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महिला सशक्तीकरण पर कितना खरा उतरेगा बजट?

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निर्भया की मां आशा देवी ने आईएएनएस से कहा, मैं चाहती हूं कि इस बार बजट में महिला सुरक्षा के नाम पर ज्यादा पैसा आवंटित किया जाए। निर्भया फंड दोगुना होना चाहिए। महिला अपराधों के निपटारे के लिए अधिक संख्या में त्वरित अदालतों के लिए धन आवंटित हो। स्त्री शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए। बजट में महिलाओं के लिए व्यावसायिक शिक्षा को तरजीह दी जानी चाहिए।

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल कहती हैं, इस बार का आर्थिक सर्वेक्षण गुलाबी रंग की फाइल में बंद था, जो महिला सशक्तीकरण का प्रतीक रहा। उम्मीद है कि बजट भी महिला सशक्तीकरण पर केंद्रित होगा। महिला सुरक्षा के नाम पर पिछले बजट में आवंटित लगभग 1.86 करोड़ रुपये की धनराशि को बढ़ाया जाना चाहिए। सैनेटरी पैड से जीएसटी हटे, ताकि यह सभी महिलाओं की पहुंच में आ सके। महिलाओं की उच्च शिक्षा सस्ती की जाए, उन्हें नया कारोबार शुरू करने के लिए सस्ते ब्याज पर ऋण उपलब्ध हो। दिल्ली सरकार के मातृत्व लाभ कार्यक्रम के लिए बजट आवंटन में बढ़ोतरी होनी चाहिए।

कवयित्रि एवं उपन्यासकार इला कुमार को बजट से बहुत उम्मीदे हैं। वह कहती हैं, इस बार का बजट समान काम, समान वेतन के नारे के साथ पेश होना चाहिए। महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर देने के लिए रोजगार केंद्रों और महिला उद्योग कौशल पर ज्यादा पैसा खर्च हो।

वह कहती हैं, मनु संहिता में कहा गया है कि महिलाओं की सुरक्षा करने से बेहतर है कि उन्हें खुद की सुरक्षा करना सिखाया जाए। इसके लिए देशभर में आत्मसुरक्षा से संबंधित केंद्रों की स्थापना के लिए पैसा आवंटित हो। देश के हर शहर में अकेली रह रहीं महिलाओं के लिए सस्ते आवास होने चाहिए। कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिए क्रैच की सुविधाओं के लिए अत्यधिक पैसा बजट में आवंटित होना चाहिए।

दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष बरखा सिंह शुक्ला ने आईएएनएस को बताया, सैनेटरी पैड से जीएसटी हटाना चाहिए, ताकि हर तबके की महिलाएं इसका इस्तेमाल कर सकें। महिला इस्तेमाल की चीजों पर विशेष ध्यान की जरूरत है। महिला अपराध से जुड़े मामलों से निपटने के लिए त्वरित अदालतें खोलने पर अधिक धनराशि आवंटित होना चाहिए। उम्मीद करती हूं कि राष्ट्रीय बालिका माध्यमिक शिक्षा प्रोत्साहन योजना और एकीकृत बाल विकास सेवाओं में किशोरियों के लिए बड़े ऐलान होंगे।

महिला करदाताओं की मांग है कि सरकार उन्हें बजट में कुछ ज्यादा कर छूट दे। पेशे से शिक्षिका प्रतिभा डबास कहती हैं, महिलाओं को बजट में अधिक कर छूट मिलनी चाहिए, विशेष रूप से बच्चे का अकेले लालन-पालन कर रहीं महिलाओं को इसका लाभ मिलना ही चाहिए।

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नेशनल

महाराष्ट्र के रुझानों में महायुति को प्रचंड बहुमत, MVA को तगड़ा झटका

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मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के शुरूआती रुझानों में दोबारा महायुति की सरकार बनती दिखाई दे रही है। महाराष्ट्र में अकेले भाजपा 131 सीटों पर आगे है। वहीं कुल 221 सीटें पर महायुति आगे है। झारखंड की बात की जाए यहां पर JMM गठबंधन आगे चल रहा है। इस समय वह 49 सीटों पर आगे है।

बता दें कि महाराष्ट्र में 20 नवंबर को सभी 288 सीटों पर मतदान हुआ। सत्ताधारी महायुति में बीजेपी ने 149 सीट, एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 81 सीट और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी 59 सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी। वहीं दूसरी ओर एमवीए में शामिल कांग्रेस ने 101, शिवसेना (UBT) ने 95 और NCP (शरदचंद्र पवार) ने 86 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए।

वहीं, शुरूआती रुझानों से उत्साहित भाजपा सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि महायुति अपने विकास कार्यों के कारण महाराष्ट्र में शानदार तरीके से सत्ता में वापस आ रही है। महाराष्ट्र चुनाव इस बात की लड़ाई थी कि जनता का जनादेश ‘विचार की विरासत’ को मिलेगा या ‘परिवार की विरासत’ को। महाराष्ट्र की जनता ने ‘विचार की विरासत’ को चुना और ‘परिवार की विरासत’ को हराया। झारखंड में अभी तक नतीजे हमारी उम्मीदों के मुताबिक नहीं आए हैं।

महाराष्ट्र के सीएम और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने कहा कि अंतिम परिणाम आने दें। फिर, जिस तरह से हमने एक साथ चुनाव लड़ा था, उसी तरह सभी तीन पार्टियां एक साथ बैठेंगी और निर्णय लेंगी कि सीएम कौन होगा।

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