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भारतीय इतिहास का वो पन्ना, जहां 200 महिलाओं ने खुद ‘रेपिस्ट’ को उतारा था मौत के घाट

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नई दिल्ली। कहते हैं ‘अति किसी भी चीज की अच्छी नहीं होती। अक्सर अपराधी किसी जुर्म को अंजाम देने से पहले या बाद में उसपर पछतावा नहीं करता क्योंकि वह सोचता है कि वह जो कर रहा है, या जो किया वो सही है, और उसपर से अगर कानून भी उन पर रियायत बरते तो अपराध के लिए उनके इरादे और मजबूत हो जाते हैं।

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कुछ ऐसा ही एक काला किस्सा इतिहास के पन्नों पर ‘भरत कालीचरण’ उर्फ़ ‘कल्लू यादव’ के नाम से दर्ज है। अक्कू यादव भारत का एक 32 वर्षीय कथित ‘बलात्कारी’ और ‘हत्यारा’ था। अक्कू यादव अपराधी छवि का आदमी था और उस पर महिलाओं से छेड़खानी करने और उनपर यौन आक्रमण करने के कई आरोप थे।

Image result for rapist akku yadavस्थानीय वकील योगेश मंडके के मुताबिक़, अक्कू यादव ने उनके एक रिश्तेदार का अपहरण करने की कोशिश की। जिस पर स्थानीय महिलाएँ भड़क उठीं।

अक्कू के इशारे पर नाचती थी पुलिस-

पुलिस पर आरोप था कि वो अक्कू यादव के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने से बचती थी, इसलिए इस घटना के बाद स्थानीय महिलाओं का ग़ुस्सा और बढ़ गया। इस असंतोष को देखते हुए पुलिस ने अक्कू यादव को गिरफ़्तार कर लिया।

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200 महिलाओं ने भरी कोर्ट में उतारा था अक्कू को मौत के घाट-

13, अगस्त 2004 के दिन जब उसे स्थानीय अदालत में पेश किया जाने वाला था, तभी महिलाओं का एक उग्र समूह वहां पहुँच गया और कस्तूरबा नगर की लगभग 200 महिलाओं की एक भीड़ ने उसे मार दिया। यादव को सत्तर से अधिक बार चाकू मारा गया और मिर्च पाउडर और पत्थर उसके चेहरे पर फेंके गए थे। इतना ही नहीं बल्कि उसके कथित पीड़ितों में से एक ने तो उसका गुप्तांग तक काट दिया था।

महिलाओं को देता था गाली-

उसे मारने वाली महिलाओं का दावा है कि यादव एक दशक से अधिक के लिए दण्ड-मुक्ति रहकर बलात्कार और स्थानीय महिलाओं को गाली दे रहा था और स्थानीय पुलिस उसकी पीड़ितों की मदद या यादव पर मुकदमा चलाने से इनकार कर रही थी। क्योंकि यादव उन्हें रिश्वत दे रहा था। यादव ने कथित तौर पर कम से कम तीन लोगों की हत्या कर दी थी और रेल पटरियों पर उनके शरीरों को फेंक दिया था। हत्या उस समय हुई जब यादव ने गुस्से में आई भीड़ में बलात्कार-पीड़ित औरत को देखा और उसे एक ‘वेश्या’ कहा।

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5 महिलाएं हुई थी गिरफ्तारी-

इस मामले में 5 महिलाओं को तुरंत गिरफ़्तार कर लिया गया था लेकिन शहर में प्रदर्शनों के बाद छोड़ा गया क्योंकि झुग्गी-झोपड़ी की हर महिला ने गौरवमय तरीक़े से इस हत्या की ज़िम्मेदारी ली थी। ऊषा नारायण नामक समाज सेविका को हिरासत में लिया गया जिन्हें कुछ और महिलाओं के साथ 2012 में छोड़ दिया गया था।

Image result for rapist akku yadav caseजबकि स्थानीय अदालत में अब भी पाँच महिलाओं के खिलाफ़ हत्या का मुकद्दमा चल रहा है।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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