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बिजनेस

सोने की मांग तीसरी तिमाही में 60 फीसदी बढ़ी

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नई दिल्ली| भारत में सोने के आभूषणों की मांग साल दर साल 60 फीसदी की बढ़त के साथ साल 2014 की तीसरी तिमाही में 183 टन पहुंच गई। यह जानकारी जुलाई से सितंबर 2014 के बीच विश्व स्वर्ण परिषद की सोने की मांग की रुझान रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, “तीसरी तिमाही में सोने के आभूषणों, सिक्कों और सोने की ईंटों की कुल मांग भारत में 225.1 टन रही जबकि चीन में यह 182.7 टन रही।”

रिपोर्ट में कहा गया, “भारत में इस साल तीसरी तिमाही में आभूषणों की मांग साल दर साल 60 फीसदी की दर से बढ़कर 183 टन पहुंच गई है, वह भी तब जबकि सरकार ने आयात में कटौती की है और आयात शुल्क बढ़ाया है। इस तथ्य से यह उजागर होता है कि भारत में सोने के आभूषणों के प्रति लोगों का किस हद तक लगाव है।”

रिपोर्ट में साथ ही कहा गया, “घरेलू अर्थव्यवस्था और नई सरकार पर उपभोक्ता के विश्वास ने सकारात्मक भावना पैदा की जिस कारण दिवाली पर सोने की खरीदारी में मजबूती देखने को मिली।” चीन में हालांकि, सोने के आभूषणों की मांग में साल दर साल 39 फीसदी की कमी आई है। इस साल तीसरी तिमाही में चीन में आभूषणों की मांग 147 टन रही। वैश्विक स्तर पर भी सोने की मांग में दो फीसदी की कमी आई है और यह 929 टन रही।

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बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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