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मुख्य समाचार

कम एमएसपी खिलाफ प्रदर्शन करेंगे किसान संगठन

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नई दिल्ली, 14 जुलाई (आईएएनएस)| ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वयन समिति (एआईकेएससीसी) ने शनिवार को कहा कि खरीफ फसलों का उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का निर्धारण करने में नरेंद्र मोदी सरकार के विफल रहने के खिलाफ देशभर में किसान प्रदर्शन करेंगे। एआईकेएससीसी के नेताओं ने यहां मीडिया से बातचीत में कहा कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार एमएसपी नहीं देकर सरकार अपने चुनावी वादे को पूरा करने में विफल रही है। साथ ही, एमएसपी में की गई वृद्धि को ऐतिहासिक वृद्धि बताकर सरकार ने किसानों को मूर्ख बनाया है।

किसान नेताओं ने बताया कि 20 जुलाई को काले झंडे के साथ मंडी हाउस से लेकर संसद मार्ग तक मार्च निकाला जाएगा। इसके बाद भारत छोड़ो आंदोलन की बरसी पर नौ अगस्त को किसान मुक्ति दिवस मनाया जाएगा और किसान इस दिन जेल भरो आंदोलन में शामिल होंगे।

एआईकेएससीसी के अनुसार, 30 नवंबर को देशभर के किसान कर्ज माफी और बेहतर कृषि पारिश्रमिक से जुड़े दो विधेयक पास करवाने पर दबाव बनाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी का घेराव करेंगे।

एआईकेएससीसी का स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार ने खरीफ फसलों का एमएसपी लागत के ए2 प्लस एफएल के फॉर्मूले पर तय किया, जबकि स्वामीनाथन आयोग ने सी-2 फार्मूले पर एमएसपी तय करने की सिफारिश की है।

उन्होंने कहा, भाजपा लागत का डेढ़ गुना लाभ देने का दावा करती है और एमएसपी वृद्धि को ऐतिहासिक बताती है, जो कि गलत है। यह सी-2 पर आधारित नहीं है। सी-2 पर धान का एमएसपी 2,340 रुपये प्रति कुंटल होना चाहिए, जबकि सरकार ने 1,750 रुपये तय किया है। इसका मतलब है कि किसानों को प्रति कुंटल 590 रुपये का घाटा होगा।

उन्होंने कहा कि मोदी जब यह कहते हैं कि एमएसपी में की गई वृद्धि ऐतिहासिक है तो वह झूठ बोलते हैं। चुनावी साल में फसलों के दाम में वृद्धि कोई नई बात नहीं है। संप्रग सरकार ने भी 2008-09 में सभी फसलों की कीमतों में 50 फीसदी की वृद्धि की थी। लेकिन भाजपा द्वारा की गई वृद्धि एक फसल को छोड़कर बाकी में 50 फीसदी से कम है।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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