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बिजनेस

कर कटौती, मेडिकल रीइंबर्समेंट की सीमा बढ़ाने की मांग

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नई दिल्ली, 17 जनवरी (आईएएनएस)| पीएचडी चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री ने वित्त मंत्रालय से अपील की है कि कॉरपोरेट टैक्स को कम कर वायदे के अनुसार 25 प्रतिशत की सीमा के अंदर किया जाए, साथ ही संस्था ने यह मांग भी की है कि मिनिमम अलटरनेट टैक्स (एमएटी या न्यूनतम वैकल्पिक कर) में भारी कटौती हो।

इसके अलावा संस्था ने मेडिकल रीइंबर्समेंट की सीमा बढ़ाने की अपनी मांग दोहराई है और वेतनभोगी वर्ग के लिए इसे 15,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये करने की मांग की है। मंत्रालय को दिए गए बजट से पहले के अपने ज्ञापन में चैम्बर ने कहा है कि 18.5 प्रतिशत एमएटी की मौजूदा दर सरचार्ज और सेस समेत 20 प्रतिशत के करीब बैठती है और यह बहुत ज्यादा है तथा 2018-19 के आगामी बजट प्रस्तावों में इसे दुरुस्त किए जाने की आवश्यकता है।

पीएचडी चैम्बर के अध्यक्ष अनिल खेतान ने एमएटी दरों को दुरुस्त किए जाने की मांग करते हुए कहा कि एमएटी की शुरुआत के पीछे मकसद यही था कि शून्य कर वाली सभी कंपनियों को कर सीमा में लाया जाए, क्योंकि यह कराधान बहुत पहले 2000 में 7.5 प्रतिशत पर शुरू किया गया था।

चैम्बर ने याद दिलाया है कि वैसे तो सरकार की योजना है कि कॉरपोरेट टैक्स को चरणों में कम करके 30 प्रतिशत से 25 प्रतिशत पर लाया जाए, पर यह आवश्यक है कि कर में कमी को तर्कसंगत बनाया जाए और कर में भिन्न किस्म की छूट को खत्म किया जाए तथा कॉरपोरेट करदाताओं को प्रोत्साहन मिले। फाइनेंस एक्ट 2016 में कानून के संबंधित प्रावधानों को भी संशोधित कर दिया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कंपनियों को उपलब्ध कटौतियों और प्रोत्साहनों को चरणों में खत्म किया जाए, ताकि यह कॉरपोरेट कर की दर कम करने के सरकार के निर्णय के अनुकूल हो जाए।

मेडिकल रीइंबर्समेंट में वृद्धि के सुझाव के बारे में खेतान ने कहा, मुद्रास्फीति और जीवनयापन के बढ़ते खचरें से तालमेल के लिए सरकार को न सिर्फ निजी कराधान की सीमा को वाजिब करना चाहिए, बल्कि मेडिकल रीइंबर्समेंट की सीमा में भी वृद्धि करनी चाहिए और इसे वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए मौजूदा 15,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति वर्ष कर देना चाहिए।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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