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आरबीआई नहीं चाहती कि आप घरों में कैश जमा करने की पुरानी आदत पर चलें

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आरबीआई नहीं चाहती कि आप घरों में कैश जमा करने की पुरानी आदत पर चलें

मुंबई। अगर आप सोच रहें है कि 8 नवंबर से पहले की तरह अब भी आप अपने घरों में कैश को संजोकर रख सकते हैं तो ख्याल आप अपने दिलो- दिमाग से निकाल दीजिये। भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार नहीं चाहते कि पहले की तरह फिर से आप कैश जमा करने की आदत को दोहराए।

23 जून 2016 को आई ‘पेमेंट ऐंड सेटलमेंट सिस्टम्स इन इंडिया: विजन 2018’ रिपोर्ट के मुताबिक ‘आरबीआई समाज के सभी वर्गों के बीच इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट्स को बढ़ावा देना चाहता है ताकि देश को ‘कैशलेस सोसायटी’ में बदला जा सके।’

रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि सेंट्रल बैंक करंसी नोट की सप्लाई कम करेगा और आधार बेस्ड पेमेंट सिस्टम को बढ़ावा देगा। बैंकों को लग रहा है कि 8 नवंबर की नोटबंदी से पहले सिस्टम में जितना कैश था, अब यह उससे काफी कम रहेगा।

डी-मॉनेटाइजेशन से पहले 17.6 लाख करोड़ करेंसी होने का अनुमान था। आगे चलकर इससे एक तिहाई कैश रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। आरबीआई की सोच से वाकिफ एक बैंकर ने बताया, ‘अगर नोटबंदी का मकसद नोटों का सर्कुलेशन कम करना है तो पहले जितनी करंसी सप्लाई की उम्मीद करना फिजूल की बात है। अगर लोगों को लगता है कि आरबीआई कैश सप्लाई पहले की तरह करने जा रहा है तो वे गलत साबित होंगे।’

भारत में करंसी इकनॉमी जीडीपी का 12 पर्सेंट है, जो बहुत अधिक है। इससे न सिर्फ करप्शन, बल्कि बड़े स्तर पर टैक्स चोरी का भी पता चलता है। मलेशिया में कैश इकनॉमी 8 पर्सेंट, अमेरिका में 7.8 पर्सेंट और मेक्सिको में 6.7 पर्सेंट है। तो नोटबंदी कैंपेन खत्म होने के बाद सिस्टम में कितना कैश अवलेबल होगा? इसका जवाब तो आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ही दे सकते हैं। हालांकि, एक अनुमान के मुताबिक शुरू में यह जीडीपी के 8.5-9 पर्सेंट तक रह सकता है।

इस बारे में एसबीआई के चीफ इकनॉमिस्ट एस के घोष ने बताया, ‘हमें लगता है कि कैश टु जीडीपी रेशियो 8 पर्सेंट पर स्टेबल हो सकता है।’

उन्होंने कहा कि इस मामले में भारत अमेरिका से बेहतर पोजीशन में आ सकता है। पब्लिक को लग रहा है कि आरबीआई और सरकार ने नोटबंदी के लिए पूरी तैयारी नहीं की थी, लेकिन अब लग रहा है कि सिस्टम में कैश कम करने के लिए सोच-समझकर योजना पर काम हो रहा है। इसलिए दोनों ने डिजिटल पेमेंट पर काफी जोर दिया है। लेकिन दोनों यह सच क्यों नहीं बता रहे हैं?

अगर सरकार और रिजर्व बैंक ये कहते हैं कि वे पहले की तुलना में दो तिहाई या आधी करेंसी ही रिलीज करेंगे तो अफरातफरी बढ़ जाएगी। इस मामले में कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के सुवोदीप रक्षित ने बताया, ‘इकनॉमिक एक्टिविटी के नॉर्मल लेवल पर आने के बाद कैश इन सर्कुलेशन भी सामान्य हो जाएगा। लॉन्ग टर्म में कैशलेस इकनॉमी की तरफ बढ़ने और महंगाई दर में कमी से अधिक नकदी की जरूरत भी नहीं रह जाएगी।’

बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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