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बंद का कुछ राज्यों में व्यापक व कुछ में मिला-जुला असर (राउंडअप)
नई दिल्ली, 10 सितम्बर (आईएएनएस)| ईंधन की बढ़ती कीमतों व डॉलर की तुलना में रुपये के लुढ़कने के विरोध में कांग्रेस और वाम पार्टियों द्वारा आहूत बंद का देश में मिला-जुला असर देखने को मिला। भाजपा ने हालांकि बंद को विफल बताया। ओडिशा, कर्नाटक, बिहार, केरल, असम, मणिपुर और त्रिुपरा में बंद का व्यापक असर द्रेा गया और इन राज्यों में सामान्य जीवन प्रभावित हुआ। गुजरात, झारखंड, महाराष्ट्र, हरियाणा, कश्मीर, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बंद का मिलाजुला असर देखने को मिला।
ममता बनर्जी शासित पश्चिम बंगाल में हालांकि बंद कुल मिलाकर निष्प्रभावी रहा।
बंद की वजह से देश में कई जगहों पर रेल व सड़क यातायात में व्यवधान उत्पन्न किया गया। बिहार के जहानाबाद में दो वर्ष की बीमार बच्ची की अस्पताल ले जाते वक्त सड़क बाधित होने की वजह से मौत हो गई।
कुछ भागों में बंद समर्थकों की कथित हिंसा के बाद पुलिस के साथ झड़प हुई। इसके बाद भाजपा ने इस बंद को ‘पूरी तरह असफल’ बताते हुए कांग्रेस पर बंद के दौरान हिसा करके भय का माहौल पैदा करने का आरोप लगाया।
बंद के दौरान ओडिशा में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ और सड़क व ट्रेन सेवा पर असर पड़ा। यहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सड़क व ट्रेन के परिचालन को ठप कर दिया। सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए। रेलवे ने 12 ट्रेनों को रद्द कर दिया, जबकि इस दौरान स्कूल व कॉलेज बंद रहे।
बिहार में बंद के दौरान सामान्य जनजीवन पर काफी असर पड़ा। यहां बंद का समर्थन राष्ट्रीय जनता दल, वाम दल, हिंदुस्तानी आवामी पार्टी व पप्पू यादव के नेतृत्व वाली जन अधिकार पार्टी ने किया।
प्रदर्शनकारियों की कई जगहों पर पुलिस के साथ झड़प हुई। पटना में दर्जनों वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
कर्नाटक में भी बंद से सामान्य जनजीवन पर असर पड़ा, यहां सार्वजनिक परिवहन सड़कों से नदारद रहा। स्कूल-कालेज बंद रहे। इंफोसिस और विप्रो जैसी सॉफ्टवेयर कंपनियों में रोजाना की तरह काम हुआ।
भाजपा शासित त्रिपुरा में भी अधिकतर दुकानें, बाजार और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे और निजी व यात्री वाहनों को सड़क पर नहीं देखा गया। सरकारी दफ्तरों और बैंकों में भी कम उपस्थिति देखी गई।
भारतीय जनता पार्टी ने हालांकि कहा कि बंद का त्रिपुरा में कोई असर नहीं पड़ा।
झारखंड में बंद का असर देखा गया। कई स्थानों पर दुकानें बंद रहीं। लंबी दूरी की बसें नहीं चलीं।
उत्तर प्रदेश में कुछ जगहों से प्रदर्शन की खबरें मिलीं। राज्य में बंद आंशिक रूप से सफल रहा।
बाढ़ प्रभावित केरल में सार्वजनिक वाहन सड़कों से नदारद रहे जबकि निजी वाहन कई जगहों पर चलते दिखे। यहां बाजार और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे।
तेलंगाना व आंध्र प्रदेश में बस सेवा प्रभावित हुई और कई निजी शैक्षणिक संस्थान बंद रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में बंद का मिला जुला असर देखने को मिला। यहां बड़ी संख्या में शैक्षणिक संस्थान बंद रहे और सड़कों पर कम वाहनों को देखा गया।
महाराष्ट्र में शहरों में बंद का आंशिक असर रहा, लेकिन उप-नगरीय इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में बंद को काफी अच्छा समर्थन प्राप्त हुआ।
मुंबइ व अन्य शहरों में उपनगरीय ट्रेनों, बसों के परिचालन पर कोई असर नहीं पड़ा। स्कूल व कॉलेज भी खुले रहे। लेकिन कई जगहों पर बाजार बंद रहे।
पश्चिम बंगाल में बंद का कोई असर नहीं हुआ। यहां कोलकाता में अधिकतर शैक्षणिक संस्थान खुले रहे, वहीं व्यापारिक गतिविधि भी सामान्य रहीं।
तृणमूल कांग्रेस ने बंद के मुद्दे का तो समर्थन किया था, लेकिन अपनी बंद विरोधी नीति की वजह से बंद का विरोध किया।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में एकजुट विपक्ष ने पेट्रोल, डीजल की बढ़ी कीमतों के विरोध में आहूत ‘भारत बंद’ के समर्थन में राजघाट से रामलीला मैदान तक पैदल मार्च निकाला।
मार्च में जनता दल सेकुलर (जेडी-एस), तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, (एनसीपी), लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी), राष्ट्रीय लोक दल, ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और आम आदमी पार्टी (आप) ने हिस्सा लिया। प्रदर्शन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग की अध्यक्ष सोनिया गांधी भी मौजूद थीं।
राजघाट पर राहुल ने महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि भी अर्पित की। उन्होंने ईंधन की बढ़ती कीमतों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘पूरी चुप्पी’ पर सवाल उठाया।
दिल्ली में सत्तारूढ़ आप ने बंद में शामिल होने से इनकार कर दिया था लेकिन उसने भी मार्च में अपने नेता संजय सिंह को भेजा।
वामपंथी दलों ने राष्ट्रीय राजधानी में अलग से रैली निकाली।
भाजपा ने कहा कि ईंधन की बढ़ती कीमत एक ‘तात्कालिक दिक्कत’ है। पार्टी बंद को पूरी तरह असफल बताया।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, भारत बंद असफल रहा। हम देश में लोगों के बीच डर का माहौल पैदा करने के लिए हिंसा के प्रयोग की निंदा करते हैं।
नेशनल
केजरीवाल ने सदन में पूछा सवाल, क्या लॉरेंस बिश्नोई को बीजेपी की तरफ से संरक्षण प्राप्त है
नई दिल्ली। दिल्ली में कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शक्रवार को केंद्र सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है। अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में कहा कि दिल्ली में बदहाल होती कानून-व्यवस्था पर अमित शाह चुप क्यों हैं?। केजरीवाल ने कहा कि लॉरेंस बिश्नोई कौन है। इसका जवाब बीजेपी को देना होगा। क्या लॉरेंस बिश्नोई को बीजेपी की तरफ से संरक्षण प्राप्त है। उसे जेल में कौन-कौन सी सुविधाएं मिल रही हैं। वह गुजरात की जेल में रहते हुए भी देश-विदेश में गैंग कैसे चला रहा है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में हमने स्कूल, अस्पताल, सड़कें और बिजली ठीक करने की जिम्मेदारी पूरी की है लेकिन केंद्र सरकार और गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली की कानून व्यवस्था संभाली नहीं जा रही है। दिल्ली में हत्याएं और बम ब्लास्ट हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी-अभी मैं देख रहा था कि एक वकील कह रहे थे कि सड़क पर हाथ में मोबाइल फोन ले जाना मुश्किल है। आप मोबाइल फोन लो जाओगे, कोई ना कोई आपका मोबाइल छीन लेगा। दिल्ली में दुष्कर्म हो रहे हैं, मर्डर कर देते हैं। मैं यह एक अखबार लेकर आया हूं। दिल्ली की कानून व्यवस्था को लेकर इसमें जानकारी दी गई है।
उन्होंने कहा कि आपके पड़ोस में गैंगवार शुरू हो गए हैं। ये लॉरेंस बिश्नोई कौन है? कैसे वह जेल में बैठ कर गैंग चला रहा है। इसके बारे में अमित शाह को बताना पड़ेगा। बिश्नोई गैंग, भाऊ ग्रैंड, गोगी गैंग… ऐसे दर्जन भर गैंग दिल्ली के अंदर सक्रिय हैं। कोई बता रहा था कि इन्होंने अपने एरिया बांट रखे हैं।
दिल्ली में कानून व्यवस्था का यह हाल हो गया है कि आज हर कोई डरा हुआ है। लोगों को वसूली के फोन आ रहे हैं। महिलाओं का रेप कर हत्या की जा रही है। लॉरेंस बिश्नोई की गैंग ने आतंक मचा रखा है। एक बात समझ नहीं आ रही कि लॉरेंस बिश्नोई BJP शासित गुजरात की साबरमती जेल में बंद है तो वह जेल में रहकर अपनी गैंग कैसे चला रहा है?
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