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लाल बहादुर शास्त्री के निधन का सच एक दिन जरूर सामने आएगा : सुनील शास्त्री

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मुंबई, 14 अगस्त (आईएएनएस)| ‘लाल बहादुर शास्त्री का निधन – एक अधूरी कहानी’ शीर्षक वाली एक नई वेब श्रंखला बुधवार को स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज के लिए तैयार है। पूर्व प्रधानमंत्री के पुत्र सुनील शास्त्री का कहना है कि उनके पिता के देहांत के 52 साल हो चुके हैं, लेकिन परिवार को अभी भी उम्मीद है कि एक न एक दिन सच सामने आएगा। सुनील ने एक बयान में कहा, शास्त्री का निधन कैसे हुआ, यह सवाल अभी भी बना हुआ है। जब मेरे पिता ने ताशकंद से फोन किया तो मेरे परिवार ने उन्हें सूचित किया कि संधि पर हस्ताक्षर करने के उनके फैसले से यहां लोग बहुत निराश हैं। हालांकि उन्हें पूरा विश्वास था कि जब वहां आएंगे और बताएंगे तो सभी लोग बहुत खुश होंगे। लेकिन उनके भाग्य में यही लिखा था कि वह यहां नहीं पहुंचे और न ही किसी को बता पाए।

उन्होंने कहा, रसोइया जान मोहम्मद मेरे पिता की मौत में प्रमुख संदिग्ध था। उसके ऊपर उन्हें जहर देने का शक जताया जा रहा था। अजीब ढंग से उसे ताशकंद घोषणा के बाद ही भर्ती किया गया था और वह राजदूत टी.एन. कौल का भी रसोइया था, जिसने हमारे संदेह को और मजूबत किया।

सुनील ने कहा कि उनकी दादी ने शास्त्री के शव को देखने के बाद आश्चर्य जताया, यह चौंका देने वाला था कि देश के प्रधानमंत्री की मौत हो गई और किसी ने इस पर कोई सवाल तक नहीं उठाया।

शास्त्री का निधन 1966 में हुआ था।

शास्त्री के पड़पोते सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन जब हमारे पास फोन आया तो मेरी मां ने बताया कि फोन करने वाले ने रोते हुए कहा कि शास्त्री जी नहीं रहे। जब उनका पार्थिव शरीर भारत आया तो उनके शरीर पर कटने के निशान थे और उनका चेहरा नीला पड़ा हुआ था। उन्हें जहर देने का साफ संकेत थे। उस दिन के बाद से न तो हमें मृत्यु प्रमाणपत्र दिया गया और न ही कोई पोस्टमार्टम किया गया।

उन्होंने कहा, क्या यह एक इत्तेफाक है कि हृदय रोगी शास्त्री जी पूर्व निर्धारित स्थान पर नहीं रह रहे थे? जिस कमरे में वह थे, उसमें बजर तक नहीं था, साथ ही उनके चिकित्सक का कमरा भी काफी दूर था?

सुनील ने कहा, उनके निधन के 52 साल बाद भी परिवार को उम्मीद है कि एक न एक दिन सच सबके सामने आएगा।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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