अन्तर्राष्ट्रीय
म्यांमार पर रोहिंग्या संवाददाताओं को खत्म करने का आरोप : रिपोर्ट
नेपीथा, 27 नवंबर (आईएएनएस)| म्यांमार के रखाइन राज्य में रोहिंग्या संकट पर काम करने वाले संवाददाता गायब हो गए हैं और ऐसा डर है कि उन्हें जानबूझकर सेना द्वारा निशाना बनाया गया है। ‘द गार्डियन’ की रिपोर्ट के अनुसार, युवा रोहिंग्या स्वयंसेवक गोपनीय तरीके 2012 से म्यांमार में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की रिपोटिर्ंग कर रहे थे और स्मार्टफोन के जरिए तस्वीरें, वीडियो और ऑडियो क्लिप देश से बाहर भेज रहे थे।
मानव अधिकार समूहों ने दावा किया है कि म्यांमार की सेना ने कई संवाददाताओं का कत्ल कर दिया है और नेटवर्क को ‘ध्वस्त’ करने के लिए कई का अपहरण कर लिया है। इससे अब इस राज्य में जो कुछ हो रहा है उसकी बहुत कम रिपोटिर्ंग हो रही है।
रोहिंग्या समुदाय के समाचार पोर्टल ‘द स्टेटलेस’ में संपादक रोहिंग्या शरणार्थी मोहम्मद रफीक कहते हैं कि सैन्य कार्रवाई शुरू होने के बाद से रखाइन के 95 प्रतिशत से अधिक मोबाइल संवाददाता गायब हो गए हैं।
उन्होंने कहा, सुरक्षा बलों और सेना द्वारा अभी भी रोहिंग्या गांवों में दुष्कर्म, हत्या और आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा हैं लेकिन रोहिंग्या मोबाइल रिपोर्टर नेटवर्क अब नाकाम हो चुका है। विश्वसनीय मीडिया रिपोर्ट तैयार करने के लिए जरूरी हिंसा की विस्तृत जानकारी हम तक नहीं पहुंच रही है।
‘गार्डियन’ ने रफीक के हवाले से बताया, अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के संवाददाता और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी रोहिंग्या मोबाइल रिपोर्टर नेटवर्क के जरिए ही उत्पीड़न और हिंसा से संबंधित जानकारियां एकत्र करते थे। हमारे साथ ही सभी मीडिया आउटलेट को रखाइन से कोई जानकारी नहीं मिल रही है।
अन्तर्राष्ट्रीय
इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास, पूरी तरह समझे कानून
ब्रिटेन। इच्छामृत्यु को लेकर कई देशों में वाद-विवाद है, भारत में इच्छामृत्यु संबंधी कानून सक्रिय और निष्क्रिय इच्छामृत्यु के बीच अंतर करता है। देश में (India) घातक यौगिकों के प्रशासन सहित सक्रिय इच्छामृत्यु के रूप अभी भी अवैध हैं। लेकिन एक वक्त पर भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन (Britain) ने इच्छामृत्यु को कानूनी दर्जा देने के लिए ब्रिटिश संसद में बिल पास कर दिया है। ब्रिटेन का ये विधेयक गंभीर रूप से बीमार लोगों, जिनकी जीवन प्रत्याशा 6 महीने से कम है, वे अपनी इच्छा से खुद का जीवन खत्म कर सकते हैं। ये पूरी तरह से कानूनी होगा।
क्या होगा कानून
इस विधेयक के मुताबिक इसे लागू करने के लिए दो स्वतंत्र डॉक्टर्स और एक हाईकोर्ट के जज की सहमति भी जरूरी होगी। हालांकि मरीज को इच्छामृत्यु के इस फैसले के लिए मानसिक रूप से पहले सक्षम माना जाना चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो किसी दबाव में तो नहीं। इसके अलावा मरीज को 2 बार अपनी मरने की इच्छा भी जतानी होगी। जिसके बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।
विधेयक पर तीखी बहस
ब्रिटेन की संसद में इस बिधेयक को लेकर तो बहस हुई ही साथ ही अब जनता भी दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। संसद में इस बिल के समर्थकों ने इसे मरीज का दर्द खत्म करने और गरिमा के साथ मौते देने का विकल्प बताया तो विरोधी पक्ष ने इसे कमजोर और बीमार लोगों के लिए जोखिम भरा बताया और इसके दुरुपयोग की संभावना जताई। बता दें कि ये विधेयक भले ही संसद से पास हो गया हो लेकिन इसे कानून बनने के लिए और भी समीक्षा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसके बाद ही कानून का रूप ले पाएगा। अब विपक्ष समेत आधी जनता के विरोध को देखते हुए जानकारों का मानना है कि शायद ही ये विधेयक इतनी आसानी से कानून का रूप ले पाएगा।
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