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अन्तर्राष्ट्रीय

पुतिन ने विदेशी मीडिया संस्थान संबंधी नए कानून पर हस्ताक्षर किए

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मास्को, 26 नवंबर (आईएएनएस)| रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक नए कानून पर हस्ताक्षर किए हैं जो सरकार को देश में काम कर रहे किसी भी विदेशी मीडिया संस्थान को ‘फॉरेन एजेंट’ के रूप में सूचीबद्ध करने की अनुमति देता है।

‘बीबीसी’ की शनिवार की रिपोर्ट के मुताबिक, क्रेमलिन समर्थित ब्रॉडकास्टर ‘आरटी’ को अमेरिका में फॉरेन एजेंट के रूप में पंजीकृत किए जाने के आदेश के जवाब में संसद ने इस बिल को मंजूरी दी थी।

इस नए कानून के तहत ‘वॉयस ऑफ अमेरिका’ और ‘रेडियो फ्री यूरोप/ रेडियो लिबर्टी’ सहित करीब नौ अमेरिकी वित्त पोषित प्रसारक प्रभावित हो सकते हैं।

‘आरटी’ पर रूस के अमेरिकी चुनाव में कथित रूप से हस्तक्षेप करने का आरोप लगता रहा है। हालांकि उसने इस दावे को खारिज किया है।

रूस का यह नया कानून विदेशी-पंजीकृत मीडिया को प्रभावित करता है जो रूस के बाहर से वित्त पोषण प्राप्त करते हैं।

ऐसे मीडिया संस्थान अब अतिरिक्त आवश्यकताओं के अधीन हो गए हैं और इनका अनुपालन न होने की स्थिति में इनकी गतिविधियां निलंबित हो सकती हैं।

अगर वह पंजीकृत होते हैं तो उन्हें अपने प्रसारण और अपनी वेबसाइटों में खुद को फॉरेन एजेंट बताना होगा।

इसी प्रकार का एक कानून पहले से ही धर्मार्थ और अन्य नागरिक समाज समूहों के लिए है।

रूस का न्याय मंत्रालय अब यह तय करेगा कि किस मीडिया संस्थान और किन परिस्थितियों में यह लागू होगा।

आरटी ने पिछले सप्ताह कहा था कि अमेरिका में उसे एक फॉरने एजेंट के रूप में पंजीकृत किया गया है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास, पूरी तरह समझे कानून

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ब्रिटेन। इच्छामृत्यु को लेकर कई देशों में वाद-विवाद है, भारत में इच्छामृत्यु संबंधी कानून सक्रिय और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है। देश में (India) घातक यौगिकों के प्रशासन सहित सक्रिय इच्छामृत्यु के रूप अभी भी अवैध हैं। लेकिन एक वक्त पर भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन (Britain) ने इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास कर दिया है। ब्रिटेन का ये विधेयक गंभीर रूप से बीमार लोगों, जिनकी जीवन प्रत्याशा 6 महीने से कम है, वे अपनी इच्छा से खुद का जीवन खत्म कर सकते हैं। ये पूरी तरह से कानूनी होगा।

क्या होगा कानून

इस विधेयक के मुताबिक इसे लागू करने के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टर्स और एक हाईकोर्ट के जज की सहमति भी जरूरी होगी। हालांकि मरीज को इच्छामृत्यु के इस फैसले के लिए मानसिक रूप से पहले सक्षम माना जाना चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो किसी दबाव में तो नहीं। इसके अलावा मरीज को 2 बार अपनी मरने की इच्छा भी जतानी होगी। जिसके बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।

विधेयक पर तीखी बहस

ब्रिटेन की संसद में इस बिधेयक को लेकर तो बहस हुई ही साथ ही अब जनता भी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। संसद में इस बिल के समर्थकों ने इसे मरीज का दर्द खत्म करने और गरिमा के साथ मौते देने का विकल्प बताया तो विरोधी पक्ष ने इसे कमजोर और बीमार लोगों के लिए जोखिम भरा बताया और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई। बता दें कि ये विधेयक भले ही संसद से पास हो गया हो लेकिन इसे कानून बनने के लिए और भी समीक्षा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसके बाद ही कानून का रूप ले पाएगा। अब विपक्ष समेत आधी जनता के विरोध को देखते हुए जानकारों का मानना है कि शायद ही ये विधेयक इतनी आसानी से कानून का रूप ले पाएगा। ​

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