ऑफ़बीट
सड़कों पर निकले गब्बर, कालिया और ठाकुर, पुलिस ने बिगाड़ दिया सारा खेल
गुजरात में विधानसभा चुनाव का माहौल मंगलवार को अचानक अपने वक्त की सुपरहिट फिल्म ‘शोले’ जैसा हो गया। खास बात यह थी कि इसमें ‘शोले’ के सभी फेमस करेक्टर जैसे गब्बर, कालिया और ठाकुर मौजूद थे। लेकिन इस फिल्मी माहौल में विलेन साबित हुई स्थानीय पुलिस, जिसने गब्बर, कालिया और ठाकुर सभी को हिरासत में ले लिया।
कांग्रेस ने मंगलवार को सूरत में एक अनोखी रैली निकाली। यह रैली जीएसटी के विरोध में आयोजित की गई थी। इसमें फिल्म ‘शोले’ के तमाम किरदारों के हमशक्ल उतरे और उन्होंने जीएसटी का जमकर विरोध किया। हालांकि इस रैली में गब्बर सिंह का रोल अमजद खान नहीं, बल्कि कांग्रेस कार्यकर्ता निभा रहे थे। इसमें कालिया और ठाकुर बलदेव सिंह भी नजर आए, लेकिन ये भूमिकाएं भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को दी गईं।
रैली के लिए कांग्रेस कार्यकर्ता बाकायदा ठाकुर और गब्बर की ड्रेस पहनकर तैयार हुए। रैली के दौरान गब्बर सिंह और कालिया घोड़े पर बंदूक के साथ घूमते नजर आए, वहीं ठाकुर गाड़ी पर सवार थे। इस दौरान गब्बर की गैंग के सदस्य भी काले कपड़ों में उसके साथ साथ चल रहे थे।
बता दें कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पिछले कुछ दिनों से जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ बताकर पीएम मोदी पर तंज कसते रहे हैं।
हालांकि सूरत में निकली इस अनोखी रैली के लिए इजाजत नहीं ली गई थी, जिसके चलते पुलिस ने इन कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने बताया कि कांग्रेसियों ने बिना अनुमति के रैली निकाली और एयर गन्स का इस्तेमाल किया।
अन्तर्राष्ट्रीय
नींद के कारण गलती से हुआ 1990 करोड़ से ज्यादा ट्रांसफर, जानें पूरी रिपोर्ट
जर्मनी। जर्मनी में लगभग 12 साल पहले एक बैंक में ऐसा अजीबोगरीब वाकया हुआ था जिसने सभी को हैरान कर दिया है। एक कर्मचारी काम के दौरान कंप्यूटर के की-बोर्ड पर उंगली दबाए हुए सो गया। इस गलती के कारण एक शख्स को 64.20 यूरो की जगह 222 मिलियन यूरो (करीब 1990 करोड़ रुपये से ज्यादा) ट्रांसफर हो गए। गनीमत रही कि एक अन्य कर्मचारी ने समय रहते इस गलती को पकड़ लिया जिसके बाद ट्रांजैक्शन को रोक दिया गया।
शुरू हुई कानूनी लड़ाई
यह घटना साल 2012 की है जो अब इंटरनेट पर वायरल हो रही है। मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह रही है क्लर्क की इस गलती पर सुपरवाइजर ने भी ध्यान नहीं दिया और इस ट्रांजैक्शन को अप्रूव कर दिया। ट्रांजैक्शन की जांच करने की जिम्मेदारी सुपरवाइजर की थी लिहाजा बैंक ने इस बड़ी गलती के लिए उसे जिम्मेदार ठहराते हुए नौकरी से निकाल दिया। मामला जर्मनी की लेबर कोर्ट तक पहुंचा और मामले में कानूनी लड़ाई शुरू हुई।
अदालत ने सुनाया फैसला
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जर्मनी के हेस्से स्टेट की लेबर कोर्ट की ओर से इस मामले में आदेश दिया गया। कोर्ट ने बैंक द्वारा कर्मचारी को नौकरी से निकालने के फैसले को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि यह गलती क्लर्क ने जानबूझकर नहीं की थी। अदालत की ओर से यह भी कहा गया कि कर्मचारी ने भले ही अपनी गलती पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उसके कार्यों के लिए उसे बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा
कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारी पर समय का बहुत दबाव था, वह रोजाना सैकड़ों लेन-देन की समीक्षा करता था। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का भी जिक्र किया कि 222 मिलियन यूरो के गलत ट्रांजैक्शन वाली घटना के दिन कर्मचारी ने 812 डॉक्युमेंट्स को संभाला था और हर डॉक्युमेंट पर वो महज कुछ सेकेंड का समय ही दे पा रहा था। अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारी की ओर से जानबूझकर की गई लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में बर्खास्तगी के बजाय औपचारिक चेतावनी ही पर्याप्त थी।
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