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किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं ये लग्जरी ट्रेनें

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यूं तो सभी ने ट्रेनों में फर्स्ट क्लास से लेकर थर्ड क्लास एसी तक में सफर किया होगा और वहां की सुविधाएं देखी होंगी, लेकिन अगर आपने भारत की सबसे लग्जरी ट्रेनों में सफर नहीं किया है तो उनके बारे में एक बार जान लीजिए। हम आपको 5 इंडियन लग्जरी ट्रेनों के बारे में बताएंगे, जिनमें बैठकर आप किसी राजा महाराजा जैसा अहसास अनुभव करेंगे और भरपूर मनोरंजन के साथ अपनी यात्रा पूरी करेंगे।

देश में चलती पांच सुपर लग्जरी ट्रेन
भारत में इस समय महाराजा एक्सप्रेस, पैलेस ऑन व्हील्स, रॉयल राजस्थान, गोल्डन चैरियॅट और डेक्कन ओडिसी नाम की 5 सुपर लग्जरी ट्रेन चलती हैं। 26 जनवरी 1982 को रिपब्लिक डे के अवसर पर पहली लग्जरी ट्रेन को दिल्ली से शुरू किया गया था। जो थी पैलेस ऑन व्हील्स।

पैलेस ऑन व्हील्स 2009 तक एकमात्र लग्जरी ट्रेन थी, जिसकी वजह से विदेशी सैलानियों के पास एक ही ट्रेन में घूमने का विकल्प था। लेकिन 2010 के बाद देशभर के अलग-अलग स्थानों से 4 नई लग्जरी ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया। फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाओं वाली इन ट्रेनों में बार से लेकर जिम तक की सुविधा दी जाती है।

कितना है किराया
महाराजा एक्सप्रेस में बैडरूम से लेकर सभी जरूरी सुविधाएं मिलेंगी। इस ट्रेन में केबिन बुक करने के लिए आपको कम से कम 3 लाख से 8 लाख रूपए खर्च करने पड़ेंगे जबकि पैलेस ऑन व्हील्स का अक्टूबर से मार्च तक किराया 2.75 लाख, अप्रैल में 2 लाख रुपए है। 23 कोच की इस शाही रेलगाड़ी में 14 सैलून, एक स्पा कोच, दो महाराजा एवं महारानी रेस्टोरेंट एवं एक रिसेप्शन कम बार कोच सम्मिलित है।

डेक्कन ओडिसी का किराया 2.90 लाख से लेकर 4.35 लाख रुपए तक है। इसके अलावा रॉयल राजस्थान का किराया 3 लाख से लेकर 4.15 लाख रुपए तक है। गोल्डन चैरियॅट का किराया 1.62 लाख रुपए भारतीयों के लिए और 2.85 लाख रुपए विदेशियों के लिए है।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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