मुख्य समाचार
भाजपा की मुसीबत बनतीं ‘तीन देवियां’
कभी अपने बयान बहादुरों से संकट में पड़ने वाली केंद्र की भाजपानीत मोदी सरकार अब अपनी तीन महिला नेताओं के चलते मुसीबत में है। आने वाले मानसून सत्र में सरकार की परेशानी का सबब बन चुकीं इन तीन नेत्रियों सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे सिंधिया और स्मृति ईरानी के माध्यम से विपक्ष के चक्रव्यूह को तोड़ने में मोदी सरकार कैसे कामयाब होगी? यह देखना दिलचस्प होगा।
ललित मोदी भारतीय राजनीति के लिए ऐसे ‘भस्मासुर’ बन चुके हैं कि वह जिसके सिर पर हाथ रख दें वो भारतीय राजनीति से भस्म हो जाता है। कभी पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की कुर्सी जाने का कारण बन चुके ललित मोदी की वजह से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया संकट में हैं। आईपीएल के पूर्व दागी कमिश्नर ललित मोदी की सहायता करने के कारण विपक्ष खासकर कांग्रेस सुषमा और वसुंधरा का त्यागपत्र मांग रहा है।
तीसरे विवादित नाम केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर कांग्रेस कुछ ज्यादा ही हमलावर है। हो सकता है इसका कारण ईरानी द्वारा जब-तब कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को उनके चुनाव क्षेत्र अमेठी में चुनौती देना हो लेकिन इससे भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि शपथ लेने के साथ ही ईरानी डिग्री विवाद में फंस गई थीं।
उस समय भी राजनीतिक पंडितों ने ईरानी को मंत्रिमंडल में शामिल करने और उन्हें मानव संसाधन विकास जैसा महत्तवपूर्ण मंत्रालय सौंपने को मोदी सरकार की रणनीतिक भूल बताया था। बताते हैं कि आरएसएस को भी ईरानी के एचआरडी मंत्री बनने पर एतराज था क्योंकि संघ अपना जो एजेंडा मोदी सरकार के जरिए देश में लागू करवाना चाहता है उसमें एचआरडी मंत्रालय की काफी महत्तवपूर्ण भूमिका है।
वैसे देखा जाय तो सुषमा स्वराज के मामले में कांग्रेस अलग-थलग पड़ती नजर आ रही है। कांग्रेस को संपूर्ण विपक्ष का साथ सुषमा के मामले में नहीं मिला था। जहां तक वसुंधरा की बात है तो राजस्थान कांग्रेस में भी इसमें दो मत हैं कि वसुंधरा को पद से हटाने पर जोर दिया जाय। राजस्थान कांग्रेस का एक धड़ा यह मानता है कि पांच साल में वसुंधरा ऐसी तमाम गलतियां करेंगी जिससे अगली बार कांग्रेस की राज्य में सत्ता वापसी की राह आसान हो जाएगी। पूर्व में ऐसा हो भी चुका है।
भाजपा की उक्त तीनों नेत्रियों के इस्तीफे की मांग को लेकर कांग्रेस ने संसद का मानसून सत्र न चलने देने की धमकी दी है। हालांकि इनके इस्तीफे के बाद भी कांग्रेस का रवैया सहयोगत्मक रहेगा, इसमें संदेह है। यदि ऐसा होता है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा क्योंकि जनहित के बहुत से विधेयक लंबित हैं जिन्हें बजट सत्र में सरकार पास नहीं करवा पाई थी। संसद के बजट सत्र में माननीयों ने रिकार्ड कायम करने हुए ओवरटाइम किया था जिससे संसद में कामकाज सुचारू रूप से चल सका था और कई विधेयकों ने कानून की शक्ल अख्तियार कर ली थी।
वैसे लगता तो यही है कि कांग्रेस का मुख्य निशाना स्मृति ईरानी ही हैं यदि सरकार उनका ही इस्तीफा करा देती है तो कांग्रेस इसे अपनी जीत मानकर संसद में सहयोग करने को राजी हो सकती है। ईरानी का मुख्य दोष तो यही है कि उन्होंने राहुल गांधी को चुनौती दी और अब कांग्रेस को उनकी डिग्री के जरिये उन पर हमला करने का पूरा मौका मिल चुका है।
अब कौन इस्तीफा देता है और कौन अपने पद पर बना रहता है यह तो भाजपा की समस्या है लेकिन इस मुद्दे पर संसद की कार्यवाही को बाधित करने को कहीं से भी उचित नहीं ठहराया जा सकता। अच्छा हो कि दोनों दल कोई बीच का रास्ता निकालें।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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