ऑफ़बीट
जर्नलिस्ट बनना चाहती थीं ये ACTRESS, सर्जरी से खराब किया अपना चेहरा
नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्टर रणबीर कपूर तक के साथ काम करने वालीं एक्ट्रेस मनीषा लांबा का जन्म आज यानी की 18 जनवरी 1995 को हरियाणा के जाट परिवार में हुआ था, लेकिन उनकी परवरिश दिल्ली में हुई। बचपन से ही जर्नलिस्ट बनने का ख्वाब देखने वालीं मनीषा की जिंदगी को कुछ और ही मंजूर था, इसीलिए रास्ते उन्हें खुद धीरे-धीरे मॉडलिंग की दुनिया की ओर खींचते ले आये।
दिल्ली में अपनी डिग्री करते वक्त उन्हें एलजी, सोनी, कैडबरी, हाजमोला, एयरटेल, सनसिल्क आदि के विज्ञापनों में काम करने के प्रस्ताव मिले, परन्तु वह कैडबरी का विज्ञापन था जिसने उन्हें प्रकाश्ज्योत में ला खड़ा किया।
उन्हें बॉलीवुड निर्देशक शूजित सिरकार ने अपनी फ़िल्म यहाँ (2005) के लिए निमंत्रित किया। उन्होंने इसे स्वीकार कर अभिनय क्षेत्र में यहाँ से कदम रखा। समीक्षकों ने उनके अभिनय को काफ़ी सराहा।
2008 में उन्होंने सिद्धार्थ आनंद की फ़िल्म ‘बचना ए हसीनो’ में बिपाशा बसु, दीपिका पादुकोण और रणबीर कपूर के साथ मुख्य भूमिका अदा की। इस फ़िल्म को यश राज फिल्म्स ने निर्मित किया था।
उनका अगला मुख्य किरदार श्याम बेनेगल की फ़िल्म वेल डन अब्बा (2010) में था जिसकी कैनंस फ़िल्म समारोह में काफ़ी तारीफ की गई।
सितंबर 2014 में, लांबा ने लोकप्रिय भारतीय रिएलिटी शो बिग बॉस 8 में भाग लिया। बॉलीवुड एक्टर और पॉलिटिशयन राज बब्बर के बेटे आर्य बब्बर के साथ मिनिषा का अफेयर चला था।
हालांकि इसका खुलासा खुद आर्य ने बिग बॉस सीजन 8 में किया था। मिनिषा और आर्य दोनों ही इस सीजन में बिग बॉस के घर के सदस्य थे।
आर्य ने इस शो में मिनिषा के ऊपर कई इल्जाम लगाए थे। बाद में शो के होस्ट सलमान खान के कहने पर आर्य ने मिनिषा से लाइव शो के दौरान माफी मांगी थी और इस बात का खुलासा किया था कि बिग बॉस के घर में आने से पहले दोनों रिलेशनशिप में थे।
उन्होंने कॉर्पोरेट, रॉकी: द रेबेल, अन्थोनी कौन है, हनीमून ट्रेवेल्स प्राइवेट लिमिटेड, अनामिका, शौर्य और दस कहानियाँ में सह सह-अदाकारा की भूमिका निभाई। उन्होंने मैक्सिम इण्डिया के लिए चित्र भी निकलवाया।
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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.
लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.
महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’
राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”
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