मुख्य समाचार
रियांग शरणार्थी : घर वापसी पर अटकी मतदाता सूची
सुजीत चक्रवर्ती
अगरतला/आइजोल| त्रिपुरा के राहत शिविरों में 18 साल से घर वापसी को लेकर गतिरोध झेल रहे रियांग शरणार्थियों के सामने एक नई समस्या खड़ी हो गई है। समस्या यह कि इनके नाम गृह प्रदेश मिजोरम की मतदाता सूची में जोड़े जाएं या नहीं। करीब 31,300 रियांग आदिवासी अक्टूबर 1997 से उत्तरी त्रिपुरा में शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। इन्हें स्थानीय भाषा में ‘ब्रु’ कहा जाता है। इन्हें पश्चिमी मिजोरम से उस वक्त पलायन करना पड़ा था, जब एक मिजो वन अधिकारी की हत्या के बाद जातीय हिंसा भड़क उठी थी। मिजोरम की मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीषा सक्सेना ने कहा, “मिजोरम में राज्य चुनाव कार्यालय द्वारा फोटो मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण में उन जनजातियों को शामिल नहीं किया जा रहा है, जो त्रिपुरा के राहत शिविरों में रह रहे हैं। इस बारे में राज्य चुनाव कार्यालय को चुनाव आयोग से कोई निर्देश नहीं मिला है।”
रियांग जनजाति कई बार की कोशिशों के बावजूद मिजोरम लौटने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री ललथनहावला और विभिन्न राजनैतिक दलों ने मांग की थी कि इन्हें राज्य की मतदाता सूची से बाहर रखा जाए। रियांग शरणार्थियों की संस्था मिजोरम ब्रु डिस्प्लेस्ड पीपुल्स फोरम (एमबीडीपीएफ) के महासचिव ब्रुनो माशा ने कहा कि हम चुनाव आयोग से अपील करेंगे कि पहले की तरह इस बार भी सभी सात राहत शिविरों में मतदाता सूची का पुनरीक्षण करवाया जाए।
माशा ने कहा, “अगर रियांग शरणार्थियों को पुनरीक्षण प्रक्रिया से बाहर रखा गया तो यह भारत के नागरिकों के एक हिस्से के मूल अधिकारों का घोर उल्लंघन होगा। हम चुनाव आयोग से अपील करते हैं कि वह मिजो सरकार की उन साजिशों से बचे जो राज्य के गैर मिजो आदिवासियों को उनके हक से वंचित करने के कई तरीके अपना रही है।” त्रिपुरा के सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी देबाशीष मोदक ने कहा कि त्रिपुरा के रियांग राहत शिविरों में मतदाता सूची के पुनरीक्षण की जिम्मेदारी मिजोरम की है।
त्रिपुरा और केंद्र सरकार के दबाव पर मिजोरम सरकार ने रियांग शरणार्थियों को वापस बुलाने के लिए दो जून से सभी सात शिविरों में पहचान शिविर लगाए, लेकिन कोई शरणार्थी इनमें नहीं आया। माशा ने बताया कि रियांग शरणार्थियों को फिर से बसाने की मिजोरम सरकार की योजना खामियों से भरी और एकपक्षीय है। उन्होंने कहा कि हम कई बार कह चुके हैं कि हम घर लौटना चाहते हैं। लेकिन इस काम में केंद्र सरकार को शामिल किया जाए। हमारी 10 सूत्री मांगें पूरी की जाएं।
मिजोरम सरकार ने घर वापसी पर रियांग शरणार्थियों के हर परिवार को 85,000 रुपये की सहायता और एक साल तक मुफ्त राशन देने की बात कही है। लेकिन रियांग शरणार्थी 150,000 रुपये प्रति परिवार और दो साल तक मुफ्त राशन चाहते हैं। साथ ही जमीन की भी मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि लौटने पर उन्हें पर्याप्त सुरक्षा दी जाए और जातीय समस्या का राजनैतिक समाधान ढूंढ़ा जाए। केंद्र सरकार इन शरणार्थियों के रखरखाव के लिए त्रिपुरा को 246 करोड़ रुपये और मिजोरम को 45 करोड़ रुपये दे चुकी है।
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जयप्रकाश नारायण जयंती : भारत के लोकनायक जेपी को प्रधानमंत्री समेत बड़े नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
नई दिल्ली। भारतीय राजनीति में लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) एक महान व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं। उनकी जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। जयप्रकाश नारायण ने हमेशा जनता की भलाई के लिए काम किया और अपने समय की राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाई।
पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, “लोकनायक जयप्रकाश नारायण को उनकी जयंती पर मेरी आदरपूर्ण श्रद्धांजलि। उन्होंने देश और समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका व्यक्तित्व और आदर्श हर पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा।”
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर लिखा, “महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, लोकतंत्र के परम उपासक ‘भारत रत्न’, ‘लोकनायक’ जयप्रकाश नारायण की जयंती पर उन्हें नमन! आपातकाल के दौरान राष्ट्र की जनतांत्रिक चेतना को जागृत कर लोकतंत्र की पुनर्स्थापना में अविस्मरणीय योगदान दिया था। वे सच्चे अर्थों में ‘लोकनायक’ थे।”
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने सामाजिक उत्थान में उनकी भूमिका को याद करते हुए लिखा, “भारत रत्न लोकनायक श्री जयप्रकाश नारायण जी की जयंती पर सादर नमन। आम आदमी के अधिकारों की रक्षा करते हुए भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने और सामाजिक उत्थान के उनके काम हम सभी के लिए प्रेरणा है।”
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी महान स्वतंत्रता सेनानी, संपूर्ण क्रांति के प्रणेता ‘भारत रत्न’ लोकनायक जयप्रकाश नारायण को शत्-शत् नमन किया।
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