रगति केसरवानी (लखनऊ) व पुरुष श्रेणी में दीपेन्द्र सिंह (संभल) को पुरस्कृत किया गया।

स्पर्श राजकीय दृष्टिबाधित बालक इंटर कॉलेज गोरखपुर के प्रधानाचार्य का सम्मान

सर्वश्रेष्ठ अधिकारी के रूप में लक्ष्मीशंकर जायसवाल, प्रधानाचार्य, स्पर्श राजकीय दृष्टिबाधित बालक इण्टर कालेज (गोरखपुर) और सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी के रूप में प्रशान्त कुमार, वरिष्ठ सहायक कार्यालय जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी (कानपुर नगर) को सम्मानित किया गया। सृजनशील दिव्यांग पुरुष श्रेणी में अनूप कुमार सिंह (कुशीनगर) और महिला श्रेणी में रीतू पटेल (वाराणसी) को भी पुरस्कार प्रदान किए गए। इन्हें भी सीएम योगी आदित्यनाथ के हाथों पुरस्कार मिला।

सीएम ने हाईस्कूल-इंटरमीडिएट के विद्यार्थियों को किया पुरस्कृत

सीएम योगी ने शैक्षणिक सत्र 2023-24 में हाईस्कूल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले स्पर्श राजकीय दृष्टिबाधित बालक इंटर कॉलेज लखनऊ के अर्पित सिंह (90.16 प्रतिशत), नेहा मौर्या (89.83 फीसदी), स्पर्श राजकीय दृष्टिबाधित बालक इंटर कॉलेज गोरखपुर के बृजेश (इंटरमीडिएट-86.80 प्रतिशत) व लखनऊ की तनु तिवारी (85.08 फीसदी) को सम्मानित किया।

इन्हें भी सीएम के हाथों मिला सम्मान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय की संजीता विश्वकर्मा, विजय कुमार, रामअनुज, आफरीन खातून, प्रीति कुमारी, नवीन जायसवाल को टैबलेट प्रदान किया। साथ ही पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के कंप्यूटर प्रशिक्षण योजना के विद्यार्थी प्रिंस कुमार पाल, प्रीति यादव को सम्मानित किया।

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