मुख्य समाचार
हैदराबाद में ‘आफत की बारिश’ के बाद सेना, एनडीआरएफ ने मोर्चा संभाला
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हैदराबाद। सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने शनिवार को वृहत हैदराबाद के वर्षा प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया, क्योंकि लगातार वर्षा होने से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। शहर के बेगमपेट, निजामपेट, हकीमपेट और अलवल इलाके में राहत कार्य शुरू करने के लिए सेना और एनडीआरएफ के जवान हरकत में आए। इन इलाकों के दर्जनों क्षेत्र विगत चार दिनों से लगातार पानी में डूबे हुए हैं।
बाढ़ प्रभावित इलाकों में सेना की चार टुकडिय़ां तैनात की गई हैं। सेना ने वृहत हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) के कार्यालय में एक नियंत्रण कक्ष की भी स्थापना की है। एक रक्षा बयान के अनुसार, जीएचएमसी और एनडीआरएफ के अधिकारियों के साथ तालमेल बैठाकर सेना 24 घंटे स्थिति पर नजर रखे हुई है।
बयान में कहा गया, अलवल के मलिन इलाकों में सेना की टुकडय़िां पहले से ही राहत सामग्री और मेडिकल सहायता उपलब्ध करा रही हैं। सेना की अन्य टुकडय़िों को आवश्यकतानुरूप इस्तेमाल के लिए आरक्षित रखा गया है। अलवल, कुकटपल्ली, मियापुर, निजामपेट और बेगमपेट के रिहायशी कॉलोनियों में बाढ़ से कोई राहत नहीं मिली है, क्योंकि शुक्रवार रात अतिरिक्त वर्षा हुई है।
स्थानीय लोगों ने 40 बच्चों को उस समय बचाया, जब कुकटपल्ली के धरनीनगर इलाके में शनिवार को एक स्कूल बस बाढ़ के पानी में फंस गई। चश्मदीदों के अनुसार, चालक ने चेतावनी की अनदेखी करते हुए बाढ़ के पानी से होकर बस को निकालने की कोशिश की। बस में एक निजी स्कूल के बच्चे सवार थे। शहर में सभी शिक्षण संस्थानों में दो दिनों की छुट्टी की सरकारी घोषणा के बावजूद स्कूल खुले थे।
तेलंगाना के उप मुख्यमंत्री कादियम श्रीहरि ने कहा कि स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जो सरकारी आदेश के बावजूद खुले हुए थे। इस बीच बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोग भोजन, पीने के पानी और अन्य आवश्यक व्सतुओं की कमी से जूझ रहे हैं। कुछ गैर सरकारी संगठन भोजन, दूध और पानी के पैकेट बांट रहे थे।
शहर की सीमा पर स्थित निजामपेट के भंडारी लेआउट में करीब 200 अपार्टमेंट बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं। अधिकांश बाशिंदे फ्लैट खाली कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं।
नगर निगम प्रशासन विभाग के मंत्री के.टी.रामाराव, अन्य राज्य मंत्रियों और बृहत हैदराबाद नगर निगम के अधिकारियों ने शुक्रवार देर रात और शनिवार सुबह कुछ इलाकों का दौरा किया। मौसम कार्यालय के अनुमान के मुताबिक, अगले दो दिनों तक अभी वर्षा होने की संभावना है। प्रशासन सतर्क है। राहत और बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की छह टीमें शहर में पहुंच गई हैं। प्रत्येक टीम में 40 कर्मी हैं।
उत्तर प्रदेश
कौन है भोले बाबा, जिनके सत्संग में मची भगदड़ में गई सैकड़ों जानें
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हाथरस में बाबा भोले के सत्संग में मची भगदड़ में मरने वालों की संख्या 121 तक पहुंच गई है। जबकि 200 से ज्यादा घायल हैं। मृतकों में अभी कईयों की पहचान नहीं हो पाई है। इसके लिए प्रशासन की ओर मृतकों की सूची जारी की गई है। इस बीच एक सवाल उठने लगा है कि आखिर वह भोले बाबा कौन है, जिनका सत्संग सुनने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थें।भोले बाबा के नाम से विख्यात बाबा पश्चिमी यूपी में काफी लोकप्रिय हैं। इनका सत्संग सुनने के लिए आसपास के राज्यों से भी लोग आते हैं और लाखों की संख्या में उनके अनुयायी हैं।
भोले बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले में हुआ था। पटियाली तहसील में गांव बहादुर में जन्मे भोले बाबा खुद को गुप्तचर यानी इंटेलीजेंस ब्यूरो का पूर्व कर्मचारी बताते हैं। उनका दावा है कि 26 साल पहले सरकारी नौकरी छोड़ धार्मिक प्रवचन करने लगे। उनका दावा है कि 18 साल की नौकरी से VRS लेने के बाद भगवान से साक्षात्कार हुआ। नौकरी से त्यागपत्र देकर सूरज पाल साकार विश्व हरि भोले बाबा बन गए। पटियाली में अपना आश्रम बनाया। गरीब और वंचित समाज में तेजी से प्रभाव बनाने वाले भोले बाबा के अनुयायियों की संख्या लाखों में है। बताया जाता है कि कई IAS-IPS भी उनके भक्त हैं। उनके सत्संग नें बड़े नेता और अधिकारी भी पहुंचते हैं। भोले बाबा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली समेत देशभर में लाखों अनुयायी हैं।
आपको बता दें कि भोले बाबा अन्य लोगों की तरह भगवाधारी ना होकर सफेद सूट और सफेद जूता पहनते हैं। इसके उलट बाबा के सेवादार काले कपड़ों में दिखाई देते हैं। ये सेवादार प्रत्येक मंगलवार को होने वाले कार्यक्रम की पूरी जिम्मेदारी जैसे भोजन, पानी और ट्रैफिक संभालते हैं। बाबा की खासियत है कि भले ही उनके सोशल मीडिया पर ढेरों फालोवर ना हों लेकिन जमीनी स्तर पर बाबा के लाखों भक्त हैं।
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