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लड़कियों को नेलपॉलिश लगाने का था जुनून, इसीलिए छोड़ दी 25 लाख की नौकरी

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आप अक्सर कई तरह की अजीबोगरीब खबर सुनते या देखते होंगे लेकिन आज जो खबर हम आपको सुनाने जा रहे है वो न सिर्फ अजीब है बल्कि हैरान कर देने वाली भी है। जी हां। हम बात कर रहे हैं, जर्सी में रहने वाले एक ऐसे ही शख्स की, जिसने लड़कियों को नेलपॉलिश लगाने के लिए करीब 25 लाख की नौकरी छोड़ दी।

39 साल के जॉन श्रोट इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में चल रहे है। दरअसल जॉन का काम लड़कियों के हाथो में नेल पोलिश लगाना है और ये जर्सी के पहले ऐसे इंसान है जो ये काम करते है। खास बात तो ये है कि इस काम को करने के लिए जॉन ने 25 लाख रूपए सालाना की नौकरी तक छोड़ दी। इसलिए जॉन चर्चा में बने हुए है।

लड़कियों को लगानी थी नेल पोलिश इसलिए छोड़ी 25 लाख की नौकरीजॉन ने अपनी एक डॉक्यूमेंट्री सोशल मीडिया पर शेयर की है। जिसमे उनकी इस अजीबोगरीब जॉब के बारे में सारी बातें बताई है। उन्होंने बताया है कि पहले वो एक बड़ी कार कंपनी में कार स्प्रे का काम करते थे, और जॉन की मंगेतर का ब्यूटी पार्लर था। जिस वजह से जॉन ने अपनी मंगेतर की मदद करना चाही।

उन्होंने बताया कि, ‘मैंने सोचा कि जब मेरी मंगेतर को ब्यूटी पार्लर में इतना मजा आता है तो क्यों न कार पेंट का काम छोड़कर उसका हाथ बटाऊं। तभी मैंने सोचा कि मैं एक नेल पॉलिश करने वाला बनूंगा। मजे की बात तो ये थी कि नेल पॉलिश करना मेरी पिछली जॉब (कार पेंट करना) से काफी मिलती चुलती थी। यहां भी पुरानी पेंट निकालकर नई पेंट लगानी होती है और मुझे इस काम में मजा आने लगा।’

लड़कियों को लगानी थी नेल पोलिश इसलिए छोड़ी 25 लाख की नौकरीइतना ही नहीं जॉन ने बताया कि पिछली कंपनी में उन्हें 30000 पाउंड (करीब 25 लाख रु) रूपए मिलते थे, लेकिन उन्हें ये काम करने में इतनी ख़ुशी नहीं मिलती थी जितनी अब मिलती है।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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