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‘ग्रीष्मावकास में बच्चों को दें मस्ती की छूट’
नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)| जब सूरज की गर्मी हर किसी के शरीर से पसीना बहाने लगती है, तब बच्चों को पढ़ाई से पसीना बहाने से मुक्ति मिलती है, यानी बहुप्रतीक्षित ग्रीष्मावकास। बच्चे पढ़ाई के बोझ से मुक्त इस अवधि को मुक्त रूप से जीना चाहते हैं। किताबों की दुनिया से अलग..अपनी अलग दुनिया में, जिसमें शामिल होती है मौज-मस्ती, खेल-कूद, घूमना-फिरना.. और भी ना जाने क्या..क्या..।
बच्चे आखिर ऐसा करें भी क्यों न.. इन छुट्टियों का उन्हें जो लंबे समय से इंतजार रहता है। कुछ बच्चे अपनी दादी-नानी के घर जाकर मुक्त रूप से मौज-मस्ती करते हैं, तो कुछ परिवार के साथ पर्यटन स्थलों का रुख करते हैं। जिन्हें ये सब नसीब नहीं हो पाता, वे अपने घर, गली-मुहल्ले में ही मौजूद मनोरंजन और खेल के साधनों से मन बहलाते हैं।
..तो क्या छुट्टियों का मतलब सिर्फ मौज-मस्ती ही होता है?
राष्ट्रीय राजधानी के उत्तम नगर में स्थित कुमार पब्लिक स्कूल में शिक्षिका मीनाक्षी शुक्ला कहती हैं, बच्चों की छुट्टी मौत-मस्ती के लिए ही होती है। लेकिन बच्चे ऐसा न करें कि सिर्फ खेल-कूद में ही अपनी छुट्टियां बिता दें, और स्कूल आने तक पढ़ाई में उनकी रुचि खत्म हो जाए। रुचि बनाए रखने के लिए बच्चों को रोजाना दिन में एक-दो घंटे पढ़ाई भी करनी चाहिए।
शुक्ला ने आईएएनएस से कहा, मानसिक विकास के लिए बच्चों को खेल-कूद में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए और घर के अंदर खेले जाने वाले खेलों के बजाय बाहर के खेलों में उन्हें अधिक रुचि लेनी चाहिए।
मीनाक्षी आगे कहती हैं, माता-पिता भी बच्चों के साथ वक्त बिताएं। उन्हें समझें, उनसे बातचीत करें, ताकि दोनों आपस में चीजों को समझ सकें।
उन्होंने कहा, शिक्षकों को भी चाहिए कि वे बच्चों को होमवर्क में लिखने-पढ़ने के साथ-साथ अन्य गतिविधियों से संबधी काम भी दें, ताकि हॉलीडे होमवर्क में उनकी रुचि बनी रहे।
लेकिन बच्चे तो बच्चे ही हैं। छुट्टियों को लेकर उनकी सोच और योजनाएं अलहदा हैं।
दिल्ली के गवर्नमेंट क्वाइट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में आठवीं के छात्र कुणाल कश्यप का कहना है, मैं छुट्यिों में खूब मस्ती कर रहा हूं। हमारे यहां पार्क में नए झूले लगे हैं और मैं इसे एन्जॉय कर रहा हूं। ..और हां, मैं ट्यूशन भी जाता हूं और पढ़ाई भी करता हूं।
नानी के घर जाने के बारे में पूछे जाने पर कुणाल ने मजाकिया लहजे में कहा, ना बाबा, मैं ‘बाहुबली-2’ में कटप्पा को देखने के बाद वहां नहीं गया।
दिल्ली के केंद्रीय विद्यालय के छात्र यासीर खान कहते हैं, छुट्टियों में खूब मस्ती कर रहा हूं। काश छुट्टियां हमेशा रहतीं.. लेकिन मम्मी मुझे ट्यूशन भी भेजती हैं।
छठी कक्षा के छात्र तुषार भी अलग नहीं हैं। वह कहते हैं, मुझे क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है, अपने दोस्तों के साथ खेलता हूं। छुट्टियों का भरपूर आनंद ले रहा हूं।
चौथी कक्षा की कशिश की कहानी अलग है। वह कहती हैं, घर में मम्मी के साथ रहती हूं, डांस करती हूं और होमवर्क भी करती हूं। शाम को पार्क में खेलने जाती हूं।
तो ये हैं बच्चों की छुट्टियों का लेखा-जोखा, छुट्टियों को लेकर उनकी सोच, उनकी भावनाएं, और उसे जीने का उनका अंदाज।
बेशक सभी बच्चे छुट्टियों में मौज-मस्ती चाहते हैं। लेकिन उनके माता-पिता उनकी इस मस्ती में कभी-कभी खलनायक की तरह पेश आते हैं। माता-पिता को डर लगता है कि उनका बच्चा खेल-कूद के चक्कर में पढ़ाई में पिछड़ ना जाए। लेकिन कुछ माता-पिता बच्चों को बचपन का आनंद लेने की पूरी आजादी भी देते हैं।
उत्तम नगर इलाके की रहने वाली गृहिणी सीमा त्रिवेदी ऐसी ही एक मां हैं। वह कहती हैं, मेरी बेटी नौवी में है और उसकी फिलहाल छुट्टियां चल रही हैं। वह जो चाहती है, करने देती हूं। वह पर्सनलिटी डेवलपमेंट का कोर्स भी कर रही है। हां, पढ़ाई भी करती है और उसे थोड़ा-बहुत घर में काम भी सिखा रही हूं। वह समझदार है, शाम को सहेलियों के साथ खेलती भी है।
राष्ट्रीय राजधानी से लगे गुड़गांव के एमएमपीएस स्कूल की प्राचार्या मधु खंडेलवाल के विचार भी कुछ ऐसे ही हैं। वह बच्चों को छुट्टियों में पूरी आजादी देने की वकालत करती हैं। वह कहती है, छुट्यिां ऐसी चीज हैं, जब बच्चे खुद के लिए वक्त बिताते हैं। माता-पिता के साथ रहते हैं। यह ऐसा समय होता है, जब आप आरामदायरक पल जीते हैं और गर्मियों की छुट्यिां इसीलिए होती हैं। इस दौरान मौसम बहुत गर्म हो जाता है, और इसीलिए बच्चों को छुट्टियां दी जाती हैं।
तो क्या बच्चों को पूरी छुट्यिां आराम और मौज-मस्ती में खर्च देनी चाहिए? खंडेलवाल ने आईएएनएस से कहा, बिल्कुल! छुट्यिों में आराम, मौज-मस्ती सबकुछ होना चाहिए। हमें बच्चों को मशीन नहीं बनाना है। हम अगर रिलेक्स होंगे तभी अच्छे से पढ़ाई भी कर सकेंगे।
खंडेलवाल माता-पिता को भी सलाह देती हैं कि उन्हें अपने बच्चों पर पढ़ाई के लिए जरूरत से ज्यादा दबाव नहीं देना चाहिए। क्योंकि इससे न तो बच्चों का भला होने वाला है, और न माता-पिता का ही।
वह कहती हैं, माता-पिता को चाहिए कि बच्चों के साथ अधिक से अधिक वक्त बिताएं। बच्चों को स्कूल और ट्यूशन के हवाले कर दिया जाता है, यह ठीक नहीं है। नौकरी-पेशा लोगों को भी बच्चों के लिए वक्त निकालना चाहिए।
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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।
स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,
एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ
कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी
डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।
On the move again, embarking on an exciting 4 nation book tour! 🇮🇳Looking forward to connecting with the vibrant Indian diaspora, celebrating India’s immense potential, and engaging in meaningful conversations. This journey is not just about a book; it’s about storytelling,… pic.twitter.com/dovNotUtOf
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 20, 2024
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