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बिजनेस

नई कृषि निर्यात नीति किसानों की आमदनी दोगुनी करने में सहायक : प्रभु

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नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)| केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने गुरुवार को कहा कि कृषि उत्पादों के निर्यात को सुगम बनाने के लिए सरकार नई कृषि निर्यात नीति पर कार्य कर रही है। यह नीति निर्यात बढ़ाने में प्रभावकारी होगी और यह किसानों की आमदनी दोगुनी करने में सहायक होगी। वाणिज्य मंत्री नोएडा के एक्सपो सेंटर में दो दिवसीय ‘इंडस फूड कार्यक्रम’ के उद्घाटन पर बोल रहे थे।

ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (टीपीसीआई) की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में 43 देशों की 408 कंपनियां पहुंची हैं। यहां गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, झारखंड, केरल आदि राज्यों के पवेलियन लगाए गए हैं।

काउंसिल की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि इस कार्यक्रम का मकसद देश के किसानों व कृषि उत्पादकों को दुनिया भर के रिटेल चेन और अन्य फूड कंपनियों के साथ जोड़ने की कोशिश करना है।

सुरेश प्रभु ने कहा, सरकार एक रणनीति पर काम कर रही है जिससे निर्यात को बढ़ावा देते हुए भारत में अधिक नौकरियों का सृजन किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह रणनीति इस तरह की होगी जिससे न केवल निर्यात की मात्रा बल्कि कारोबार का आंकड़ा भी बढ़े।

प्रभु ने कहा, भारत में मेक इन इंडिया की अवधारणा को मजबूत करने के लिए वाणिज्य मंत्रालय की ओर से कई कदम उठाए जा रहे हैं। इससे इंडस्ट्री और उत्पादक कंपनी दोनों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादकों और किसानों को राहत और लाभ देने के लिए सरकार नई कृषि निर्यात नीति पर भी काम कर रही है। इससे न केवल कंपनियों बल्कि आम किसानों को भी लाभ होगा।

प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ के अलावा डेयरी, फल-सब्जी, मीट, सी फूड, मसाला, टी-कॉफी, दाल और अनाज की कंपनियां आई हैं।

देश में किसानों की आय दोगुनी करने के संबंध में किए गए एक सवाल के जवाब में प्रभु ने कहा कि कृषि उत्पाद निर्यात रणनीति से निर्यात का वातावरण बदलेगा। इससे न सिर्फ किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी बल्कि उन्हें यह अधिकार भी होगा कि वे अपना माल या सामान किसे बेचें क्योंकि दुनिया की नामी कंपनियां सीधे उनसे खरीदारी करेंगी।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है।

काउंसिल की ओर से बताया गया कि वर्ष 2016 में भारत में 193 अरब डॉलर का फूड बाजार काराबार आंका गया था, जोकि वर्ष 2020 तक बढ़कर 540 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है। यह क्षेत्र सालाना 12 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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