ऑफ़बीट
फिल्मों जैसी है इस 18 साल के लड़के की LOVE स्टोरी, पढ़ते ही रो देंगे आप
आजतक आपने फिल्मों में बहुत सारी लव स्टोरीज देखी और सुनी होगी लेकिन जो रियल स्टोरी आज हम आपको सुनाने जा रहे है। वो बेशक ही बड़ी से बड़ी फिल्मों को भी पछाड़ देगी।
जी हां। दरअसल, अमेरिका के जोर्जिया स्थित अटलांटा शहर में डस्टिन स्नाइडर नाम के एक लड़के को दुर्लभ किस्म का कैंसर सायनोवियल सार्कोमा हैं। स्नाइडर जिंदगी जीना तो चाहता है पर अब उसके पास जिंदगी जीने का वक़्त ही नहीं है।
डॉक्टर्स भी साफ कर चुके हैं कि यह लाइलाज बीमारी है और डस्टिन के पास कम ही वक्त बचा है। डस्टिन ये बातें जानने के बाद वे सब चीजें करने में जुटे हैं, जो वह जिंदगी में चाहते हैं। उनकी इसी लिस्ट में एक चीज अभी तक अधूरी है। वह अपनी स्कूल की दोस्त सिएरा सिवेरो से शादी करना चाहते हैं।
कहते हैं, “सिरएा मतलब दुनिया। मेरे लिए वही सबकुछ है। मैं उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता।” स्नाइडर की कहानी जब लोगों के सामने आई, तो वे इसे सच्चे प्यार की मिसाल के रूप में बताने लगे। लोग स्नाइडर का किस्सा इंटरनेट पर वायरल करने लगे, जिसके बाद दुनिया भर में उनकी लव स्टोरी छाई हुई है।
स्नाइडर और सिवेरो की प्रेम कहानी तब शुरू हुई थी, जब वे छठी कक्षा में पढ़ते थे। सिवेरो भी इस बारे में कहती हैं, “बेशक वह मेरा पहला प्यार है।” उन्होंने एक दूजे को डेट किया, मगर मिडल स्कूल के बाद वे अलग हो गए थे। हालांकि, हाई स्कूल में आकर वह फिर मिले। गुरुवार को उन्होंने अपनी शादी के कार्यक्रम का स्थल पहली देखा।
स्नाइडर कैंसर से डेढ़ साल पीड़ित हैं, ये बात उनकी प्रेमिका अच्छी तरह से जानती हैं। फिर भी वह उनके साथ हैं। सिवेरो के बारे में उन्होंने कहा, “शुरुआत से वह मेरे साथ है। मैं उसके अलावा अपने साथ किसी और के साथ के बारे में सोच भी नहीं सकता हूं।”
डस्टिन की इस अंतिम इच्छा के बारे में जब लोगों को पता लगा तो वे मदद के लिए आगे आए। दोनों की शादी कराने के लिए लोगों ने आर्थिक मदद भी की। डस्टिन की मां ने कहा, “मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि इतने सारे लोग हमारी मदद के लिए आगे आए।” बता दें कि सच्चे प्यार की ये दो मिसालें 28 जनवरी को शादी के बंधन में बंध जाएगी।
ऑफ़बीट
बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.
लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.
महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’
राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”
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