प्रादेशिक
सिने कर्मियों की 6 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल
मुंबई | फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉईज (एफडब्ल्यूआईसीई) ने छह मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। यह फैसला फिल्म निर्माताओं द्वारा कर्मचारियों का दैनिक वेतन नहीं बढ़ाने की वजह से किया गया है। एफडब्ल्यूआईसीई के अध्यक्ष कमलेश पांडे ने कहा कि यदि निर्माता उनकी शर्तो से सहमत नहीं होते हैं तो फेडरेशन सदस्य भी अपना सहयोग नहीं देंगे।
पांडे बताया, “एफडब्ल्यूआईसीई द्वारा तैयार किए गए समझौते का प्रत्येक पांच वर्षो पर नवीनीकरण किया जाता है। हमारा यह करार 28 फरवरी को समाप्त हो रहा है। नए एमओयू को मार्च में फिल्म और टेलीविजन निर्माताओं को भेजा गया था, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया।” “इसलिए अब हमारे पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा। इसलिए हमने छह मई से हड़ताल करने का फैसला किया है।”
पांडे ने कहा कि वे निर्माताओं के साथ बातचीत करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “यह बेतुका है कि निर्माता नए एमओयू पर चर्चा करने से भी इंकार कर रहे हैं। यदि इनका बर्ताव ऐसा रहा तो फेडरेशन के सदस्य उन्हें किसी भी तरह से सहयोग नहीं करेंगे।”
उत्तर प्रदेश
बीते 5 सालों से किन्नरों के हक के लिए संघर्ष कर रहीं हैं लखनऊ की सोशल वर्कर गरिमा सिंह
लखनऊ। हमारे समाज का ताना–बाना मर्द और औरत से मिलकर बना है, लेकिन एक तीसरा जेंडर भी हमारे समाज का हिस्सा है, इसकी पहचान कुछ ऐसी है जिसे सभ्य समाज में अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता, समाज के इस वर्ग को थर्डजेंडर, किन्नर या हिजड़े के नामसे जाना जाता है। पूरे समाज में इनके दिल की बात और आवाज़ कोई सुनना नहीं चाहता क्योंकि पूरे समाज के लिए इन्हें एक बदनुमा दाग़ समझा जाता है, लोगों के लिए ये सिर्फ़ हंसी के पात्र हैं।
लेकिन, हाल ही में इनकी ज़िंदगी में झांकने की कोशिश की है लखनऊ की सोशल वर्कर गरिमा सिंह ने इनकी ज़िंदगी के जो रंग आज तक किसी ने नहीं देखे थे उन रंगों को समाज में गरिमा सिंह ने दिखाया है, गरिमा बीते 5 वर्षों से किन्नरों के हक के लिए संघर्ष कर रही है। किन्नरों के मान सम्मान के लिए वह प्रतिवर्ष नवरात्र के समापन अवसर पर किन्नर अर्धनारीश्वर भोज का आयोजन करती है। इस बार भी गरिमा सिंह ने नवरात्र समापन के मौके पर गोमती नगर एक्सटेंशन, होटल द लीफ में किन्नर भोज का आयोजन करके उन्हें भोजन कराकर सम्मानित किया। गरिमा ने किन्नरों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उनका सम्मान करके प्रदेश व देश में एक अच्छा संदेश दिया।
समाज में लिंग के आधार पर कार्य में भेदभाव: गरिमा सिंह
समाज हर तरह के लोगों से मिलकर बनता है, जिसमें अलग–अलग लोगों काभिन्न–भिन्न पेशा होता है। जिसका सम्मान करना सबका दायित्व बनता है। लेकिन समाज में लिंग के आधार पर कार्य में भेदभाव आमतौर पर देखने कोमिलता है। समाज में आज भी किन्नर समुदाय को सम्मान या दर्ज़ा नहीं दिया गया है , जो समाज में रहने वाले आम नागरिकों के पास मौजूद है। यह वही किन्नर समुदाय है जो लोगों की छोटी से बड़ी खुशियों में शामिल होता है। लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाता है। समाज कहता है कि किन्नर द्वारा दिया गया आशीर्वाद बहुत शुभ होता है। इसके बावजूद भी समाज में उन्हें सम्मान ना मिलना, समाज में रहने वाले लोगों की दोहरी मानसिकता को साफ़ तौर पर दर्शाता है।
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