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मुख्य समाचार

छग : वयोवृद्ध साहित्यकार-पत्रकार प्रभाकर चौबे का निधन

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रायपुर, 22 जून (आईएएनएस/वीएनएस)। वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार प्रभाकर चौबे का गुरुवार रात यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने चौबे के निधन पर शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने यहां जारी शोक संदेश में कहा है कि प्रभाकर चौबे ने लगभग 54 वर्षो तक लगातार लेखन के जरिए साहित्य और पत्रकारिता को अपनी मूल्यवान और यादगार सेवाएं दी। उनके निधन से छत्तीसगढ़ में साहित्य और पत्रकारिता के एक सुनहरे युग का अंत हो गया।

चौबे ने अपने लेखन के जरिए देश और समाज को हमेशा सही दिशा देने का प्रयास किया। हिन्दी साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में पूरे देश में उनका सम्मानजनक स्थान था।

उल्लेखनीय है कि चौबे ने रायपुर के दैनिक ‘देशबन्धु’ में लगभग 25 वर्षो तक लगातार अपने साप्ताहिक कॉलम ‘हंसते हैं-रोते हैं’ में विभिन्न समसामयिक विषयों पर व्यंग्यात्मक और चिंतनपरक आलेख लिखे थे। उनका यह कॉलम काफी लोकप्रिय हुआ था।

उन्होंने लगभग 11 वर्षो तक दैनिक देशबन्धु पत्र समूह के सांध्य दैनिक हाईवे चैनल के प्रधान सम्पादक के रूप में भी कार्य किया। चौबे की प्रकाशित पुस्तकों में व्यंग्य संग्रह ‘विज्ञापन के बहाने’ (वर्ष 1986) और ‘गांधी जी मिले’ (वर्ष 2009), व्यंग्य उपन्यास ‘हे विदूषक, तुम मेरे प्रिय, व्यंग्य एकांकी ‘अजी सुनिए’ (वर्ष 2010), ‘फुरसतिया चिंतन’ (वर्ष-2011), कविता संग्रह ‘खेल के बाद मैदान’ (वर्ष-2003), सम्पादकीय आलेखों का संकलन ‘रोजनामचा’ (वर्ष-2003) रम्य रचनाओं का संकलन ‘यात्रा से पहले यात्रा’ (वर्ष 2012), समसामयिक लेखों का संकलन ‘नई सदी-नए सवाल’ (वर्ष-2013) और उपन्यास ‘वापसी’ (वर्ष-2013) उल्लेखनीय हैं।

प्रभाकर चौबे को वर्ष 2001 में महाराष्ट्र मंडल रायपुर की ओर से साहित्य में समग्र अवदान के लिए मुक्तिबोध सम्मान से नवाजा गया था। उन्हें वर्ष 2006 में कवि नारायणलाल परमार स्मृति सम्मान दिया गया था। उनकी अनेक रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी और दूरदर्शन से हुआ था।

उन्होंने राजधानी रायपुर के राष्ट्रीय विद्यालय में अध्यापन और प्राचार्य के रूप में भी अपनी सेवाएं दी।

प्रभाकर चौबे का जन्म छत्तीसगढ़ में महानदी के उद्गम स्थल सिहावा में एक अक्टूबर, 1935 को हुआ था।

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नेशनल

केजरीवाल ने सदन में पूछा सवाल, क्या लॉरेंस बिश्नोई को बीजेपी की तरफ से संरक्षण प्राप्त है

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नई दिल्ली। दिल्ली में कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शक्रवार को केंद्र सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है। अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में कहा कि दिल्ली में बदहाल होती कानून-व्यवस्था पर अमित शाह चुप क्यों हैं?। केजरीवाल ने कहा कि लॉरेंस बिश्नोई कौन है। इसका जवाब बीजेपी को देना होगा। क्या लॉरेंस बिश्नोई को बीजेपी की तरफ से संरक्षण प्राप्त है। उसे जेल में कौन-कौन सी सुविधाएं मिल रही हैं। वह गुजरात की जेल में रहते हुए भी देश-विदेश में गैंग कैसे चला रहा है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में हमने स्कूल, अस्पताल, सड़कें और बिजली ठीक करने की जिम्मेदारी पूरी की है लेकिन केंद्र सरकार और गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली की कानून व्यवस्था संभाली नहीं जा रही है। दिल्ली में हत्याएं और बम ब्लास्ट हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी-अभी मैं देख रहा था कि एक वकील कह रहे थे कि सड़क पर हाथ में मोबाइल फोन ले जाना मुश्किल है। आप मोबाइल फोन लो जाओगे, कोई ना कोई आपका मोबाइल छीन लेगा। दिल्ली में दुष्कर्म हो रहे हैं, मर्डर कर देते हैं। मैं यह एक अखबार लेकर आया हूं। दिल्ली की कानून व्यवस्था को लेकर इसमें जानकारी दी गई है।

उन्होंने कहा कि आपके पड़ोस में गैंगवार शुरू हो गए हैं। ये लॉरेंस बिश्नोई कौन है? कैसे वह जेल में बैठ कर गैंग चला रहा है। इसके बारे में अमित शाह को बताना पड़ेगा। बिश्नोई गैंग, भाऊ ग्रैंड, गोगी गैंग… ऐसे दर्जन भर गैंग दिल्ली के अंदर सक्रिय हैं। कोई बता रहा था कि इन्होंने अपने एरिया बांट रखे हैं।

दिल्ली में कानून व्यवस्था का यह हाल हो गया है कि आज हर कोई डरा हुआ है। लोगों को वसूली के फोन आ रहे हैं। महिलाओं का रेप कर हत्या की जा रही है। लॉरेंस बिश्नोई की गैंग ने आतंक मचा रखा है। एक बात समझ नहीं आ रही कि लॉरेंस बिश्नोई BJP शासित गुजरात की साबरमती जेल में बंद है तो वह जेल में रहकर अपनी गैंग कैसे चला रहा है?

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