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हिमाचल चुनाव: कई सीटों पर दिखा टी-20 जैसा रोमांच

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नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में सत्ता परिवर्तन की इबारत लिखी जा चुकी है। हिमाचल प्रदेश में 1985 के बाद से हर पांच साल बाद चला आ रहा फेरबदल इस बार भी जारी रहा। राज्य में मुकाबला दोनों मुख्य पार्टियों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच था, जिसके नतीजे में भी जोरदार टक्कर दिखाई दी। चुनाव में कुछ सीटों पर जीत हार का अंतर हजार मतों से भी कम का रहा।

  • विधानसभा सीट संख्या-68 किन्नौर में टक्कर खासी रोमांचक रही। किन्नौर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के जगत सिंह नेगी ने भाजपा के तेजवंत सिंह नेगी को मात्र 120 मतों से शिकस्त दी। बता दें कि यह दोनों नेता 2003 विधानसभा चुनाव के बाद से चार बार एक दूसरे के खिलाफ लड़ चुके हैं जिसमें से तीन बार जगत सिंह नेगी ने बाजी मारी है जबकि 2007 में तेजवंत सिंह नेगी ने जीत हासिल की थी।
  • विधानसभा सीट संख्या -39 बड़सर में कांग्रेस के इंद्र दत्त लखनपाल ने भाजपा के बलदेश शर्मा को कांटे के मुकाबले में 439 मतों से हराया। बता दें कि 2012 विधानसभा चुनाव में लखनपाल ने 2658 वोटों से जीत हासिल की थी।
  • विधानसभा सीट संख्या- 4 डलहौजी में कांग्रेस की दिग्गज नेता आशा कुमारी को जीत हासिल करने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा। आशा ने भाजपा के डी.एस. ठाकुर को कड़े मुकाबले में 556 मतों से हराया। दिन के शुरुआती रुझानों में आशा, ठाकुर से पीछे थी लेकिन अंतिम चरणों में वह ठाकुर को शिकस्त देने में सफल रही। सीट पर कड़े मुकाबले का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2012 का विधानसभा चुनाव में उन्होंने 7365 मतों के भारी अंतर से जीता था।
  • विधानसभा सीट संख्या- 54 कसौली में भारतीय जनता पार्टी के राजीव सैजल ने कांग्रेस उम्मीदवार विनोद सुल्तानपुरी को केवल 442 वोटों से पटखनी दी। बता दें कि कसौली में हुए 2012 विधानसभा चुनाव में राजीव ने केवल 24 वोटों से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को शिकस्त दी थी।
  • साथ ही विधानसभा सीट संख्या- 15 नगरोटा में भाजपा के अरुण कुमार ने कांग्रेस के जी. एस. बाली को 519 मतों से हराया है। जी. एस बाली ने 2012 के विधानसभा चुनाव में 2743 मतों से जीत दर्ज की थी।

इसके साथ ही कांग्रेस की नाक का सवाल बन चुकी विधानसभा सीट संख्या-53 सोलन को कांग्रेस के डॉ. धनी राम शांडिल बचाने में कामयाब रहे। उन्होंने भाजपा के राजेश कश्यप को कड़े मुकाबले में मात्र 617 वोटों से हराया। गौरतलब है कि सोलन कई चुनावों से कांग्रेस की सुरक्षित सीटों में से एक रही है। 2012 के विधानसभा चुनाव में शांडिल ने 4472 मतों से जीत हासिल की थी।

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दिल्ली में होगी मैतेई और कुकी समुदाय की पहली बैठक, हिंसा में अब तक 220 से ज्यादा की हो चुकी है मौत

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नई दिल्ली। पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में जारी हिंसा को एक साल से ज्यादा समय हो गया है। आज मैतेई और कुकी समुदाय पहली बार बैठक करेंगे। देश की राजधानी दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्रालय की अध्यक्षता में यह मीटिंग होगी और दोनों समुदायों के विधायक और नेता इसमें शामिल होंगे। बता दें कि पिछले साल तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा शुरू हुई थी।

गृह मंत्रालय का प्रयास है कि हिंसा का शांतिपूर्वक हल निकाला जा सके। 23 मई 2023 के बाद से हिंसा में अब तक 220 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है ओर 1000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। साथ ही 60 हजार से अधिक लोग बेघर हो चुके हैं। बेघर हुए अधिकतर लोग शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। बता दें कि मई-2023 के बाद से कुछ समय की शांति के बाद राज्य में नए सिरे से कई दफा हिंसा भड़क चुकी है।

नगा समुदाय के तीन विधायक भी होंगे शामिल

नगा समुदायों के विधायकों को भी बैठक में बुलाया गया है। तीन नगा एमएलए मीटिंग में शामिल होंगे। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि मैतेई और कुकी के कितने एमएलए मीटिंग में भाग लेंगे। बैठक में आने वाले 3 नगा विधायकों में राम मुइवा, अवांगबोउ न्यूमाई और एल. दीको हैं और ये मणिपुर में सत्तारूढ़ बीजेपी के सहयोगी नगा पीपुल्स फ्रंट के मेंबर हैं।

 

 

 

 

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