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अन्तर्राष्ट्रीय

चीन के पर्यटन स्थल किंघाई झील इलाके में ‘शौचालय क्रांति’ की शुरुआत

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बीजिंग, 27 नवंबर (आईएएनएस)| चीन की किंघाई प्रांत के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल किंघाई झील इलाके में ‘शौचालय क्रांति’ की शुरुआत हो गई है जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र और आसपास के क्षेत्र में शौचालयों का निर्माण और उनका उन्न्यन करना है। इस वर्ष अब तक इस पर्यटन क्षेत्र को परियोजना के हिस्से के रूप में 1.19 युआन करोड़ (10 लाख डॉलर) प्राप्त हुआ है।

क्षेत्र के पर्यटन निवेश और विकास की प्रभारी किंघाई झील पर्यटन कंपनी के व्यवसाय प्रबंधन विभाग के प्रमुख झांग शेंगजियांग ने कहा, झील के आसपास के 32 शौचालयों के उन्नयन के लिए 12.8 लाख युआन के निवेश का एक हिस्सा इस्तेमाल किया गया है और बाकी का धन 13 पर्यावरण अनुकूल शौचालयों और 11 यूनिसेक्स शौचालयों को स्थापिन करने के लिए उपयोग किया जा रहा है।

किंघाई झील चीन में स्थित सबसे बड़ी झील है और साथ ही सबसे बड़ी खारे पानी की झील है।

मई में सरकार ने इस क्षेत्र की शौचालय समस्या के लिए आलोचना की थी। अब हालात हालांकि सुधरने लगे हैं।

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अन्तर्राष्ट्रीय

इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास, पूरी तरह समझे कानून

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ब्रिटेन। इच्छामृत्यु को लेकर कई देशों में वाद-विवाद है, भारत में इच्छामृत्यु संबंधी कानून सक्रिय और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है। देश में (India) घातक यौगिकों के प्रशासन सहित सक्रिय इच्छामृत्यु के रूप अभी भी अवैध हैं। लेकिन एक वक्त पर भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन (Britain) ने इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास कर दिया है। ब्रिटेन का ये विधेयक गंभीर रूप से बीमार लोगों, जिनकी जीवन प्रत्याशा 6 महीने से कम है, वे अपनी इच्छा से खुद का जीवन खत्म कर सकते हैं। ये पूरी तरह से कानूनी होगा।

क्या होगा कानून

इस विधेयक के मुताबिक इसे लागू करने के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टर्स और एक हाईकोर्ट के जज की सहमति भी जरूरी होगी। हालांकि मरीज को इच्छामृत्यु के इस फैसले के लिए मानसिक रूप से पहले सक्षम माना जाना चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो किसी दबाव में तो नहीं। इसके अलावा मरीज को 2 बार अपनी मरने की इच्छा भी जतानी होगी। जिसके बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।

विधेयक पर तीखी बहस

ब्रिटेन की संसद में इस बिधेयक को लेकर तो बहस हुई ही साथ ही अब जनता भी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। संसद में इस बिल के समर्थकों ने इसे मरीज का दर्द खत्म करने और गरिमा के साथ मौते देने का विकल्प बताया तो विरोधी पक्ष ने इसे कमजोर और बीमार लोगों के लिए जोखिम भरा बताया और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई। बता दें कि ये विधेयक भले ही संसद से पास हो गया हो लेकिन इसे कानून बनने के लिए और भी समीक्षा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसके बाद ही कानून का रूप ले पाएगा। अब विपक्ष समेत आधी जनता के विरोध को देखते हुए जानकारों का मानना है कि शायद ही ये विधेयक इतनी आसानी से कानून का रूप ले पाएगा। ​

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