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प्रादेशिक

व्यापार मेला : उम्मीदों से भरे हैं पाकिस्तानी व्यापारी

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नई दिल्ली| भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (आईआईटीएप) में मसाले, कपड़े और हस्तशिल्प उत्पादों के पाकिस्तानी विक्रेताओं और व्यवसायियों को दोनों देशों के बीच कश्मीर मुद्दे पर तनाव के बावजूद इस साल भारी बिक्री की उम्मीद है।

कराची की एक कपड़ा कंपनी हमेल के मालिक ताहिर आलम ने कहा, “यह अधिक से अधिक लोगों से संपर्क बनाने और अपने कपड़ों और उत्पादों को प्रदर्शित करने का मंच है।”

“यहां पर हम अपने कपड़ों को प्रदर्शित करने और हर साल की तरह भारी बिक्री की उम्मीद लेकर आए हैं। पिछले साल यहां पर ज्यादातर व्यापारियों पूरा सामान बिक गया था।”

दो साल से इस आयोजन में भाग ले रहे आलम का मानना है कि भारत में बड़े संभावित बाजार की क्षमता है।

“हमारे लिए यह बहुत ही बड़ा बाजार है और इस तरह के आयोजनों से दोनों देशों के बीच के व्यापारिक रिश्तों को बढ़ावा देने में काफी लाभ मिल सकता है। राजनीतिक और क्षेत्रीय निर्णयों से अलग इस मेले में हमें यह पता चलता कि हमारे उत्पाद यहां पर कितने प्रसिद्ध हैं और यहां पर उनकी मांग भी काफी सराहनीय है।”

आलम के विचारों से ही मिलते जुलते विचार हस्तशिल्प कंपनी सलमान ट्रेडर्स के मालिक मोहम्मद कासिम के हैं, जो कि बलूचिस्तान में मिलने वाले गोमेद पत्थर की मूर्तियां और विभिन्न किस्मों के सजावटी सामान बनाने में माहिर है।

“जाहिर तौर पर यहां मांग है इसीलिए विक्रेता सबसे पहले यहां आते हैं। हमने यहां पर प्रदर्शित अपने सामान की कीमत बड़ी सावधानीपूर्वक तय की है, हमें भारत के लोगों द्वारा इनकी खरीद की भारी उम्मीद है।”

वाणिज्य और उद्योग परिसंघ पाकिस्तान के उपसचिव मजहर-उल-हक-मुफ्ती ने कहा, “इस साल के व्यापार मेले में 115 पाकिस्तानी व्यापारी भाग ले रहे हैं, यह संख्या हालांकि अभी और बढ़ सकती है।”

मुफ्ती ने कहा, “इस साल हमारे पास 115 पाकिस्तानी व्यापारी हैं पिछले साल यह संख्या 110 थी। हालांकि भारत में भाग लेने के लिए बहुत से पाकिस्तानी उत्सुक हैं, लेकिन सीमा शुल्क और वीजा संबंधी बाधाओं के कारण हमें निराशा मिली है। वीजा संबंधी इन बाधाओं और कठिनाइयों को हटाना चाहिए ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार सुचारु रूप से चलता रहे।”

भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के 34वें संस्करण में तकरीबन 6,500 देसी और विदेशी प्रदर्शक भाग ले रहे हैं। 31 केंद्रीय मंत्रालय भी अपने सार्वजनिक उपक्रमों के साथ इस मेले में भाग लेंगे। इस साल आईआईटीएफ में 24 विदेशी देश भाग ले रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका को सहयोगी देश के लिए नामित किया गया है, जबकि थाईलैंड को केंद्र देश के रूप में चुना गया है।

भारत व्यापार संवर्धन संगठन द्वारा आयोजित कराए जा रहे इस व्यापार मेले में 14 से 18 नवंबर तक प्रवेश व्यापारियों के लिए आरक्षित रहेगा, जबकि 19 से 27 नवंबर तक यह आम जनता के लिए खुला रहेगा।

 

 

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार के अथक प्रयास से बीमारू से स्वस्थ प्रदेश बना यूपी

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लखनऊ| मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2017 में बीमारू प्रदेश कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद प्रदेश को स्वस्थ प्रदेश बनाने के लिए वन डिस्ट्रिक्ट वन मेडिकल कॉलेज का संकल्प लिया। साढ़े सात वर्षों में निरंतर किए गए प्रयासों के चलते आज उनका संकल्प साकार होता दिखाई दे रहा है। जहां वर्ष 2017 के पहले प्रदेश के छात्रों को मेडिकल की डिग्री के लिए दूसरे राज्यों और विदेशों का रुख करना पड़ता था, वहीं आज उन्हे प्रदेश में ही मेडिकल की पढ़ाई करने की सुविधा मिल रही है। इससे न सिर्फ प्रदेश में पहले की अपेक्षा डॉक्टर्स की कमी दूर हुई है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में भी व्यापक सुधार हुआ है। सीएम योगी के प्रयासों का ही नतीजा है कि प्रदेश में पिछले साढ़े सात वर्षों की तुलना में प्रदेश में मेडिकल कॉजेल की संख्या में दोगुने का इजाफा हुआ है। वर्तमान में प्रदेश में 78 मेडिकल कॉलेज संचालित हैं, जबकि वर्ष 2017 में इनकी संख्या महज 39 थी। इसी तरह प्रदेश में पिछले साढ़े सात वर्षों में एमबीबीएस की सीटों में 108 प्रतिशत और पीजी की सीटों में 181 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

एमबीबीएस की 11,200 तो पीजी की 3,781 सीटोंं पर हो रहा दाखिला

मेडिकल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग उत्तर प्रदेश की महानिदेशक किंजल सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वन डिस्ट्रिक्ट वन मेडिकल कॉलेज के संकल्प की दिशा में लगातार काम हो रहा है। इसी का नतीजा है कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर मेडिकल कॉलेज की संख्या में वृद्धि हुई है। वर्ष 2016-2017 में कुल 39 मेडिकल कॉलेज थे। इनमें 14 सरकारी और 25 प्राइवेट कॉलेज शामिल थे। वहीं योगी सरकार के अथक प्रयासों से पिछले साढ़े सात वर्षों में प्रदेश में मेडिकल कॉलेज की संख्या में दोगुने का इजाफा हआ है। वर्तमान में प्रदेश में कुल 78 मेडिकल कॉलेज संचालित हैं। इनमें 43 सरकारी और 35 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। इतना ही नहीं, प्रदेश में पिछले साढ़े सात वर्षों में एमबीबीएस की सीटों में 108 प्रतिशत और पीजी की सीटों में 181 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वर्ष 2016-2017 में प्रदेश में एमबीबीएस की कुल सीटें 5,390 थी। इनमें एमबीबीएस की 1,840 सीटें सरकारी और 3550 सीटें प्राइवेट थीं। वहीं आज वर्ष 2024-25 में कुल सीटें 11,200 हैं। इनमें एमबीबीएस की कुल 5150 सरकारी सीटें और 6050 प्राइवेट सीटें शामिल हैं। इसी तरह पीजी की सीटों की बात करें तो वर्ष 2016-17 में 1,344 सीटें थी। इनमें सरकारी 741 और प्राइवेट की 603 सीटें शामिल हैं। वहीं आज वर्ष 2024-25 में इनकी कुल संख्या 3,781 हैं। इनमें सरकारी 1,759 और प्राइवेट की 2022 सीटें शामिल हैं।

बागपत, हाथरस और कासगंज में भी होगी मेडिकल कॉलेज की स्थापना

डीजीएमई किंजल सिंह ने बताया कि वर्तमान सत्र 2024-25 में प्रदेश के 12 स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय क्रमश: बिजनौर, कुशीनगर, सुल्तानपुर, गोंडा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, चंदौली, बुलंदशहर, पीलीभीत, औरैया, कानपुर देहात और कौशांबी के कॉलेजों की 15 प्रतिशत सीटों को ऑल इंडिया कोटा के तहत काउंसिलिंग की प्रक्रिया चल रही है जबकि 85 प्रतिशत सीटों पर राज्य स्तरीय यूजी नीट प्रथम चक्र की काउंसिलिंग से अधिकांश पर आवंटन किया जा चुका है। वहीं सोनभद्र के मेडिकल कॉलेज को मान्यता देने के लिए केंद्रीय मंत्री स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के समक्ष द्वितीय अपील योजित की गई। अमेठी में स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय का निर्माण कार्य प्रगति पर चल रहा है। इसका निर्माण कार्य 34 प्रतिशत पूर्ण किया जा चुका है। वर्ष 2025-26 में 100 सीटों की लेटर ऑफ परमिशन प्राप्त करने के लिए एनएमसी, नई दिल्ली का पोर्टल खुलते ही आवेदन किया जाएगा। इसी तरह पीपीपी मोड के तहत मऊ में कल्पनाथ राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। यहां पर एनएमसी के लेटर ऑफ परमिशन के लिए आगामी शैक्षणिक सत्र 2025-26 में आवेदन किया जाएगा। इसके साथ ही पीपीपी मोड के वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) स्कीम के तहत बागपत, हाथरस और कासगंज में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए जल्द ही कैबिनेट के समक्ष प्रस्ताव रखा जाएगा।

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