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पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना अव्यवहारिक : राजीव कुमार

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नई दिल्ली, 25 जून (आईएएनएस)| पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने को लेकर सरकार की ओर से जल्दबाजी दिखाने की संभावना कम है, क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारों के लिए यह दुधारू गाय है। मतलब कर से सबसे ज्यादा राजस्व पेट्रोलियम उत्पादों से ही प्राप्त होता है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की भी धारणा कुछ ऐसी ही है। हालांकि कई वरिष्ठ मंत्रियों ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की है।

लेकिन राजीव कुमार कहते हैं कि इसे (तेल को) जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जा सकता है, क्योंकि पेट्रोल पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाया गया कर इस समय तकरीबन 90 फीसदी है।

राजीव कुमार ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा, मुझे नहीं लगता कि कोई राज्य इतनी बड़ी कटौती के लिए तैयार होगा, क्योंकि जीएसटी के तहत अधिकतम कर 28 फीसदी है। इसके लिए जीएसटी की एक नई पट्टी बनानी होगी, जिसके लिए बड़ी कवायद करनी होगी।

हालांकि सभी मदों को नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के तहत लाने का समर्थन करते हुए कुमार ने कहा कि जो लोग इसे जीएसटी के दायरे में लाने की बात कर रहे हैं, उन्होंने अभी इस तरह से विचार नहीं किया है।

उन्होंने कहा, ऐसा करने का बेहतर तरीका यह है कि पहले पेट्रोलियम उत्पादों पर कर घटाया जाए, जैसाकि मैंने कई बार सार्वजनिक तौर पर कहा है। राज्य सरकारें इस पर वैट (मूल्यवर्धित कर) लगाती हैं, जिसमें कीमत बढ़ने पर फायदा होता है। इसका राष्ट्रीयकरण करने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा, राज्यों को खासतौर से इसपर कर घटाना चाहिए।

कुमार ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को तेल पर करारोपण से अपनी स्वतंत्रता से अलग होने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।

उनके अनुसार, केंद्र सरकार को तेल पर कर से 2.5 लाख करोड़ रुपये प्राप्त होता है और राज्य सरकारों को भी तकरीबन दो लाख करोड़ रुपये कर संग्रह तेल से होता है।

उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा, इसकी भरपाई कहां से वे करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर करों में धीरे-धीरे कटौती की जाएगी तो अर्थव्यवस्था पर बोझ घटेगा।

कुमार ने कहा, तेल की ऊंची कीमत अर्थव्यवस्था पर एक प्रकार का कर है। अगर तेल की कीमतें घटेंगी तो आर्थिक गतिविधियों में भी सुधार होगा।

पिछले साल वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में कहा था कि राज्यों के साथ सर्वसम्मति बनाने के बाद केंद्र सरकार पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाना चाहती है।

इसी साल अप्रैल में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में भारी तेजी आने पर जब पेट्रोल की कीमत घरेलू बाजार में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने मुंबई में एक रैली के दौरान कहा था कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से लेकर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान समेत भाजपा के सभी वरिष्ठ मंत्रियों ने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की वकालत की है।

कुमार ने कहा, मैं सिर्फ यह कह रहा हूं कि हमें जल्दबाजी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे आप समस्याओं से घिर जाएंगे। तेल पर काफी निर्भरता है।

उन्होंने कहा, बिजली को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए। हर वस्तु जीएसटी के दायरे में हो। लेकिन मुझे पक्का विश्वास नहीं है कि अभी यह हो पाएगा।

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नेशनल

केजरीवाल ने सदन में पूछा सवाल, क्या लॉरेंस बिश्नोई को बीजेपी की तरफ से संरक्षण प्राप्त है

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नई दिल्ली। दिल्ली में कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शक्रवार को केंद्र सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है। अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में कहा कि दिल्ली में बदहाल होती कानून-व्यवस्था पर अमित शाह चुप क्यों हैं?। केजरीवाल ने कहा कि लॉरेंस बिश्नोई कौन है। इसका जवाब बीजेपी को देना होगा। क्या लॉरेंस बिश्नोई को बीजेपी की तरफ से संरक्षण प्राप्त है। उसे जेल में कौन-कौन सी सुविधाएं मिल रही हैं। वह गुजरात की जेल में रहते हुए भी देश-विदेश में गैंग कैसे चला रहा है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में हमने स्कूल, अस्पताल, सड़कें और बिजली ठीक करने की जिम्मेदारी पूरी की है लेकिन केंद्र सरकार और गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली की कानून व्यवस्था संभाली नहीं जा रही है। दिल्ली में हत्याएं और बम ब्लास्ट हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी-अभी मैं देख रहा था कि एक वकील कह रहे थे कि सड़क पर हाथ में मोबाइल फोन ले जाना मुश्किल है। आप मोबाइल फोन लो जाओगे, कोई ना कोई आपका मोबाइल छीन लेगा। दिल्ली में दुष्कर्म हो रहे हैं, मर्डर कर देते हैं। मैं यह एक अखबार लेकर आया हूं। दिल्ली की कानून व्यवस्था को लेकर इसमें जानकारी दी गई है।

उन्होंने कहा कि आपके पड़ोस में गैंगवार शुरू हो गए हैं। ये लॉरेंस बिश्नोई कौन है? कैसे वह जेल में बैठ कर गैंग चला रहा है। इसके बारे में अमित शाह को बताना पड़ेगा। बिश्नोई गैंग, भाऊ ग्रैंड, गोगी गैंग… ऐसे दर्जन भर गैंग दिल्ली के अंदर सक्रिय हैं। कोई बता रहा था कि इन्होंने अपने एरिया बांट रखे हैं।

दिल्ली में कानून व्यवस्था का यह हाल हो गया है कि आज हर कोई डरा हुआ है। लोगों को वसूली के फोन आ रहे हैं। महिलाओं का रेप कर हत्या की जा रही है। लॉरेंस बिश्नोई की गैंग ने आतंक मचा रखा है। एक बात समझ नहीं आ रही कि लॉरेंस बिश्नोई BJP शासित गुजरात की साबरमती जेल में बंद है तो वह जेल में रहकर अपनी गैंग कैसे चला रहा है?

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