हेल्थ
पिछले 24 घंटों में COVID-19 के 2,430 नए मामले, सक्रिय केस भी कम

नई दिल्ली। भारत में पिछले 24 घंटों में COVID-19 के 2,430 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान सक्रिय मामलों में भी गिरावट दर्ज की गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोरोना के कुल मामले 4 करोड़ 46 लाख 26 हजार 427 हैं, जबकि सक्रिय मामले कम होकर 26,618 पर पहुंच गए हैं।
पांच लाख 28 हजार से अधिक लोगों की मौत
जारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक कोरोना से कुल 4 करोड़ 40 लाख 70 हजार 935 लोग ठीक हो चुके हैं। वहीं, अब तक 5 लाख 28 हजार 874 लोगों को संक्रमण की वजह से जान गंवानी पड़ी। देश में अब तक 2 अरब 19 करोड़ 27 लाख 15 हजार 971 टीके की डोज लोगों को दी जा चुकी है।
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कोरोना मामलों में उतार-चढ़ाव जारी
बता दें, देश में पिछले कुछ दिनों से COVID-19 के मामलों में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। एक दिन पहले शुक्रवार को कोरोना के 2678 मामले सामने आए थे। इस दौरान 10 लोगों की मौत हुई थी। इससे पहले, 13 अक्टूबर को 2786, 12 अक्टूबर को 2139 और 11 अक्टूबर को 1957 मामले सामने आए थे।
17 लोगों की हुई मौत
सुबह 8 बजे तक जारी किए गए अपडेट के मुताबिक, कोरोना संक्रमण की वजह से बीते 24 घंटे में 17 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इस दौरन केरल में 9 लोगों की मौत हुई । सक्रिय मामले कुल संक्रमण का 0.06 प्रतिशत है। रिकवरी रेट भी बढ़कर 98.76 हो गया है। डेली पाजिटिविटी रेट 1.01 प्रतिशत है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, वीकली पाजिटिविटी रेट 1.07 प्रतिशत है। डेथ रेट 1.19 प्रतिशत है।
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लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान

नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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