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शहीद भगत सिंह को नहीं मिला ‘शहीद’ का दर्जा, कोर्ट ने खारिज की याचिका
नई दिल्ली। अपने कर्मठ स्वभाव व दिल में आजादी की आंधी को रखे हुए 24 साल के भगत सिंह ने मानो पूरी अंग्रेजी हुकूमत को अपने अंदाज से न सिर्फ हिलाकर रख दिया था। बल्कि उन्होनें पहली बार अंग्रेजों को लोगों से डर-डर के जीने को मजबूर कर दिया था।
‘ये जो सीने पर हैं, सब फूलों के गुच्छे है
हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं’
ये अल्फाज आजादी के एक ऐसे परवानों की टोली के थे जिनके ख्यालातों ने पूरे अवाम की सोच ही बदलकर रख दी थी। वे हैं स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु। ये तीनों आजादी के मतवाले तो थे ही साथ ही साथ जिगरी दोस्त भी थे। उनकी सोच एक थी और मौत की तारीख भी एक ही थी 31 मार्च 1931।
अब आप सोच रहे होंगे आज हम आपको भगत सिंह से जुड़ी बातें क्यों बता रहे है तो बता दें कि आज दिल्ली हाईकोर्ट ने एक वकील द्वारा दायर की गई उस याचिका को खारिज कर दिया हैं जिसमें भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु, सुखदेव, को ‘शहीद’ का दर्जा देने की बात कही गई है।
बता दें कि ये याचिका वकील बिजेंद्र सांगवान की तरफ से दायर की गई थी।
कोर्ट ने पूछा वकील से सवाल-
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से सवाल किया कि क्या कानून में ऐसा कोई प्रावधान है जिसके तहत कोर्ट को ये निर्देश देने का अधिकार दिया गया हो।
लेकिन याचिकाकर्ता के पास कोई जवाब ना होने पर कोर्ट ने कहा कि हमारे पास कोई भी ऐसा कानूनी अधिकार नहीं है। जिसके तहत हम इस तरह के दिशा निर्देश जारी कर सकें।
याचिका में वकील ने लिखी थी ये बात-
याचिकाकर्ता ने स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु को ‘शहीद’ का दर्जा दिए जाने का कोर्ट से अनुरोध किया था। याचिका में कहा गया कि तीनों को 1931 में अंग्रेजों ने फांसी दे दी गई थी। शहीदों का कानूनी अधिकार है कि उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाए और देश की तरफ से यही शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
बता दें कि, वर्ष 1928 में भगत सिंह और राजगुरु ने पाकिस्तान के लाहौर में एक ब्रिटिश पुलिस अफसर को गोली मार दी थी और इसी के बाद लॉर्ड इरविन की कमेटी की सिफारिशों पर स्पेशल ट्रिब्यूनल ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर की जेल में 31 मार्च 1931 को फांसी पर चढ़ा दिया था।
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5.6 मिलियन फॉलोअर्स वाले एजाज खान को मिले महज 155 वोट, नोटा से भी रह गए काफी पीछे
मुंबई। टीवी एक्टर और पूर्व बिग बॉस कंटेस्टेंट एजाज खान इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने उतरे थे। हालांकि जो परिणाम आए हैं उसकी उन्होंने सपने में भी उम्मीद नहीं की होगी। एजाज आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के टिकट पर वर्सोवा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे लेकिन उन्होंने अभी तक केवल 155 वोट ही हासिल किए हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि नोटा को भी 1298 वोट मिल चुके हैं। इस सीट से शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के हारून खान बढ़त बनाए हुए हैं जिन्हें अबतक करीब 65 हजार वोट मिल चुके हैं।
बता दें कि ये वहीं एजाज खान हैं जिनके सोशल मीडिया पर 5.6 मिलियन फॉलोअर्स हैं। ऐसे में बड़ी ही हैरानी की बात है कि उनके इतने चाहने वाले होने के बावजूद भी 1000 वोट भी हासिल नहीं कर पाए। केवल 155 वोट के साथ उन्हें करारा झटका लगा है।
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