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बिजनेस

आईटी पर सरकारी खर्च 2018 तक बढ़कर 8.5 अरब डॉलर होगा

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नई दिल्ली, 15 नवंबर (आईएएनएस)| नोटबंदी और उसके बाद औद्योगिकी उत्पादन में गिरावट के बीच भारत सरकार का आईटी पर खर्च साल 2018 तक 8.5 अरब तक पहुंचने का अनुमान है।

गार्टनर ने बुधवार को कहा कि सॉफ्टवेयर और आईटी सेवाओं के साथ विभिन्न उपकरणों पर खर्च बढ़ने के साथ ही 2017 में आईटी पर खरकारी खर्च में 8.9 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है जो कि 7.8 अरब डॉलर का होगा।

गार्टनर के प्रमुख अनुसंधान विश्लेषक मोउतुसी साउ ने कहा, उपकरणों पर खर्च जिसमें प्रिंटर/कॉपियर/मल्टी फंक्शनल प्रिंटर, मोबाइल डिवाइस, पीसी और टैबलेट शामिल है। उन पर किए जाने वाले खर्च में साल 2017 में सबसे ज्यादा तेजी का अनुमान है जो 21 फीसदी की तेजी के साथ 1 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।

साउ ने कहा, साल 2018 तक यह 9.4 फीसदी बढ़कर 1.1 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।

2017 में सॉफ्टवेयर पर होने वाले खर्च में 15.6 फीसदी की वृद्धि होगी और 2018 में इसमें और 15.1 फीसदी की वृद्धि होगी तथा यह 1.2 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।

आईटी सेवाओं पर खर्च में 2017 में 15.3 फीसदी की बढ़ोतरी होगी और यह 2 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा तथा 2018 में यह 13.8 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 2.3 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।

गार्टनर इंडिया के प्रबंध उपाअध्यक्ष गणेश राममूर्ति ने बताया, भारत के सरकारी क्षेत्र के खर्च में एक बार फिर तेजी आई है जिसमें पिछली दो तिमाहियों में नोटबंदी और औद्योगिक उत्पादन में गिरावट के कारण मंदी छाई थी।

सरकार की नई इलेक्ट्रॉनिक नीति, सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति और डेटा सुरक्षा नीति से आईटी पर किए जानेवाले सरकारी खर्च में निकट भविष्य में बढ़ोतरी होगी।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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