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अन्तर्राष्ट्रीय

उत्तर कोरियाई मछुआरों का हो सकता है नाव में रखा शव : जापान

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टोक्यो, 27 नवंबर (आईएएनएस)| जापानी तट रक्षकों ने सोमवार को कहा कि अकिता प्रांत के तट के निकट नाव में पाए गए आठ शव उत्तर कोरियाई मछुआरों के हो सकते हैं। समाचार एजेंसी एफे से एक तटरक्षक प्रवक्ता ने कहा, नाव को पहली बार तट के निकट 24 नवंबर को देखा गया, लेकिन तेज लहरों की वजह से राहत कर्मी इस तक रविवार को पहुंचने में कामयाब हुए।

प्रवक्ता ने कहा कि अधिकारी शवों के लिंग की पहचान करने में जुटे हैं, जो बहुत ही विघटित अवस्था में मिले हैं।

प्रवक्ता ने कहा कि सप्ताहांत में एक अन्य घटना में जापानी कोस्ट गार्ड ने निगाटा प्रांत के सडो द्वीप के अलग हिस्सों से दो शव व साथ ही साथ नाव के अवशेष बरामद किए थे।

उत्तर कोरियाई तंबाकू के बक्से शवों के पास पाए गए। इसके साथ ही शवों के पास जीवन रक्षक जैकेट व कोरियाई लिपि हंगुल में लिखे वाक्य मिले।

आठ मछुआरों का एक समूह 23 नवंबर को अकिता प्रांत में पहुंचा, समूह का दावा है कि इंजन के फेल होने के कारण वह अपना रास्ते से भटक गए। यह समूह युरिहोनजो भी पहुंचा था और इसने उत्तर कोरिया से होने का दावा किया था।

प्रवक्ता ने कहा कि अक्सर मृत मछुआरों के साथ दर्जनों उत्तर कोरियाई नाव हर साल जापानी तटों पर बरामद की जाती हैं।

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अन्तर्राष्ट्रीय

इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास, पूरी तरह समझे कानून

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ब्रिटेन। इच्छामृत्यु को लेकर कई देशों में वाद-विवाद है, भारत में इच्छामृत्यु संबंधी कानून सक्रिय और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है। देश में (India) घातक यौगिकों के प्रशासन सहित सक्रिय इच्छामृत्यु के रूप अभी भी अवैध हैं। लेकिन एक वक्त पर भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन (Britain) ने इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास कर दिया है। ब्रिटेन का ये विधेयक गंभीर रूप से बीमार लोगों, जिनकी जीवन प्रत्याशा 6 महीने से कम है, वे अपनी इच्छा से खुद का जीवन खत्म कर सकते हैं। ये पूरी तरह से कानूनी होगा।

क्या होगा कानून

इस विधेयक के मुताबिक इसे लागू करने के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टर्स और एक हाईकोर्ट के जज की सहमति भी जरूरी होगी। हालांकि मरीज को इच्छामृत्यु के इस फैसले के लिए मानसिक रूप से पहले सक्षम माना जाना चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो किसी दबाव में तो नहीं। इसके अलावा मरीज को 2 बार अपनी मरने की इच्छा भी जतानी होगी। जिसके बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।

विधेयक पर तीखी बहस

ब्रिटेन की संसद में इस बिधेयक को लेकर तो बहस हुई ही साथ ही अब जनता भी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। संसद में इस बिल के समर्थकों ने इसे मरीज का दर्द खत्म करने और गरिमा के साथ मौते देने का विकल्प बताया तो विरोधी पक्ष ने इसे कमजोर और बीमार लोगों के लिए जोखिम भरा बताया और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई। बता दें कि ये विधेयक भले ही संसद से पास हो गया हो लेकिन इसे कानून बनने के लिए और भी समीक्षा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसके बाद ही कानून का रूप ले पाएगा। अब विपक्ष समेत आधी जनता के विरोध को देखते हुए जानकारों का मानना है कि शायद ही ये विधेयक इतनी आसानी से कानून का रूप ले पाएगा। ​

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